कानपुर प्रशासन ने तोड़ी वीरांगना उदा देवी पासी की मूर्ति, बवाल

कानपुर। 1857 की क्रांति के दौरान 32 अंग्रेजो को मौत के घाट उतारने वाली वीरांगना उदा देवी पासी की मूर्ति को कानपुर प्रशासन ने तोड़ दिया है. और मूर्ति को उठवाकर फिकवा दिया है. कानपुर प्रशासन ने यह कायराना हरकत तब किया है, जब महज दो हफ्ते बाद ही इस महान स्वतंत्रता सेनानी का शहीदी दिवस है. क्रांतिकारी वीरांगना उदा देवी देश की रक्षा के लिए 16 नवंबर 1857 को लखनऊ के सिकंदर बाग पार्क में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं. घटना के बाद बहुजन समाज के लोगों में काफी रोष है.

स्थानीय और बहुजन समाज के लोगों द्वारा घटना का विरोध करने पर पुलिस ने उनपर लाठी चार्ज किया. कुछ पत्रकारों ने जब जानकारी लेनी चाही तो उनका कैमरा तोड़ दिया और उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया. जिस पार्क में वीरंगना उदा देवी पासी की प्रतिमा थी, वह पार्क पासी समाज के लोगों ने स्थापित करवाया था और जमीन भी पासी समाज की है. इसमें सार्वजनिक कार्य़क्रम के उत्सव हुआ करते थे. प्रशासन ने पार्क में स्थित उदा देवी पासी की मूर्ति तोड़ने से पहले कोई सूचना नहीं दी थी. बहुजन समाज के लोगों का कहना है कि यह प्रशासन की तरफ से एक असंवेदनशील कृत्य है. घटना के कारण बहुजन समाज के लोगों में प्रशासन के प्रति आक्रोश है.

स्थानीय जनता का कहना है कि मूर्ति के साथ जो व्यवहार किया गया उससे उन लोगों के आत्मसम्मान को बहुत ठेस पहुंची है. लोगों ने कहा कि यह प्रशासन और भूमाफियाओं की  सोची समझी साजिश है. लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के अधिकारी, लेखपाल, तहसीलदार, उपजिलाधिकारी, स्थानीय थाना (नौबस्ता) पुलिसकर्मी और अधिकारी आदि सब भूमाफियों से मिलकर खाली जमीन को चिन्हित कर उनके खसरा नंबर को गलत तरीके से दिखा कर जमीनों पर कब्जा करते हैं. इसी क्रम में इन लोगों ने मिलकर वीरांगना उदा देवी की प्रतिमा को तोड़ा है और प्रतिमा गायब कर दी है.

इस सिंडिकेट में मुख्य भूमिका कार्यकारी इंजीनियर प्रबोध कुमार और परिषद का ठेकेदार सूर्यपाल सिंह की है. इसीलिए परिषद ने कोई नोटिस पार्क को संचालित कर रहे संगठन पासी प्रगति संस्थान या अन्य किसी क्षेत्रीय लोगों को नहीं दिया, जोकि संदेहास्पद है. इस सम्बंध में क्षेत्रीय लोगों ने कई बार लिखित शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा आवास विकास परिषद के आयुक्त से की. लेकिन आज तक इस पर कोई कार्यवाई नहीं हुई है.

पासी प्रगति संस्थान की अध्यक्षा वीरमती राजपासी ने बताया की यह जमीन लगभग 30 वर्ष पुरानी है. तब से इस पार्क की देखरेख हमारा संगठन करता आ रहा है.

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