Wednesday, May 14, 2025
HomeTop Newsओबीसी के प्रतिनिधित्व पर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

ओबीसी के प्रतिनिधित्व पर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

 भारत के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थानों में भारत के बहुजन समाज के प्रतिनिधित्व पर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक आरटीआई के जवाब में पता चला है कि पुराने आईआईएम संस्थानो में बहुजन प्रोफेसर्स की उपस्थिति दस प्रतिशत से भी कम थी। बीते कुछ सालों में कई सारे नए आईआईएम बनने के बाद भी बहुजनों का प्रतिनिधित्व कमजोर बना हुआ है। यह जानकारी आईआईएम बैंगलोर के एक पीएचडी छात्र द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में हासिल हुई है। इस प्रकार भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में भारत के बहुजन समाज की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व की मांग फिर से उठने लगी है।
देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं पुराने आईआईएम संस्थानों में से एक आईआईएम कोलकाता में एससी-एसटी का एक भी शिक्षक नहीं है जबकि ओबीसी के केवल दो शिक्षक हैं। इस प्रकार आईआईएम कोलकाता के कुल 77 शिक्षकों के बीच बहुजन समाज का प्रतिनिधित्व सिर्फ 3 प्रतिशत है। इसी तरह आईआईएम बैंगलोर में 3 एससी, एक एसटी और 2 ओबीसी शिक्षक हैं। इस प्रकार यहाँ बहुजन प्रतिनिधित्व 6% है। आईआईएम अहमदाबाद ने इस मामले पर किसी भी तरह की जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया है।
यह आँकड़े एक दुखद तस्वीर बयान करते हैं। आजादी के इतने दशकों के बाद भी भारत के समाज में बहुजन जातियों से आने वाले व्यक्तियों की भागीदारी सर्वोच्च शिक्षा संस्थानों में कमजोर बनी हुई है। इस कारण न केवल बहुजन समाज की आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति बाधित हुई है बल्कि देश का लोकतंत्र भी कमजोर होता जा रहा है।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद जहां इसको लेकर बहस शुरू हो गई है तो वहीं ओबीसी समाज के बुद्धीजिवियों ने अपने ही समाज के लोगों पर सवाल उठाया है। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने ट्विट किया है-

दरअसल इस आंकड़े के सामने आने के बाद ओबीसी के भीतर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। देखना यह होगा कि क्या ओबीसी समाज चुपचाप सरकार की इस साजिश को स्वीकार कर लेता है या फिर विरोध करता है।

Read this News in english Click here

लोकप्रिय

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content