नई दिल्ली। दलितों के संवैधानिक अधिकार दलित राजनीति का वैकल्पिक मंच तेजी से अपनी सक्रियता बढ़ा रहा है. दलित सम्मान संघर्ष मंच के अशोक भारती की अगुआई में कई राज्यों के दलित तेजी से एकजुट हो रहे हैं. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर और गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी के साथ पिछले काफी समय से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के तमाम हिस्सों दलित चेतना पैदा करने का प्रयास जारी है. इसी क्रम में संगठन 27 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रहा है और इस मंच पर कांग्रेस समेत कई दलों की निगाहें हैं.
दलित सम्मान संघर्ष मंच के तहत होने वाली इस महासंग्राम रैली का मुख्य मकसद दलितों को उन्हें प्राप्त संवैधानिक अधिकारों की जानकारी देना तथा उसकी रक्षा में आवाज उठाना है. इसी मंच ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले को भी राष्ट्रीय स्तर पर फैलाया था. संगठन ने पिछले डेढ़ साल से जमीनी पहल को काफी तेज कर दिया है. इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न समाज में समितियों के निर्माण, दलितों की एकता तथा जमीनी कॉडर विकसित करने पर है. यूपी में गोरखपुर, वाराणसी, फैजाबाद, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, सहारनपुर, बरेली, मुरादाबाद, गाजियाबाद समेत अन्य मंडलों में काफी सक्रिय है.
दिल्ली समेत कई राज्यों में दलित सम्मान संघर्ष मंच ने तेजी से अपनी जमीन तैयार की है. बतौर अशोक भारती उनके संगठन से जुडऩे के लिए कांग्रेस, भाजपा, सीपीआई, भाकपा समेत कई दलों के नेता संपर्क साध चुके हैं. हालांकि अशोक भारती दलित सम्मान संघर्ष मंच के बारे में काफी कुछ बताने से परहेज करते हैं. इस बारे में पूछने पर वह केवल इतना बताते हैं कि 27 नवंबर को देश के लगभग सभी राज्यों से दलित रामलीला मैदान में एकत्र होंगे और महासंग्राम रैली के माध्यम से दलितों पर हो रहे अत्याचार, उनके संवैधानिक अधिकारों के हनन के विरुद्ध आवाज उठाई जाएगी.
महासंग्राम रैली में पंजाब से अनुसूचित जाति, जनजाति यूनियन के अमृत सिंह बंगड़, प्रेम पाल डिमेली, हरियाणा से बाल्मिकी समाज के प्रमुख राकेश बहादुर, ब्रह्म प्रकाश, अंबेडकर महासभा लालजी निर्मल, उत्तर प्रदेश के आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के आरपी सिंह, अंबेडकर विश्वविद्यालय से लखनऊ से निकाले गए छात्र श्रेयत बौद्ध समेत तमाम लोग शामिल होने की उम्मीद है.

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