लखनऊ। शिक्षा मित्रों के हो रहे लगातार विरोध प्रदर्शन का फल मंगलवार (5 सितंबर) को मिला. योगी सरकार ने शिक्षामित्रों को मानदेय 3500 रूपए से बढ़ाकर दस हजार रूपए मासिक करने का फैसला किया. लेकिन शिक्षामित्र इस फैसले से खुश नहीं हुए.
बड़ी संख्या में शिक्षामित्र देवरिया के टाउनहाल से प्रदर्शन करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर धरने पर बैठे गए. आक्रोशित शिक्षामित्रों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. शिक्षामित्रों ने इस मामले को लेकर एक बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि इससे ज्यादा वेतन तो दैनिक मजदूर कमा लेते हैं. सोशल मीडिया पर भी शिक्षामित्र इस फैसले को लेकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
बेसिक शिक्षा अधिकारी उपेंद्र कुमार अपने कार्यालय से कहीं जाने के लिए निकले. शिक्षामित्रों ने उन्हें धरनास्थल पर बुलाकर अपनी बात कही. बीएसए ने नियमानुसार कार्यवाही का भरोसा दिया. कुछ शिक्षामित्रों ने एक स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा शिक्षामित्र कहे जाने पर ऐतराज जताया.
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के उपाध्यक्ष श्याम लाल ने कहा कि सरकार का यह फैसला शिक्षामित्रों को स्वीकार नहीं है. शिक्षामित्र बहुत जल्द इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे भविष्य को लेकर प्रदेश सरकार बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है. एक दैनिक मजदूर भी 10 हजार रुपए से ज्यादा कमा लेता है. सरकार ने किस आधार पर मानदेय़ 10 हजार करने का फैसला किया है. हम इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक पैदल मार्च निकालेंगे.

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