हैदराबाद। हैदराबाद में एक 13 साल की मासूम की मौत का अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. मृतका परिवार को बिजनेस में हो रहे घाटे से उबारने के लिए पिछले 68 दिनों से उपवास रख रही थी. 13 साल की मासूम का स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ने की वजह से उसकी मौत हो गई. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में अंधविश्वास का बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. पुलिस के मुताबिक, 13 साल की कुमारी आराधना पिछले 68 दिनों से उपवास रख रही थी. जिसकी वजह से उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया और उसकी मौत हो गई. उपवास रखने के पीछे की कहानी बेहद ही चौंकाने वाली है. दरअसल जैन समुदाय से ताल्लुक रखते लक्ष्मीचंद का शहर में ज्वैलरी का बिजनेस है. लक्ष्मीचंद को पिछले काफी वक्त से बिजनेस में घाटा हो रहा था. जिसके बाद चेन्नई के किसी संत ने लक्ष्मीचंद को बिजनेस में हो रहे घाटे से उबरने का अजीबो-गरीब उपाय बताया.
संत ने लक्ष्मीचंद और उनकी पत्नी से कहा कि अगर उनकी बेटी चर्तुमास उपवास रखेगी तो बिजनेस में मुनाफे के साथ ही उनके परिवार का भाग्योदय हो जाएगा. अंधविश्वास के फेर में फंसे लक्ष्मीचंद ने अपनी 10वीं में पढ़ने वाली बेटी आराधना से चार माह का उपवास रखने के लिए कहा. जिसके बाद आराधना पिछले 68 दिनों से उपवास रख रही थी. बीते 2 अक्टूबर को आराधना की हालत बिगड़ी तो उसे फौरन अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
घटना की खबर फैलते ही चाइल्ड राइट एसोसिएशन ने शुक्रवार को हैदराबाद पुलिस कमिश्नर महेंद्र रेड्डी से मामले की शिकायत की. कमिश्नर महेंद्र रेड्डी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए परिजनों के खिलाफ फौरन कार्रवाई के आदेश दिए. मामले के तूल पकड़ते ही कई दूसरी संस्थाओं ने भी परिजनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. बहरहाल कार्रवाई से इतर सच तो यहीं है कि अंधविश्वास के चलते एक 13 साल की मासूम को अपनी जान गंवानी पड़ी.
बाल अधिकारों की कार्यकर्ता शांता सिन्हा का कहना है कि इस मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज की जानी चाहिए और बाल अधिकार आयोग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. सिन्हा ने कहा ”एक नाबालिग से हम ऐसे किसी फैसले को लेने की उम्मीद नहीं कर सकते जो कि उसकी जिंदगी के लिए खतरा है. धार्मिक नेताओं को भी देखना होगा कि किस बात की अनुमति की जाए और किसकी नहीं.”
जैन समुदाय की सदस्य लता जैन का कहना है कि ”यह एक रस्म सी हो गई है कि लोग खाना और पानी त्यागकर खुद को तकलीफ पहुंचाते हैं. ऐसा करने वालों को धार्मिक गुरु और समुदाय वाले काफी सम्मानित भी करते हैं. उन्हें तोहफे दिए जाते हैं. लेकिन इस मामले में तो लड़की नाबालिग थी. मुझे इसी पर आपत्ति है. अगर यह हत्या नहीं तो आत्महत्या तो जरूर है.”

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