दलित समाज का डिप्टी सीएम, सरकारी जमीनों पर भूमिहीनों को कब्जा, बसपा सुप्रीमों की घोषणा से गरमाई हरियाणा की राजनीति

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हरियाणा चुनाव में हर दल और गठबंधन जोर-आजमाइश कर रहा है। चाहे कांग्रेस हो, भाजपा या फिर, जजपा और बसपा-इनेलो गठबंधन… । हरियाणा में हर पार्टी और गठबंधन ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। इस बीच हरियाणा के जींद में 25 सितंबर को बसपा-इनेलो गंठबंधन की बड़ी रैली हुई। इसमें पहली बार बसपा सुप्रीमो मायावती हरियाणा की चुनावी रैली में उतरीं।

इस दौरान बहनजी ने गठबंधन की सरकार बनने पर सरकार कैसी होगी, इस बारे में भी साफ कर दिया। बहनजी ने साफ कर दिया कि गठबंधन की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला बनेंगे, जबकि बसपा की ओर से दलित समाज का डिप्टी सीएम होगा।

एक अन्य डिप्टी सीएम पिछड़े या सवर्ण समाज से बनाया जाएगा। बहनजी ने अपने भाषण में मान्यवर कांशीराम को भी याद किया। उन्होंने कहा कि मान्यवर कांशीराम के दौर में हरियाणा की भूमिहीन जनता नारे लगाती थी कि जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है।

 

यह अब भी मुद्दा है, लेकिन यह तभी हो पाएगा जब प्रदेश में हमारी सरकार आएगी। बहनजी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता में आने पर हमने बिना किसी किसान की एक इंज जमीन लिये भूमिहीन जरूरतमंदों को सरकारी जमीनों पर कब्जा दिया था।

बहनजी की इस घोषणा के बाद हरियाणा की राजनीति गरमा गई है। जिस तरह गठबंधन के पक्ष में समर्थकों का जनसैलाब उमड़ा, उससे साफ है कि बसपा-इनेलो गठबंधन मजबूत स्थिति में है। दोनों दलों के बीच तीसरी बार गठबंधन हो रहा है।

पहली बार गठबंधन 1996 में हुआ था। बता दें कि हरियाणा विधानसभा में 90 सीटे हैं। इसमें 53 सीटों पर इंडियन नेशनल लोकदल और 37 सीटों पर बसपा चुनाव मैदान में है। यह गठबंधन इस बार प्रदेश की राजनीति में कितनी मजबूत बन कर उभरेगा। यह आठ अक्तूबर को चुनावी नतीजे बताएंगे।

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