
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में बाबासाहेब की प्रतिमा को लोहे की चारदीवारी से मुक्त नहीं करने पर बहुजन छात्रों ने अम्बेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर जमकर बवाल काटा. छात्र पिछले कई दिनों से विश्वविद्यालय कैंपस में मौजूद बाबासाहेब की प्रतिमा को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने 12 अप्रैल को प्रतिमाओं के दरवाजे खोल देने की बात कही थी, लेकिन 13 अप्रैल की शाम तक ऐसा नहीं करने पर छात्रों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों का कहना है कि उन्होंने बाबा साहेब की दोनों मूर्तियों को हटाने के लिए 15 दिन में तीन बार प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर विवि प्रशासक ने उन्हें 12 अप्रैल को उनका पक्ष सुनने के लिए बुलाया था. बातचीत के बाद आदेश हुआ था कि 12 अप्रैल तक दोनों मूर्तियों के चैनल हट जायेंगे, लेकिन विवि प्रशासन ने झूठे आशवासन देकर 13 अप्रैल तक नहीं हटाया.

इसके बाद बहुजन छात्र दोपहर के 03:00 बजे से ही बाबा साहेब को मुक्त कराने के लिए धरने पर बैठ गए. छात्रों का आरोप है कि इस दौरान आशियाने थाने की पुलिस छात्रों को धमकाने लगी और रमाबाई चौकी प्रभारी दरोगा भी छात्रों को भविष्य खराब करने की धमकी देते रहे. फिर भी छात्र नहीं हटे. आखिरकार विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. राम चंद्रा के आने और 14 अप्रैल को सुबह 7.30 बजे तक चैनल हटाने का लिखित आश्वासन देने पर ही बहुजन छात्र धरने से हटे. लेकिन यह पूरा घटनाक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाता है.
- रिपोर्ट- बसंत कन्नौजिया

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