नई दिल्ली। भाजपा के सांसद और अनूसूचित जाति व जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के अध्यक्ष उदित राज ने 26 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आरक्षण के समर्थन में एक विशाल रैली की. ‘आरक्षण बचाओ’ रैली में देश भर से हजारों लोग शामिल हुए. इस मौके पर सांसद उदित राज ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में अनुबंध पर काम कराने की प्रवृत्ति से सबसे ज्यादा नुकसान समाज के कमजोर तबके को हुआ है.
रैली को संबोधित करते हुए उदित राज ने आरोप लगाया कि निजीकरण की आड़ में आरक्षण को ख़त्म करने का प्रयास किया जा रहा है और देश में असमानता बढ़ती जा रही है. पहले यह सामाजिक स्तर पर थी लेकिन अब आर्थिक क्षेत्र में भी बढ़ गयी हैं. अधिकतर लोग या तो बेरोजगार हैं या फिर वह कम दैनिक मज़दूरी में काम कर रहें हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर दलित, आदिवासी और पिछड़े तबकों पर पड़ा है.
रैली में परिसंघ की 16 प्रमुख मांगों को लेकर एक मांग पत्र भी जारी किया गया, जिसमें प्रोमोशन यानी पदोन्नति में आरक्षण, निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण, ठेकेदारी प्रथा की समाप्ति, दलितों पर अत्याचार बंद हो और कई अन्य मांगों को शामिल किया गया था. रैली में आये कुछ लोगों ने अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ भी नारेबाज़ी की.
हालांकि सवाल यह है कि जो भाजपा और उसके नेता आरक्षण ख़त्म करने की और संविधान को बदलने की बात करते हैं, उसका सांसद रहते हुए उदित राज सरकार पर कैसे दबाव बना पाएंगे.

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