बीजिंग। विदेशी नेता सोच भी नहीं सकते थे कि निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के साथ उनकी मुलाकात इतनी भारी पड़ेगी और उन्हें चीन के क्रोध का सामना करना पड़ेगा. एक चीनी अधिकारी ने कहा है कि दलाई लामा से व्यक्तिगत तौर पर मिले विदेशी नेता कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि यह मुलाकात उनके लिए चीन के गुस्से का कारण बन जाएगा.
चीन दलाई लामा को खतरनाक अलगाववादी के तौर पर देखता है जिन्होंने चीनी नियमों के खिलाफ उठने में असफल रहने के बाद 1959 में भारत में शरण ली थी. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा का कहना है कि वे केवल अपने हिमालयी पैतृक निवासस्थान के लिए स्वायत्ता की चाह रखते हैं.
दलाई लामा के विदेशी दौरे से चीन क्रोधित है और चीन के गुस्से के परिणाम के डर से कम से कम राष्ट्रीय नेता उनसे मिलने को तैयार हैं. हालांकि कुछ ने बीजिंग को यह कहते हुए समझाने का प्रयास किया है कि वे आधिकारिक तौर पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं. कम्युनिस्ट पार्टी की तिब्बत वर्किंग ग्रुप के प्रमुख झांग यीजिओंग ने बताया कि दलाई लामा से मिलने वालों का कोई बहाना नहीं चलेगा.
1950 में चीन ने शांतिपूर्ण मुक्ति कहकर तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया और आर्थिक साधनों का उपयोग करते हुए दलाई लामा का समर्थन देने वालों को दंड दिया ताकि वे अपना समर्थन न दें. चीन ने तिब्बत में अधिकारों के दुरुपयोग के आरोपों को जोरदार तरीके से गलत करार दिया और कहा कि इसके शासन के तहत दूरदराज और पिछड़े क्षेत्र में भी समृद्धि आया है. साथ ही यह तिब्बती लोगों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों का पूर्ण सम्मान करता है.
चीन ने यह भी कहा कि तिब्बत इसका अभिन्न अंग है और यह सदियों से इसका रहा है. 2006-2010 तक तिब्बत में काम करने वाले झांग ने बताया कि तिब्बती बौद्ध विशेष धर्म है जिसका जन्म प्राचीन चीन में हुआ. यह चीनी धर्म है. यह बाहर से नहीं आता.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।