2016 में उत्तराखण्ड के बागेश्वर जनपद में एक दलित युवक को इसलिए मार दिया गया था कि उसने सवर्ण टीचर का आटा छू दिया था. आज फिर दो वर्ष बाद बागेश्वर जनपद में ही जातिवाद का क्रूर चेहरा देखने को मिला है. सवर्ण समाज के जातिवादियों द्वारा दलित समुदाय के छात्राओं के साथ छेड़खानी और अभद्रता की गयी जिसका विरोध दलित वर्ग के छात्रों ने किया तो सवर्णों ने उनकी बुरी तरह पिटाई कर दी.
घटना बागेश्वर जिले के राजकीय इंटर कालेज तिलसारी में पढ़ रहे अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव उड़खली के बच्चों के साथ घटित हुई है. जातिवादियों की पिटाई से पांच से अधिक छात्र घायल हुए हैं. छात्रों में दहशत और भय बना हुआ है तथा जान का खतरा बना है जिस कारण उपरोक्त विद्यालय में 40 से उपर अध्ययनरत छात्रों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है. हैरानी की बात है कि पटवारी ने 24 घंटे बीतने के बाद भी खबर लिखे जाने तक एफआइआर दर्ज नहीं की थी. पीड़ित पक्ष के अभिभावकों ने आन्दोलन की चेतावदी दी है. ऐसी घटनाएं लगातार देश में बढ़ती जा रही हैं न सड़क पर दलित सुरक्षित हैं न ही स्कूलों में. लगता है देश को डिजिटल नहीं दलित इंडिया में तब्दील कर दमन की नीति हो रही है. क्या न्यू इंडिया की शुरुआत मॉब लिचिंग से हो रही है जिसमें दलितों को, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. स्कूल में ही जब बालिकाएं सुरक्षित नहीं तो बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ का नारा मात्र दिखावा और चुनावी जुमला ही बन कर रह गया है.
आई0 पी0 ह्यूमन
Read it alsoमॉब लिंचिंग पर बसपा प्रमुख मायावती का बड़ा बयान
दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-dast
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
दुखद यह है कि प्रशासन ने अभिभावकों पर दबाव बनाकर समझौता करा दिया है