चंद्रयान-2 लॉन्चिंग: मिशन के वो 15 सबसे मुश्किल मिनट जब धड़कनें थम जाएंगी

नई दिल्ली। भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की कुछ घंटों में लॉन्चिंग होनी है. इस बेहद कठिन मिशन को लक्ष्य तक पहुंचाना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्चिंग के बाद मिशन को चांद तक पहुंचने में 40 दिन से ज्यादा का समय लगने वाला है. इस मिशन के सबसे तनावपूर्ण क्षण चांद पर लैंडिंग से पहले के 15 मिनट होंगे. खुद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ के सिवन ने कहा है कि लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट बेहद चुनौतीपूर्ण रहेंगे क्योंकि उस दौरान हम ऐसा कुछ करेंगे जिसे हमने अभी तक कभी नहीं किया है. याद हो कि 15 जुलाई को क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग अंतिम क्षणों में टालनी पड़ी थी.

सिवन ने कहा, ‘चंद्रमा की सतह से 30 किलोमीटर दूर चंद्रयान-2 की लैंडिंग के लिए इसकी स्पीड कम की जाएगी. विक्रम को चांद की सतह पर उतारने का काम काफी मुश्किल होगा. इस दौरान का 15 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है. हम पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग की करेंगे. यह तनाव का क्षण केवल इसरो ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए होगा.’ सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलते ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. अभी तक अमेरिका, रूस और चीन के पास ही यह विशेषज्ञता है.

चांद की सतह को छूने से पहले क्या होगा?
धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है. लॉन्चिंग के बाद चंद्रमा के लिए लंबी यात्रा शुरू होगी. चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे. चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा. लैंडर यान से डिबूस्ट होगा. ‘विक्रम’ सतह के और नजदीक पहुंचेगा. उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6-8 सितंबर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया. लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्रम) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा. रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा. फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा. इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी.

देशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं. पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं. लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद जीएसएलवी-एमके तृतीय चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा. लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम ‘प्रज्ञान’ का मतलब ‘बुद्धिमता’ है. इसरो चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा.

‘बाहुबली’ जीएसएलवी मार्क-… से होगी लॉन्चिंग
4 टन तक का भार (पेलोड) ले जाने की अपनी क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहे जा रहे जीएसएलवी मार्क-… रॉकेट ने जीसैट-29 और जीसैट-19 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने इसी रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश परीक्षण (केयर) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. इसरो के प्रमुख के सिवन के मुताबिक, अंतरिक्ष एजेंसी दिसंबर 2021 के लिए निर्धारित अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए भी जीएसएलवी मार्क-… रॉकेट का ही प्रयोग करेगी.

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