मुंबई। 6 नवंबर को मराठों द्वारा निकाली गई बाइक रैली के बाद अब दलित, मुस्लिम और ओबीसी एकजुट होकर मुंबई की सड़कों पर बाइक रैली निकालेगा. मुंबई में मराठा समाज दलित अत्याचार अधिनियम पर समीक्षा की मांग कर रहा है जिसके खिलाफ दलित समाज 26 नवंबर को बाइक रैली का आयोजन करने जा रहा है. इसके बाद यह रैली 24 दिसम्बर को एक विशाल विरोध प्रदर्शन में बदल जाएगी.
इस बाइक रैली का उद्देश्य है कि दलित, ओबीसी और मुस्लिम को एकजुट होकर मराठों के खिलाफ आवाज उठाए. यह रैली बांद्रा से दादर के चैतन्यभूमि तक जाएगी. इसमें करीब 5000 बाइकर्स हिस्सा लेंगे. रैली के आयोजक रमेश गायकवाड़ का कहना है कि यह रैली 26 नवंबर को इसलिए आयोजित की जा रही है क्योंकि बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को 24 नवंबर 1949 को ही अपनाया गया है और यह 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया. इसलिए हम इसे संविधान के प्रतीक के रूप में आयोजित कर रहे हैं.
गायकवाड़ ने कहा कि इसके बाद दलित अत्याचार अधिनियम में मराठों द्वारा संशोधन के विरोध में 24 दिसंबर को एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने मराठा समाज के इस मांग को मान लिया तो दलितों और पिछड़ों को अपने अधिकार से वंचित होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार मराठों को कोई भी आरक्षण दे हमें कोई भी समस्या नहीं है लेकिन हम दलित अत्याचार अधिनियम में बदलाव नहीं होने देंगे, इससे दलितों पर अत्याचार और बढ़ जाएंगे.
1989 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए अनुसूचित जाति और जनजाति ( अत्याचार निवारण) कानून बनाया गया. इस कानून को बनाने का मकसद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर होने वाली हिंसा को रोकना और उन्हें मुख्यधारा में लाना था.

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