ब्रिटेन के मशहूर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया है. वे 76 साल के थे. 1974 में ब्लैक हॉल्स पर असाधारण रिसर्च करके उसकी थ्योरी मोड़ देने वाले स्टीफन हॉकिन्स साइंस की दुनिया के बड़े नाम रहे हैं.
वे अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद आज विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक थे. उन्हें एमयोट्रॉफिक लैटरल सेलेरोसिस (amyotrophic lateral sclerosis) नाम की बीमारी थी. इस बीमारी में मनुष्य का नर्वस सिस्टम धीरे-धीरे खत्म हो जाता है और शरीर के मूवमेंट करने और कम्यूनिकेशन पावर समाप्त हो जाती है. स्टीफन हॉकिंग के दिमाग को छोड़कर उनके शरीर का कोई भी भाग काम नहीं करता था.
एलियन की दुनिया कैसी होती है, इसके बारे में उन्होंने काफी रिसर्च किया था. स्टीफन हॉकिंग ने अनुमान लगाया था कि ग्लोबल वार्मिंग और नए वायरसों के कारण संपूर्ण मानवता नष्ट हो सकती है. इनकी खोज की महत्वप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी पीएचडी थीसिस को लाखों बार देखा गया है.
शरीर से जुड़े तमाम मुश्किलों के बीच उन्होंने काफी हिम्मत नहीं हारी. अपनी सफलता का राज बताते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी बीमारी ने उन्हें वैज्ञानिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की है. बीमारी से पहले वे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे लेकिन बीमारी के दौरान उन्हें लगने लगा कि वे लंबे समय तक जिंदा नहीं रहेंगे तो उन्होंने अपना सारा ध्याना रिसर्च पर लगा दिया.
उन्होंने एक बार कहा था- पिछले 49 सालों से मैं मरने का अनुमान लगा रहा हूं. मैं मौत से डरता नहीं हूं. मुझे मरने की कोई जल्दी नहीं है. उससे पहले मुझे बहुत सारे काम करने हैं.
स्टीफन किसी के भी हौंसले को उड़ान देने का जज्बा रखते थे. बच्चों को स्टीफन ने टिप्स देते हुए कहा था – पहली बात तो यह है कि हमेशा सितारों की ओर देखो न कि अपने पैरों की ओर. दूसरी बात कि कभी भी काम करना नहीं छोड़ो, कोई काम आपको जीने का एक मकसद देता है. बिना काम के जिंदगी खाली लगने लगती है. तीसरी बात यह कि अगर आप खुशकिस्मत हुए और जिंदगी में आपको आपका प्यार मिल गया तो कभी भी इसे अपनी जिंदगी से बाहर मत फेंकना.
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