उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सटा चौरी चौरा का नाम अपने आंदोलन के लिए इतिहास में दर्ज है। बुद्ध की परिनिर्वाण भूमि कुशीनगर के समीप यह ऐसा क्षेत्र है, जहां बुद्ध ने अपने का आखिरी वक्त बिताया। ताजा खबर यह है कि स्थानीय पुरातत्व विभाग ने हाल ही में किये अपने सर्वे में उस स्तूप को ढूंढ़ निकाला है, जिसमें भगवान बुद्ध की चिता की लकड़ी की राख को रखा गया था। दरअसल पुरातत्व विभाग के सर्वे में बुधवार 25 अगस्त को तहसील क्षेत्र के ब्रह्मपुर ब्लॉकके गोरसैरा गांव में 2 हजार साल पुराना स्तूप मिला है।
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी व उनकी टीम ने यह सर्वे किया, जिसमें यह ऐतिहासिक स्तूप सामने आया। पुरातत्व अधिकारियों के मुताबिक यह कुषाण कालीन है। पुरातत्व अधिकारियों का दावा है कि सर्वे में मिला स्तूप भगवान बुद्ध के उस प्रसिद्ध स्तूप का शेष है, जिसमें बुद्ध की चिता की राख को रखा गया था।
पुरातत्व अधिकारियों का कहना है कि बाद में हिन्दू धर्मावलंबियों ने तेरहवीं शताब्दी के आसपास इस स्तूप के ऊपर शिव मंदिर का निर्माण करा दिया। यहीं एक और स्तूप भी है, उस पर भी लाल बलुए प्रस्तर पर निर्मित शिवलिंग स्थापित कर दिया गया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक ब्रह्मपुर क्षेत्र के कुछ गाँव पुरातात्विक महत्व से जुड़े हुए हैं।
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फोटो क्रेडिट- हिन्दुस्तान, न्यूज सोर्स- लाइव हिन्दुस्तान.कॉम

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