लोकतंत्र का बाभन विमर्श- बिना शर्म-हया के

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‘लोकतंत्र का भविष्य’ शीर्षक से वाणी प्रकाश से एक किताब आई है। इसका संपादन अरूण कुमार त्रिपाठी ने किया है।
इसमें कुल 12 लेख हैं। संपादकीय सहित 13 लेख। संपादक सहित 13 लेखकों में 10 बाभन हैं। करीब 72 प्रतिशत लेखक ब्रह्मा के मुंह से पैदा हुआ बाभन हैं। एक जैन हैं। एक अशरफ मुसलमान भी जगह पाने में सफल हुए हैं।
संपादक-प्रकाशक भूदेवताओं के प्रति इस कदर दंडवत हैं कि उन्होंने किसी ठाकुर, लाला, भूमिहार या किसी अन्य द्विज को इस पंक्ति में खड़ा करने का अपराध नहीं किया।
यह ठीक भी है, बाभनों की पंक्ति में आखिर कौन खड़ा हो सकता है। ठाकुर, लाला और भूमिहार की भी कहां यह औकात है। लेकिन यह हो सकता है कि बाभनों की इस पंक्ति में कोई छद्म वेषी भूमिहार हो। वे क्षमा करें।
पिछड़ों-दलितों और आदिवासियों की बात तो छोड़ ही दीजिए। उनकी कहां औकात है किसी तरह के विमर्श उमर्श शामिल होंने की। वह भी उस विमर्श में जो एक बाभन के नेतृत्व में चल रहा हो। लोकतंत्र जैसे गुरु-गंभीर विषय पर।
इस किताब के संपादक को लोग लोहियावादी-गांधीवादी सोशिलिस्ट कहते हैं।
इस किताब ‘आज के प्रश्न’ श्रृंखला के तहत आई है। जिसकी शुरूआत राजकिशोर जी ने की थी। पता नहीं, उन्होंने कभी इस तरह का बाभन विमर्श कभी किया था या नहीं।
लेखकों का अनुक्रम और परिचय नीचे है-
अनुक्रम
नन्हीं सी जान दुश्मन हजार ………………………………………………………………………….रमेश दीक्षित
लोकतंत्र का पुनर्निर्माण……………   …………………………………………………………………..शंभुनाथ
लोकलुभावनवाद और तानाशाही……   ………………………………………………………….अभय कुमार दुबे
स्वप्न से अंतर्विरोधों तक……………………………. ……………………………………………..नरेश गोस्वामी
पूंजीवाद से परे जाने की जरूरत………………………………………………………………………. विजय झा
लोकतंत्र की धड़कन है आंदोलन…………………………………………………………………………सुनीलम
जनमानस में लोकतंत्र………………………………………………………………………………..गिरीश्वर मिश्र
आपातकाल का अतीत और भविष्य………………………………………………………………..जयशंकर पांडेय
न्यायपालिकाः क्या कुछ संभावना शेष है…………………………………………………………………अनिल जैन
गोदी मीडिया का स्तंभ……………………………………………………………………….अरुण कुमार त्रिपाठी
बराबरी चाहिए अल्पसंख्यकों को ……………………………………………… ……………सैयद शाहिद अशरफ
लोकतंत्र और आदिवासीः कुछ अनसुलझे सवाल…………………………………………………..कमल नयन चौबे
लेखक परिचय—-
रमेश दीक्षित—–जाने माने राजनेता और राजनीतिशास्त्री। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष।
शंभुनाथ——हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक और शिक्षक। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष। संप्रतिः—भारतीय भाषा परिषद के अध्यक्ष और वागर्थ के संपादक।
अभय कुमार दुबे—-जाने माने पत्रकार और समाजशास्त्री।डा भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के अभिलेख अनुसंधान केंद्र के निदेशक।
नरेश गोस्वामी—-शोधार्थी, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता। डा भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में एकेडमिक फेलो।
विजय झा-–मार्क्सवाद, ग्राम्शी और स्त्री विषयों के विशेषज्ञ। डा भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली में एकेडमिक फेलो।
सुनीलम—-पूर्व विधायक और किसान नेता। समाजवादी विचारों के लिए प्रतिबद्ध और समाजवादी आंदोलन में सतत सक्रिय।
गिरीश्वर मिश्र—–अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध मनोविज्ञानी। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति।
जयशंकर पांडेय—पूर्व विधायक और समाजवादी चिंतक मधु लिमए के सहयोगी। समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी।
अनिल जैन—-समाजवादी आंदोलन से प्रतिबद्ध। पत्रकार और लेखक। फिलहाल नई दुनिया में वरिष्ठ सहायक संपादक।
सैयद शाहिद अशरफ—-आंबेडकर विश्वविद्यालय के अभिलेख अनुसंधान केंद्र के एकेडमिक फेलो। यूनाइटेड किंगडम की डरहम यूनिवर्सिटी के फेलो।
कमल नयन चौबेः—दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज के राजनीति शास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर। कई पुस्तकों के लेखक।
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