अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद जिले के दलित बहुल इलाकों में अब बाबासाहेब अम्बेडकर बालपोथी पढ़ाई जा रही है. इन इलाकों में रहने वाले लोगों में अम्बेडकर बालपोथी की मांग तेजी से बढ़ी है. खास बात यह है कि इसे किसी स्कूल ने शुरू नहीं किया है, बल्कि इस किताब के हिन्दी और गुजराती संस्करण के लेखक धीरज प्रियदर्शी पेशे से दर्जी हैं. उन्होंने बड़ी सावधानी से मुख्यधारा की किताबों के ढांचे को तोड़ने की कोशिश की है और उसकी जगह पर इंग्लिश अलफाबेट में दलित प्रतीक चिन्हों का इस्तेमाल किया है.
इस बालपोथी में A से अम्बेडकर और B से बुद्ध पढ़ाया जा रहा है. इस किताब की खासियत यह है कि ये बच्चों को हिन्दू प्रतीक चिन्हों से दूर ले जाती है और उसकी जगह पर बौद्ध प्रतीकों और बाबासाहेब अम्बेडकर के जीवन के बारे बताती है. इस किताब में बाबासाहेब से जुड़े प्रसंगों का सहारा लिया गया है. अम्बेडकर बालपोथी के इंग्लिश संस्करण को राजस्थान की कुसुम मेघवाल ने लिखा है. इसमें A का मतलब अम्बेडकर और B का मतलब बुद्ध है. इसी तरह धीरज द्वारा तैयार किए गए हिन्दी की किताब में ‘अ’ से अत्याचार और ‘क’ से कलम पढ़ाया गया है. अम्बडेकर साहित्य पर लाइब्रेरी चलाने वाले धीरज कहते हैं, ”क” से कमल की जगह के से कलम सीखना हमारे बच्चों के लिए ज्यादा बेहतर है.
– साभार नवभारत टाइम्स

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