हाल ही में स्त्री स्वतंत्रता के मुद्दे पर मलयालम भाषा में बनी मशहूर फिल्म ‘द ग्रेट इन्डियन किचन’ चर्चा में है। साथ ही चर्चा में हैं, इस फिल्म के लिए एक लोकप्रिय गीत की रचना करने वाली दलित समाज की गीतकार ‘मृदुला देवी’। मृदुला को आजकल बहुत सराहा जा रहा है। खास बात यह है कि मृदुला ने एक ऐसी भाषा में गीत लिखा है जिसकी अपनी कोई लिपि नहीं है, यानी कि इस भाषा में आप लिख-पढ़ नहीं सकते। यह भाषा सिर्फ दलितों की पराया जाति द्वारा बोली जाती है।
मृदुला लंबे समय से महिला अधिकार के मुद्दे पर पितृसत्तात्मक व्यवस्था से लड़ रही हैं, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। दरअसल देश का सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य होने के बावजूद केरल में स्त्रियों के खिलाफ अत्याचार कम नहीं हुआ है। फिल्म ‘द ग्रेट इन्डियन किचन’ में इन्ही मुद्दों को उठाया गया है। यह पहली बार है, जब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में पराया जाति की भाषा में एक दलित गीतकार द्वारा कोई गीत लिखा गया है। इसे केरल सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में सामाजिक बदलाव की लहर की सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो राज कपूर के दौर में कवि-गीतकार ‘शैलेन्द्र’ ने यादगार गीत रचे हैं। लेकिन शैलेन्द्र के बाद मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में कोई गीतकार या कलाकार ज्यादा चर्चित नहीं हो पाया। ऐसे में तमिल, कन्नड़ एवं मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से दलित कलाकारों की प्रतिभा को अवसर दिए जाने की खबर सुकून देने वाली है। इसकी एक वजह यह भी है कि तमिल, तेलुगु, कन्नड व मलयाली फिल्म इंडस्ट्री में रामासामी पेरियार की विचारधारा को मानने वाले काफी कलाकार, गीतकार और निर्देशक मौजूद हैं। ऐसे में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में मृदुला बेनु का उभरना देश भर की दलित महिलाओं के लिए एक प्रेरणा देने वाली खबर है।

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