अलीगढ़। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 10 से 12 साल के पांच बच्चों द्वारा 12 साल के दलित बच्चे की पीट-पीटकर हत्या किए जाने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि दलित लड़के ने नदरोई गांव के चामंडा मंदिर में सजावट के लिए लगाए गए गुब्बारों के छू लिया था. ये गुब्बारे जन्माष्टमी के पर्व पर सजाए गए थे. इसी से गुस्साए पांच नाबालिग लड़कों ने दलित लड़के की पिटाई की.
पुलिस ने इस घटना पर मंगलवार को पांचों नाबालिग लड़कों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है. एसपी क्राइम आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है. शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका है. अभी रिपोर्ट नहीं आई है.
एसपी ने बताया कि पीड़ित का दोस्त सूरज का दावा है कि जब आरोपी पीड़ित को पीट रहे थे तो वह घटनास्थल पर मौजूद था. उसने बताया कि 10 से 12 वर्ष की उम्र के पांच लड़कों ने उसके दोस्त को मना किया कि वह मंदिर में लगे गुब्बारे न छुए. इधर अचानक एक गुब्बारा फूट गया. पांचों गुस्से में उसके दोस्त के ऊपर टूट पड़े.
पेट में किए कई वार
सूरज ने बताया कि पांचों आरोपियों में से एक ने उसके दोस्त के हाथ पकड़े और दो ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए. बाकी के दो ने उसके पेट में लगातार वार करने शुरू कर दिए. वह डरकर और वहां से भागकर घर आया और पीड़ित बच्चे की मां को घटना की जानकारी दी.
पीड़ित बच्चे के चचेरे भाई चंद्रपाल ने बताया कि सूरज ने जैसे ही बच्ची की मां सावित्री देवी को सूचना दी, वह मंदिर की ओर भागीं. वहां उन्होंने देखा कि उनका बेटा जमीन पर पड़ा है. वह उसे उठाकर घर लाईं और गांव के प्रधान श्याम सुंदर उपाध्याय को घटना की जानकारी दी लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
चंद्रपाल ने बताया कि रात में लगभग ढाई बजे उनके भाई के पेट में तेज दर्द हुआ वह उसे लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे यहां उसे कोई फायदा नहीं हुआ. शाम को लगभग चार बजे उसे जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया. उनलोगों ने उसे बुधवार को लगभग 11 बजे अलीगढ़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया. लगभग डेढ़ घंटे में उसकी मौत हो गई. चंद्रपाल ने बताया कि सावित्री के पति की आठ साल पहले मौत हो गई थी. वह मजदूरी करके परिवार चलाती हैं. उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं. मृतक उनका सबसे छोटा बेटा था.
Read it also-संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे जैसों पर कार्रवाई क्यों नहीं
- दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-dast
![](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/DD-logo.jpg)
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
![](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/PLATE.jpg)