
जयपुर में 23 से 25 दिसम्बर 2017 तक तीन दिनों तक आयोजित हुए भीम बिजनेस एक्सपो ने बहुजन समाज के लोगों में आर्थिक स्वावलंबन तथा व्यावसायिक चेतना की एक नई उमंग पैदा कर दी है. अन्य व्यापार मेलों से यह बिजनेस एक्सपो काफ़ी अलग साबित हुआ. इसमें आये लोग सिर्फ आर्थिक आज़ादी की ही बात नहीं कर रहे थे, बल्कि सदाचार और नैतिकता पर आधारित सम्यक व्यापार की अवधारणा को भी हृदयंगम कर रहे थे.
इस आयोजन के संयोजक बहुजन चिंतक एवं लेखक डॉ. एम एल परिहार का मानना है कि गौतम बुद्ध और बाबा साहब अम्बेडकर के अर्थ चिंतन को साकार करने की दिशा में भीम बिजनेस एक्सपो एक महत्वपूर्ण कदम था. उनका कहना है कि- ‘गौतम बुद्ध ने भूख और दरिद्रता को सबसे बड़ा रोग कहा था, जो सब बुराइयों की जड़ है और इससे निजात पाने की पूरी कोशिश जरूरी है. इसी तरह बाबा साहेब अम्बेडकर का भी विचार था कि उपेक्षित वंचित समाज के लोग उद्यमी बनें और आर्थिक रूप से सम्पन्न हों, क्योंकि आर्थिक समृद्धि के बिना हमारा कोई उद्धार नहीं है. उनका सपना था कि वंचित तबके के लोग आर्थिक रूप से सक्षम बनें और देश में सामाजिक एवं आर्थिक गैर बराबरी खत्म हो.’
डॉ. परिहार मानते हैं कि भीम बिजनेस एक्सपो बुद्ध और बाबा साहेब के विचारों की दिशा में आगे बढ़ा है और बहुजन समाज के लोगों के मध्य व्यापार वाणिज्य की चेतना जगाने का प्रयास हुआ है. भीम बिजनेस एक्सपो में वैश्विक स्तर के उत्पादों की प्रदर्शनियां लगाई गईं, यहां आये उद्यमियों का लगभग सारा माल बिक गया, ज्वैलरी, गारमेंट्स, हैंडीक्राफ्ट, होम डेकॉर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, डेयरी, खाद्य और एग्रीबिजनेस सहित कई तरह के उद्यमों की स्टॉल्स लगी. हर स्टॉल पर पूरे वक्त लोगों की मौजूदगी उत्साहित करने वाली थी. लोगों ने उम्मीद से बढ़कर इस तीन दिवसीय आर्थिक महोत्सव में भाग लिया.
दलित वंचित समाज के उधमियों के लिए देश में यह पहला मौका था, जिसमें उन्हें अपने बिजनेस को दिखाने तथा प्रमोट करने का मंच मिला. इस अवसर का सभी उद्यमियों ने भरपूर लाभ लिया और वे आपस में भी बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए चर्चा करते हुए दिखे. भीम बिजनेस एक्सपो राजस्थान की राजधानी जयपुर में अम्बेडकर सर्कल के पास ऐसे स्थान पर हुआ, जहां पर लगभग सारे ही बड़े बड़े कॉमर्शियल एक्सपो आयोजित होते हैं. इस दौरान भी चारों तरफ कई अन्य व्यापार मेले भी लगे हुए थे,मगर यह साफ तौर पर देखा गया कि उन एक्सपो से अधिक भीड़ भीम बिजनेस एक्सपो में थी. दूसरे व्यापार मेलों में लोग सिर्फ खरीददारी करके निकल रहे थे, जबकि भीम बिजनेस एक्सपो में बिजनेस के साथ-साथ सामाजिक चिंतन भी चलता रहा, लोगों ने भारी मात्रा में बहुजन साहित्य खरीदा, विभिन्न विषयों की सेमीनार में शिरकत की और सक्रिय भागीदारी निभाई.
हर दृष्टि से भीम बिजनेस एक्सपो स्वयं में अनूठा आयोजन था और अन्य व्यापार मेलों से अत्यंत अलग भी. इसका प्रारम्भ किसी स्थापित राजनेता या नौकर शाह ने नहीं किया, बल्कि समाज के लिए उद्यमिता के क्षेत्र में आदर्श बन चुके सफल उद्यमियों के हाथों हुआ. बुद्ध, बाबा साहेब और भारतीय संविधान की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर इसकी शुरूआत की गई. कोई तामझाम नहीं, कोई माला साफा नहीं, कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं. जो भी मेले में आये, सब लोग इस अनूठे आयोजन के मुख्य अतिथि थे. सबने सामूहिक रूप से भीम बिजनेस एक्सपो का उदघाटन किया.
भीम बिजनेस एक्सपो में कई महत्त्वपूर्ण लोगों की गरिमामय उपस्थिति भी उल्लेखनीय हैं. इनमें सूक्ष्म लघु मध्यम उद्योग मंत्रालय दिल्ली के निदेशक बी पी सिंह, डायवर्सिटी विशेषज्ञ बृजपाल भारती, दूरदर्शन अल्मोड़ा के निदेशक अशोक सचान, स्टील मोंट के संस्थापक भारत के पहले दलित अरबपति पदमश्री राजेश सरैया के पिता नथाराम सरैया, मार्शल कंपनी के मालिक आर के सिंह, सुप्रसिद्ध बहुजन चिंतक डॉ चंद्रभान प्रसाद तथा बजट विशेषज्ञ उमेश बाबू सहित राजस्थान के कईं प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और उद्यमी मौजूद रहे. इतना ही नहीं बल्कि स्विट्जरलैंड से आये रिसर्च स्कॉलर विनीत भी पूरे समय भीम बिज़नेस एक्सपो के भागीदार बने. इस दौरान देश के प्रतिष्ठित 7 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज और जिंदल यूनिवर्सिटी सोनीपत के तकरीबन 40 स्टूडेंट्स भी आये. उन्होंने सारे बहुजन उद्योगपतियों से मुलाकात कर उनकी कहानियों को लिखा. ग़ौरतलब है कि ये स्टूडेंट्स मानव अधिकार संगठन पीयूसीएल में इंटर्नशिप कर रहे हैं.
इस एक्सपो की सबसे ख़ास बात यह रही कि सुबह से शाम तक सेमीनार हॉल खचाखच भरा रहता था, जिसमें उद्योग शुरू करने तथा उद्योग को फैलाने के लिए सरकार की योजनाओं, प्रक्योर मेन्ट पॉलिसी, जीएसटी, सेल्स टैक्स, बैंक लोन, बजट आदि से जुड़े विषयों पर व्याख्यान विशेषज्ञों द्वारा दिये गये, जिन्हें देश भर से आये सहभागियों ने मनोयोग से सुना और कई सवाल भी किए. इस दौरान युवाओं ने नौकरी की बजाय बिजनेस की ओर अपना रुझान बताया.
इस आयोजन के मुख्य संकल्पनाकार डॉ. एम. एल परिहार के सहयोगी के रूप में असीम के डॉक्टर्स की टीम का योगदान भी अविस्मरणीय कहा जा सकता है. भीम बिजनेस एक्सपो का समापन 25 दिसम्बर को था. 90 साल पहले इसी दिन 25 दिसम्बर 1927 को बाबा साहब ने महाड़ में मनुस्मृति को जलाया था. भीम बिजनेस एक्सपो का समापन “प्रबुद्ध बहुजन-समृद्ध बहुजन” के एक संकल्प प्रस्ताव के साथ हुआ कि हम आर्थिक रुप से मजबूत बनेंगे.
- लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार

