
नई दिल्ली। प्रशासनिक सेवाओं में लैटरल एंट्री कराने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दलित समूह भारत बंद की तैयारी में हैं. जानकारों का ऐसा कहना है कि मोदी सरकार अप्रत्यक्ष रुप से आरक्षण व दलितों के अधिकार को छिनने का काम कर रही है. इसके खिलाफ दलित एक बार फिर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.
ऐसा बताया जा रहा है कि अगस्त में स्वतंत्रता दिवस के आसपास इस बंद का आह्वान करने की योजना है. दलित कार्यकर्ता अशोक भारती का कहना है कि सरकार का यह कदम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) जैसी संवैधानिक संस्था की उपेक्षा है. उनके मुताबिक लैटेरल एंट्री सिस्टम अनुसूचित जातियों व जनजातियों को आरक्षण देने की अनदेखी करता है. अशोक भारती ने कहा कि इस बार का भारत बंद संसद के मानसून सत्र में बुलाए जाने की योजना है ताकि आंदोलन की गूंज राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे.
उन्होंने यह भी कहा, ‘विरोध के जरिए यह संदेश देना है कि अगर (लैटरल एंट्री सिस्टम को लेकर) हमारी चिंताओं पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो दलित समुदाय 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को करारा जवाब देगा.’ इससे पहले बीते अप्रैल में एससी-एसटी एक्ट के कथित रूप से कमजोर होने के मुद्दे पर दलित संगठनों ने भारत बंद किया था.
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