लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्वराज अभियान समिति ने भीम आर्मी के पूर्व प्रमुख चंद्रशेखर के समर्थन में 4 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में समित के सदस्य और पूर्व पुलिस महारनिरीक्षक एसआर दारापुरी न कहा कि पुलिस ने भीम आर्मी के चंद्रशेखर पर रासुका लगाकर दलितों का दमन किया है. उन्होंने कहा कि एक दिन पहले ही चंद्रशेखर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी जिसमें न्यायालय ने माना था कि चंद्रशेखर पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.
दारापुरी ने कहा कि यूपी पुलिस की इस कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि योगी सरकार किसी भी हालत में चन्द्रशेखर को जेल से बाहर नहीं आने देना चाहती क्योंकि उसे डर है कि उसके बाहर आने से दलित वर्ग के लामबंद हो जाने की सम्भावना है. इसे रोकने तथा भीम आर्मी को ख़त्म करने के इरादे से सरकार ने चन्द्रशेखर पर रासुका लगा कर तानाशाही का परिचय दिया है. इसी ध्येय से सरकार ने भीम आर्मी के लगभग 40 सदस्यों पर मुक़दमे लाद दिए हैं जिनमें अधिकतर छात्र हैं जिनका भविष्य अधर में लटक गया है.
पूर्व पुलिस महारनिरीक्षक दारापुरी ने कहा कि सहारनपुर के शब्बिरपुर के दलित अब दोहरे दलित उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं. एक तो ठाकुरों द्वारा उनके घर जलाये गये और चोटें पहुंचाई गयीं, दूसरे उन्हें ही ठाकुरों पर हमले के आरोपी बना कर जेल में डाला गया. वर्तमान में शब्बीरपुर के 9 दलित जेल में है और उनमें से 2 पर रासुका भी लगाया गया है. दलितों को अब तक मिला मुआवजा नुक्सान के मुकाबले बहुत कम है. दलितों द्वारा ठाकुरों के हमले से बचने के लिए की गयी आत्मरक्षा की कार्रवाही को भी ठाकुरों पर हमला मान कर केस दर्ज कर गिरफ्तारियां की गयी हैं.
दारापुरी ने कहा कि शब्बीरपुर के दलितों पर ठाकुरों द्वारे हमले तथा पुलिस द्वारा भीम आर्मी का दमन एवं चन्द्र शेखर पर रासुका योगी सरकार के दलित दमन का प्रतीक है, जिसका सभी दलित संगठनों एवं जनवादी ताकतों द्वारा मज़बूती से विरोध किया जाना चाहिए.
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