डिंडौरी/आलीराजपुर। नोटबंदी कर मोदी सरकार ने कालेधन के सफेद होने की उम्मीद जगाई, डिजिटल और कैशलेस भारत बनाने की बात की और भ्रष्टाचार के खात्मे की घोषणा भी. प्रदेश के सबसे निर्धन और सबसे कम साक्षर जिलों में इतना सब भले नहीं हुआ, लेकिन दुकानों में पैसे का भुगतान करने वाली पीओएस मशीन से एटीएम का काम जरुर होने लगा है. उपभोक्ता को पैसे मिल रहे हैं और व्यापारी को कमीशन. वहीं बैंक खाते खुलवाकर कमीशन से लोग लखपती भी हो गए.
2011 की जनगणना में मध्यप्रदेश के सबसे निर्धन और आदिवासी जिले डिंडौरी में नोटबंदी के पहले एक भी पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन नहीं थी, नोटबंदी के बाद इनकी संख्या लगभग 300 हो चुकी है. यहां खरीदारी के लिए लोग भुगतान तो करते ही हैं, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इन मशीनों का उपयोग एटीएम की तरह करते हैं.
2 हजार रुपए तक पीओएस मशीनों से लिए जा सकते हैं. जिले में अलग-अलग बैंकों की 27 शाखाएं हैं. नोटबंदी के बाद बैंकों के कियोस्क सेंटर 70 से बढ़कर 120 हो गए हैं. बैंक खाते 2 लाख 97 हजार से बढ़कर 3 लाख 92 हजार हो गए हैं. खातों से लेनदेन 5 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुंच गया है.

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