अब बाहर से समर्थन नहीं, सरकार में शामिल होगी बसपा!

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 साल 2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा था। बसपा ने प्रदेश के छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन दिया था। लेकिन सत्ता के लालच में बसपा के सभी छह विधायकों ने खुद को कांग्रेस में विलय कर लिया था और इस तरह छह सीटों जीतने के कुछ महीने बाद ही बसपा की राजस्थान में जीरो सीट हो गई थी।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती का कहना है कि अब बसपा बाहर से समर्थन देने की बजाय सरकार में शामिल होगी यानी अब पार्टी के विधायक सरकार में मंत्री बनेंगे।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और तेलंगाना जैसे चार महत्वूपर्ण राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बहनजी ने 25 जुलाई को समीक्षा बैठक के दौरान यह फैसला किया। इन राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बहनजी ने प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में बसपा सुप्रीमो ने कहा कि “बी.एस.पी कई राज्यों में बैलेन्स ऑफ पावर बनकर जरूर उभरी है, किन्तु बी.एस.पी विरोधी जातिवादी तत्व सरकार बनाने के अपने लोभ में साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों घिनौने हथकण्डे अपना कर बी.एस.पी. के विधायकों को तोड़ लेते हैं। जिससे जनता के साथ विश्वासघात करके घोर स्वार्थी जनविरोधी तत्व सत्ता पर काबिज हो जाते हैं। ऐसा बार-बार होने से बी.एस.पी मूवमेंट को भी काफी आधात पहुंचता है। अतः आगे इन विधानसभा आम चुनाव के बाद बैलेन्स ऑफ पावर बनने पर लोगों की चाहत के हिसाब से सरकार में शामिल होने पर विचार किया जाएगा।”

बहनजी ने आगे कहा कि हालांकि बसपा ने उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में चार बार अपनी सरकार बनाई है और बाबासाहेब आंबेडकर और मान्यवर कांशीराम के सपनों को जमीन पर उतारने का शानदार काम किया है। लेकिन दूसरे राज्यों में भी बैलेन्स ऑफ पावर बनकर सरकार में शामिल होकर करोड़ों गरीबों, शोषितों और उपेक्षितों के हित व कल्याण के लिए काम किया जा सकता है। साथ ही उन पर होने वाले जुल्म-ज्यादती व अन्याय-अत्याचार आदि को रोकने का काम भी किया जा सकता है।

बहनजी कि इस नई घोषणा और रणनीति का बसपा समर्थकों और पार्टी के नेताओं ने स्वागत किया है। और इसे जरूरी और साकारात्मक फैसला बताया जा रहा है। दरअसल बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन कई राज्यों में काफी बेहतर होता रहा है। इसमे छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। बसपा का दक्षिण में भी जनाधार है और पार्टी यहां भी सीटें जीतने में सफल रही है। लेकिन अपनी अब तक की नीति के कारण बहुजन समाज पार्टी कहीं भी सरकार में शामिल होने की बजाय बाहर से समर्थन देती रही है, जिससे उसके विधायकों में असंतोष रहता है। लेकिन चार राज्यों के चुनाव के पहले बसपा सुप्रीमों द्वारा लिये गए इस नए राजनैतिक फैसले से निश्चित तौर पर बसपा के प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ जाएगा।

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