बिहार की राजनीति में बड़ा कद रखने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। रघुवंश प्रसाद सिंह के नाम का नाम हाल में राजद से इस्तीफा देने के कारण सुर्खियों में रहा। उन्होंने दिल्ली में एम्स के बिस्तर से चिट्ठी लिखकर अपना इस्तीफ़ा भेजा लेकिन लालू यादव ने उसे ख़ारिज करते हुए लिखा कि आप कहीं नहीं जा रहे। लेकिन रघुवंश जी ने लालू यादव की बात नहीं मानी। वह दुनिया छोड़ गए।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उन्हें याद करते हुए ट्विट किया है- ‘प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया? मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है. लेकिन आप इतनी दूर चले गए. नि:शब्द हूं. दुःखी हूं. बहुत याद आएंगे.’
रघुवंश बाबू बाहरी आवरण में एक गंवई नेता थे। लेकिन असल में वह एक विद्वान और सच्चे जन प्रतिनिधि थे। लालू यादव के पहले रघुवंश सिंह कर्पूरी ठाकुर के पीछे खड़े रहे। इसका जिक्र उन्होंने खुद अपने इस्तीफे में किया था। रघुवंश प्रसाद सिंह को बेहतर तरीके से बताने वाला यह लेख पढ़िए।
अशोक दास साल 2006 से पत्रकारिता में हैं। वह बिहार के गोपालगंज जिले से हार्वर्ड युनिवर्सिटी, अमेरिका तक पहुंचे। बुद्ध भूमि बिहार के छपरा जिला स्थित अफौर गांव के मूलनिवासी हैं। राजनीतिक विज्ञान में स्नातक (आनर्स), देश के सर्वोच्च मीडिया संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान, (IIMC) जेएनयू कैंपस दिल्ली’ से पत्रकारिता (2005-06 सत्र) में डिप्लोमा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एम.ए। लोकमत, अमर उजाला, भड़ास4मीडिया और देशोन्नति (नागपुर) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया। पांच साल (2010-2015) तक राजनीतिक संवाददाता रहे, विभिन्न मंत्रालयों और भारतीय संसद को कवर किया।
अशोक दास ‘दलित दस्तक’ (27 मई 2012 शुरुआत) मासिक पत्रिका, वेबसाइट, यु-ट्यूब के अलावा दास पब्लिकेशन के संस्थापक एवं संपादक-प्रकाशक भी हैं। अमेरिका स्थित विश्वविख्यात हार्वर्ड युनिवर्सिटी में Caste and Media (15 फरवरी, 2020) विषय पर वक्ता के रूप में अपनी बात रख चुके हैं। 50 बहुजन नायक, करिश्माई कांशीराम, बहुजन कैलेंडर पुस्तकों के लेखक हैं।
