- अभय कुमार
बिहार के गाँवों से बहुत सारे मज़दूर दो पैसा कमाने के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों में पलायन करते हैं। कोरोना संकट के बाद अब वे मजबूरन घर लौट रहे हैं। मगर क्या गाँव उनको राह़त दे पायेगा?
इतना तो ज़रूर है कि घर...
भारतीय प्रशासनिक सेवा की अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजीत प्रमोद कुमार जोगी यानी अजीत जोगी (जन्मः 29 अप्रैल 1946 - निर्वाणः 29 मई 2020) जिलाधिकारी से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले संभवत: अकेले शख्स थे। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के...
सच्ची घटना है। एक गांव में मुझे बचपन का परिचित मिल गया। परदेस में वह ठीक ठाक कमा लेता था लेकिन गांव में मुफ्त की सरकारी सुविधाओं का सुनकर गांव आ गया। बीपीएल में नाम लिखवा दिया। फिर क्या था, उसके तो सपने साकार...
क्या सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर समूहों को भी कोरोना वायरस से उतना ही खतरा है, जितना कि अन्य बीमारियों और भुखमरी से, जिसकी अब आहट सुनाई देने लगी है। या, इन वर्गों में इस खतरे को महसूस करने के स्तर में गुणात्मक...
इंडियन एक्सप्रेस में इधर किसी लेख के जवाब में लेखक, अध्यापक और सामाजिक कार्यकर्ता अपूर्वानंद की टिप्पणी पर नजर पड़ी। पहले तो मुझे लगा कि शायद लेखक कह रहे हैं कि लेनिन के क्रांति के मॉडल को भारत में दोहराने की जरूरत नहीं है।...
अभय कुमार
ईद का मतलब होता है जो "बार बार आए". मगर इसका मतलब "ख़ुशी मनाना" और "जश्न मनाना" भी होता है. महीने भर रोज़ा रखने के बाद ईद मनाई जाती है. यह ख़ुशी का दिन होता है. दरअसल ख़ुशी कोई अकेले मना नहीं...
- सुभाष गाताडे
तेरह साल का एक वक्फा़ गुजर गया जब थोरात कमेटी रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी. याद रहे सितम्बर 2006 में उसका गठन किया गया था, इस बात की पड़ताल करने के लिए कि एम्स अर्थात आल इंडिया इन्स्टिटयूट आफ मेडिकल साईंसेस में अनुसूचित...
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कोरोना के बहाने भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य सरकारों ने श्रम कानूनों में जो मजदूर विरोधी बदलाव किये हैं, उन्हें श्रम सुधार का नाम दिया जा रहा है. सच्चाई यह है कि किसी भी तरह से ये बदलाव श्रम सुधार नहीं बल्कि मोदी सरकार...
अमेरिका में सक्रिय संगठन अम्बेडकर एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका यानी AANA ने साल 2020 के लिए अपने अवार्ड की घोषणा कर दी है. इस साल चार अवार्ड की घोषणा की है. इसमें आईपीएस अधिकारी और तेलंगाना सोशल वेलफेयर एंड रेजिडेंशियल स्कूल के सेक्रेट्री डॉ....
देश के बहुसंख्य आमजन-मेहनतकशों के लिए ऐसी सरकार, ऐसे राज्य के बने रहने का तर्क (Raison d'être) खत्म हो गया है। कोरोना की आपदा तो वैश्विक है, लेकिन इससे जिस तरह हमारे देश में निपटा जा रहा है, उसने मजदूरों की जिस दिल दहला...
मनुवादी मानसिकता से सभी लोग परिचित हैं। मनुवादी आए दिन दलितों-पिछड़ों को प्रताड़ित करते हैं। ऐसे में हमारे लोग प्रताड़ित किए जाते हैं। ऐसे में समाज सिर्फ मनुवादी व्यवस्था द्वारा किए गए कार्य के प्रति प्रतिक्रिया देने में अपनी सारी ऊर्जा लगा देता है।...
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भगवान दास
मैंने लियू शाओ ची से प्रसिद्ध चीनी नेता और पुस्तक “ हाउ टू बी अ गुड कम्युनिस्ट?” के शीर्षक के अलावा कुछ भी उधार नहीं लिया है, जिसने हजारों को कम्युनिज्म में बदल दिया। ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ और “दास कैपिटल” के अलावा...
शशि शेखर
हाल ही में कार्ल मार्क्स का जन्मदिन था। अपनी जवानी पूंजीपतियों की मजूरी-हजूरी में बीता देने के बाद, आज भारत के मजदूर अपने घर खाली हाथ लौट रहे हैं। रेल की पटरियों के किनारे 1000 किलोमीटर दूर के सफर पर पैदल चल...
'तेरे आने की जब खबर महके
तेरी खुश्बू से सारा घर महके'
इस समय हम जैसे सरकारी सेवकों के फोन पर जिस बेचैनी और बेसब्री से अपने घर लौटने के लिए प्रवासी मजदूर सवालों की झड़ी लगाये हुए हैं उससे दो निष्कर्ष मेरे सामने आ रहे...
सर्वविदित है कि हिन्दू धर्म पर एक कुलीन वर्ग का कब्ज़ा है। चंद मुट्ठी भर कुलीन वर्ग के लोग हजारों बरसों से हिन्दुओं के सभी संस्थानों और लाखों मंदिरों पर चौकड़ी मार के बैठे हैं। किसान, दस्तकार, मज़दूर, आदिवासी के लिए इनके दरवाज़े आदिकाल...
Blessed is the birth of the Buddha; blessed is the discourse on the Noble Law; blessed is the harmony of the spiritual community; blessed is the devotion of those living in brotherhood; blessed is the spiritual effort of the united. - The Dhammapada.
Since May...
54 साल की छोटी सी उम्र में कैंसर जैसी घातक बीमारी ने हमारे दौर के सेल्फ मेड एक जानदार और शानदार अभिनेता की जान ले ली। जेएनयू कैम्पस में 'हासिल' फिल्म देखते हुए इरफ़ान खान की एक्टिंग और दमदार संवाद अदायगी से पहली बार...
दरिया भी मैं दरख्त भी मैं,
झेलम भी मैं, चेनाब भी मैं...
दैर हूँ हरम भी हूँ...
शिया भी हूँ सुन्नी भी हूँ...
मैं हूँ पण्डित...
मैं था..मैं हूँ …और मैं ही इरफ़ान रहूँगा...
मीरा नायर की ‘सलाम बोम्बे’ में सड़क पर बैठा एक राइटर जो लोगों के लिए चिट्ठियाँ...
मशहूर एक्टर इरफान खान नहीं रहे। कल अचानक तबियत बिगड़ने से वो अस्पताल में आईसीयू में भर्ती हुए थे। और आज उनकी मौत की खबर आ गई। फिल्म निर्देशक सुजीत सरकार ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी है। इरफान पिछले काफी समय से कैंसर...
1918 के स्पैनिश फ़्लू में सर्वाधिक मौतें भारत में हुई थी प्रति एक हज़ार 60 लोग मारे गए थे पूरे देश में डेढ़ करोड़ से दो करोड़। हाल ऐसा था कि आगे के वर्षों में भारत में अप्रत्याशित तौर पर जन्मदर घट गयी। बात...