भारत के करोड़ों ओबीसी, दलित एवं आदिवासी छात्रों के लिए एक बड़ी संभावना बन रही है। लंबे समय से शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं के साथ होने वाले भेदभाव को काम करने का रास्ता खोजा जा रहा है। आरक्षित वर्ग से आने वाले बच्चों को ‘कोटा वाला’ कहा जाता है। इस तरह करोड़ों भारतीय बच्चों को जातिवादी और वर्णवादी असमाजिक तत्वों द्वारा सताया जाता है। लेकिन यह स्थिति बदल सकती है और इसकी शुरुआत केरल राज्य से हो सकती है।
केरल कांग्रेस ने घोषणा की है कि अगर केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाला ‘यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ सत्ता में आता है तो केरल में भारत का पहला ‘रोहित वेमुला एक्ट’ लागू होगा। इस एक्ट के जरिए दलित और आदिवासी छात्रों को भेदभाव से लड़ने में मदद मिलेगी। शनिवार 20 फरवरी को जारी यूडीएफ के 2021 केरल चुनाव घोषणापत्र में यह बात कही गई। इससे समझा जा सकता है कि इसका लाभ शूद्र समझे जाने वाले ओबीसी को भी मिलेगा।
कांग्रेस के इस घोषणापत्र में कहा गया है, “हम अपने स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों के खिलाफ जाति आधारित भेदभाव, रैगिंग और पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए ‘रोहत वेमुला अधिनियम’ लागू करेंगे। सन 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय में जातिगत भेदभाव के कारण दलित समाज के छात्र रोहित वेमुला को आत्महत्या करनी पड़ी थी, इस घटना के बाद देश भर के छात्रों और शिक्षाविदों के बीच आंदोलन छिड़ गया था, जिसमें केंद्र सरकार से इस अधिनियम को लागू करने की मांग की गई थी।”

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