मामाजी वो कौन था ?
गांव का था।
दाल,चावल, आंटा,सब्जी, तेल मसाला और रूपए भी मामीजी ने क्यों दिए ?
नेग दिए हैं भांजे ।
नेग क्यों ?
तुम्हारे भाई की शादी है ।
भाई की शादी मे भीखारी को इतना नेग ?
तुम नहीं समझोगे शहर मे रहते हो भांजे ।
क्यों नहीं समझूंगा ? बताइये मामाजी ।
पत्तल लाया था।
फ्री में……?
नहीं तो ।।।।।
फिर इतना सारा राशन क्यों ?खाना खिला देना था।
बहुत गरीब है बेचारा।
खाना क्यों नहीं खिलाये, पूरा तो खाना खाया है।वह घंटों से गांजा पीता रहा।
हमारे घर का नहीं खाएगा।
क्यों …..?
हम लोग चमार हैं ना भांजे।
गलत मामा,चमार तो आदमियत के दुश्मनों ने बनाया है, हम लोग तो चंवरवंश से हैं।
हैं तो पर पाखंडी धर्म- जातिवादी नहीं मानते।
त्याग दो ऐसे धर्म को जहां समानता, मानवता नहीं । देखो भीखारी, गंदा बदबूदार, उसकी सांस संड़ाध मार रही थी,साथ मे खड़ा होने लायक न नहीं था,इतना सम्मान दिया, अपमान कर गया, चमार के घर का नहीं खाऊंगा कहकर चला गया।
भांजे जिनकी चूल्हा गरम की औकात नहीं होती, वही ज्यादा छूआछूत करते हैं।
कौन सी जाति का था वो बदबूदार आदमी ?
मेढक,कछुआ, चूहा का शिकार करने वाला मुसहर।
वो माय गांड मुसहर भी चमार से ऊंचा…….?
डां नन्द लाल भारती
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ye kya likha hai apne. ap ek jati ki vyatha ko vyakt karrahe hai lekin dusari jati ka apman kar rahe hai.