करप्शन पर मोदी सरकार का दूसरा बड़ा वार, फिर 15 अफसरों को जबरन किया रिटायर

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नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 में सरकारी विभागों की सफाई यानी नाकारा अफसरों को निकालने का सिलसिला लगातार जारी है. मंगलवार, 18 जून को फिर सरकार ने वित्त मंत्रालय के 15 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का निर्णय लिया. इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर के ख‍िलाफ भ्रष्टाचार, घूसखोरी के आरोप हैं.

मंगलवार, 18 जून को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और कस्टम (Central Board of Indirect Taxes and Customs) विभाग के जबरन रिटायर किए गए अफसरों का पद और नाम इस प्रकार है- प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ. अनूप श्रीवास्तव, कमिश्नर अतुल दीक्ष‍ित, कमिश्नर संसार चंद, कमिश्नर हर्षा, कमिश्नर विनय व्रिज सिंह, अडिशनल कमिश्नर अशोक महिदा, अडिशनल कमिश्नर वीरेंद्र अग्रवाल, डिप्टी कमिश्नर अमरेश जैन, ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार, असिस्टेंट कमिश्नर एसएस पाब्ना, असिस्टेंट कमिश्नर एसएस बिष्ट, असिस्टेंट कमिश्नर विनोद सांगा, अडिशनल कमिश्नर राजू सेकर डिप्टी कमिश्नर अशोक कुमार असवाल और असिस्टेंट कमिश्नर मोहम्मद अल्ताफ.

इसके पहले भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही सख्त फैसला लिया था. पिछले हफ्ते टैक्स विभाग के ही 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर (Compulsory Retirement) कर दिया गया था. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय के इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है. इस तरह अब तक कुल 27 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया गया है.

पिछले हफ्ते नियम 56 के तहत रिटायर किए गए सभी अधिकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे.

क्या है नियम 56?

दरअसल, रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है.

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मायावती ने लगाया सरकार पर दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने का आरोप

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. मायावती ने ट्वीट कर कहा, “उप्र के प्रतापगढ़ में दलित किसान की जलाकर कथित हत्या, डॉक्टरों की कल हड़ताल के दौरान लोहिया अस्पताल में उत्पात वास्तव में ज्यादती की उस श्रृंखला की ताजा कड़ी है जो लोकसभा चुनाव के बाद दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हैं.”

बसपा प्रमुख ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि ये घटनाएं अति-दुःखद और निन्दनीय हैं. उन्होंने सरकार से इस पर ध्यान देने की मांग की. मायावती ने एक अन्य ट्वीट में पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल के बारे में कहा, “प. बंगाल सरकार झुकी और डॉक्टरों की एक दिन की अखिल भारतीय हड़ताल सोमवार की शाम को समाप्त हो गई. परन्तु इस दौरान दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित देश भर में करोड़ों मरीजों का जो बुरा हाल हुआ और अनेकों मासूम जानें गई, उनकी खबरों से आज के अखबार भरे पड़े हैं. लेकिन इन बेगुनाह लोगों की परवाह सरकार तथा कोई और क्यों करे?”

मायावती लोकसभा चुनाव के बाद से केंद्र सरकार पर अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए लगातार निशाना साध रही हैं. पिछले दिनों उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी को राष्ट्रीय समस्या करार देते हुए इसके लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया था. मायावती ने बेरोजगारी पर सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से ट्वीट कर कहा था कि ‘देश में बेरोजगारी ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्या है. सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि पिछले सालों में गांवों के युवाओं में बेरोजगारी की दर तीन गुना बढ़ गई है जो इस धारणा के विपरीत है कि शहरों की तुलना में गांवों में बेरोजगारी कम रहती है’. उन्होंने पूछा ‘क्या सरकारी नीतियां इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं?’

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एनआईटी हमीरपुर के छात्र को उत्तर भारत में सबसे बड़ा पैकेज

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर के एक प्रशिक्षु को उत्तर भारत के अब तक के सबसे बड़े सवा करोड़ के सालाना पैकेज पर नौकरी मिली है. अमेरिका की नामी मल्टी नेशनल कंपनी ने साफ्टवेयर इंजीनियर परम सिंह को 1.20 करोड़ सालाना पैकेज का ऑफर लेटर दिया है.

इस प्रशिक्षु ने पांच साल के भीतर कंप्यूटर साइंस में एक साथ बीटेक और एमटेक की दोहरी डिग्री हासिल की है. आमतौर पर बीटेक के लिए चार वर्ष और एमटेक के लिए अतिरिक्त दो वर्ष का डिग्री कोर्स होता है.

चयनित प्रशिक्षु इंजीनियर उत्तरप्रदेश का रहने वाला है. इस छात्र की कंप्यूटर भाषाओं और कोडिंग में स्पेशलाइजेशन है. विषय पर उसकी पकड़ को देख उसे पढ़ाने वाले प्राध्यापक भी कई बार हैरान रह जाते थे. पिछले साल एनआईटी का सर्वाधिक पैकेज 75 लाख रुपये सालाना था.

लेकिन इस बार करीब सवा करोड़ के इस पैकेज को उत्तर भारत का अब तक का रिकॉर्ड माना जा रहा है. उत्तर भारत में एनआईटी दिल्ली, एनआईटी जालंधर, श्रीनगर, कुरुक्षेत्र और हमीरपुर आते हैं. एनआईटी हमीरपुर ने उत्तर भारत के सभी आधा दर्जन एनआईटी को पछाड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है.

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पाकिस्तान के आगाह करने के 48 घंटे बाद ही घाटी में 3 आतंकी हमले

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली। पाकिस्तान द्वारा भारत को आतंकी हमले को लेकर सूचना दिए जाने के 48 घंटे बाद ही घाटी में सोमवार को सुरक्षाबलों पर तीन आतंकी हमले हुए. इसमें से अनंतनाग में हुई मुठभेड़ के दौरान मेजर शहीद हो गए. वहीं दो अन्य हमलो में सुरक्षाबल जख्मी हुए.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से भारत को आगाह किया गया था कि कुछ दिन पहले मारे गए अंसार गजावत उल हिंद के कमांडर जाकिर मूसा की मौत का बदला लेने के लिए आतंकी हमले की योजना बना रहे हैं. इस सूचना को पाक ने अमेरिका से भी साझा किया था, जिसके बाद यूएस की ओर से भी भारत को इसके इनपुट दिए गए थे.

24 घंटों में तीन हमले

पहला हमला अनंतनाग जिले के अचबल में सुरक्षाबलों को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. इसके बाद इलाके में तलाशी अभियान चलाया गया. आतंकियों की इसकी भनक लगी और उन्होंने सुरक्षाबलों पर हमला करना शुरू कर दिया. इस हमले में एक मेजर की मौत हुई वहीं एक अन्य अधिकारी और दो जवान घायल हो गए. मुठभेड़ के दौरान एक आतंकी को भी ढेर कर दिया गया, जिससे हथियार और गोला बारूद भी बरामद किया गया है.

दूसरा हमला पुलवामा के अरिहल गांव में सेना की राष्ट्रीय राइफल्स के एक वाहन पर आईईडी के जरिए हमला किया गया. एक अधिकारी ने बताया जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सोमवार को आतंकवादियों ने सेना के एक गश्ती काफिले को निशाना बनाते हुए एक वाहन से बंधे आईईडी में विस्फोट कर दिया, जिसमें नौ जवान और दो नागरिक घायल हो गए. उन्होंने बताया दक्षिण कश्मीर के इस जिले में अरिहाल-लस्सीपोरा सड़क पर आतंकवादियों ने ईदगाह अरिहाल के पास 44 राष्ट्रीय रायफल्स के कई वाहनों वाले गश्ती दल को निशाना बनाया. हमला होते ही सेना के जवान तुरंत हरकत में आ गए और इलाके को घेर लिया और किसी दूसरे हमले को टालने के लिए हवा में गोलियां चलाईं.

तीसरा हमला सेना के वाहन पर हमले के बाद त्राल में सीआरपीएफ की 180वीं बटैलियन के मुख्यालय पर ग्रेनेड फेंककर हमला किया गया. अज्ञात हमलावरों ने मुख्यालय में मौजूद जवानों को निशाना बनाने की साजिश रची, हालांकि यह ग्रेनेड कैंप के बाहर की गिरकर फट गया. इस हमले में किसी के भी हताहत होने की सूचना नहीं है.

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बीजेपी सांसद ओम बिड़ला होंगे लोकसभा के नए स्पीकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार चौंकाया है. राजस्थान के कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के नए स्पीकर होंगे. लोकसभा अध्यक्ष का नाम घोषित किए जाने के साथ ही पीएम मोदी ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया है.

ओम बिड़ला की पत्नी अमिता बिड़ला ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व और खुशी का क्षण है. हम उन्हें (ओम बिड़ला को) चुनने के लिए कैबिनेट के बहुत आभारी हैं.

लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव आज होना है. लिहाजा लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. बीजेपी से जीतकर आए वरिष्ठ नेताओं के नाम पर मंथन चल रहा था.

लोकसभा अध्यक्ष बनने की रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह, रमापति राम त्रिपाठी, एसएस अहलुवालिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार जैसे कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल बताए जा रहे थे. मोदी सरकार के 2.0 में लोकसभा अध्यक्ष के पद पर कौन विराजमान होगा, इसका फैसला अब हो गया.

बहरहाल, राजस्थान के कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के नए स्पीकर होंगे. ओम बिड़ला आज ही अपना नामांकन दाखिल करेंगे, जिसके बाद बुधवार को सदन में इसपर मतदान होगा. क्योंकि NDA के पास लोकसभा में बहुमत है, ऐसे में उनका ही लोकसभा स्पीकर बनना तय माना जा रहा है.

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विराट, रोहित व राहुल ने रचा इतिहास,

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विराट कोहली को मौजूदा दौर में दुनिया का सबसे खतरनाक बल्लेबाज माना जाता है. उनका बल्ला लगातार रन उगल रहा है. पाकिस्तान के खिलाफ भी ICC World Cup 2019 के मुकाबले में उन्होंने 77 रन की शानदार पारी खेली. हालांकि, रोहित शर्मा की 140 रन की पारी के आगे कोहली की यह 51वां अर्द्धशतक कहीं गुम हो गया. इस दौरान कोहली ने सबसे तेज 11 हजार रन बनाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. विराट कोहली ने अब तक 230 वनडे मैच खेले हैं. इनमें से आठ पारियों में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला, बाकी बची कुल 222 पारियों में उन्होंने 11020 हजार रनों का आंकड़ा छुआ है. महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने 11 हजार रनों के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 276 पारियां खेली थीं.

मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में पहली बार ओपनिंग करने उतरी रोहित शर्मा और केएल राहुल की जोड़ी ने इतिहास रच दिया. दोनों ने मिलकर रविवार को कई शानदार रिकॉर्ड्स बनाए. पहले विकेट के लिए हुई इस शतकीय साझेदारी के दौरान एक के बाद एक कई रिकॉर्ड्स धराशाई होते गए.

इस मैच से पहले पाकिस्तान के खिलाफ पहले विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी का रिकॉर्ड सचिन और सिद्धू के नाम था. दोनों ने 1996 के विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ पारी की शुरुआत करते हुए 90 रन बनाए थे. अब सबसे बड़ी ओपनिंग जोड़ी का रिकॉर्ड रोहित-राहुल के नाम हो गया. दोनों ने पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े. रोहित 113 गेंदों में 140 रन बानकर पवेलियन लौटें, जबकि राहुल ने 57 रन की सधी हुई पारी खेलकर आउट हुए

रोहित शर्मा और केएल रोहित ने 136 रन की साझेदारी के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में किसी भी विकेट के लिए सबसे बड़ी साझेदारी का रिकॉर्ड बना दिया. इसके पहले शिखर धवन और विराट कोहली ने 2015 विश्व कप में दूसरे विकेट के लिए एडिलेड में 129 रन जोड़े थे.

रोहित शर्मा ने इंग्लैंड में सबसे अधिक छक्के लगाने के सौरव गांगुली (17) के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया. वह अब भारत की ओर से इंग्लैंड की जमीन पर सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले बल्लेबाज बन चुके हैं.

राहुल और रोहित की इस मैच में शतकीय साझेदारी से पहले वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ अब तक दो शतकीय साझेदारी हुई है. 2003 में मोहम्मद कैफ और सचिन तेंदुलकर के बीच शतकीय साझेदारी हुई थी और दूसरी 2015 के विश्व कप में विराट और शिखर धवन ने पाकिस्तान के खिलाफ शतकीय साझेदारी की थी.

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गर्मी से सहमे प्रशासन ने जिले में लगाई धारा 144

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देशभर में भीषण गर्मी ने लोगों की हालत पस्त कर दी है, लेकिन बिहार में हीट वेव का कहर इस क़दर बढ़ गया कि प्रशासन को इलाके में धारा 144 लगानी पड़ गई. ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी राज्य में गर्मी ने हालात इतने खराब कर दिए हों कि प्रशासन धारा 144 लगाने पर मजबूर हो जाए. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बिहार में अब तक 78 लोगों की मौत लू लगने से हो गई हैं. हालांकि गैर सरकारी आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है.

गर्मी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में गया, नवादा और औरंगाबाद हैं. हालांकि लू की वजह से मौत की खबरें पटना के ग्रामीण इलाकों के अलावा शेखपुरा और मुंगेर से भी मिल रही हैं. सरकार ने लू से बचने के लिए एडवाजरी जारी करते हुए लोगों से कहा है कि जब बहुत जरूरी हो तभी वो घर से निकले. लू से सबसे ज्यादा मौतें 50 से ज्यादा उम्र के लोगों की हुई हैं. इसके लिए गया प्रशासन ने मौसम सामान्य होने तक जिले में धारा 144 लागू कर दी हैं.

गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने भीषण गर्मी और लू को देखते हुए निर्देश जारी करते हुए कहा है कि मौसम सामान्य होने तक धारा 144 लागू कर दी गई हैं. यानि इस दौरान कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम, राजनैतिक कार्यक्रम, धरना प्रदर्शन और लोगों के एक जगह जमा रहने पर रोक रहेगी. यानि खुले स्थानों पर कार्यक्रम के लिए ये निषेधाज्ञा लागू रहेगी. यह पहला मौका है कि जब मौसम को लेकर धारा 144 लागू कर दी गई हैं.

सुबह 11 बजे के बाद नहीं होगा निर्माण कार्य

डीएम ने अपने निर्देश में यह भी कहा कि मनरेगा की कोई योजना सुबह 10.30 बजे के बाद से नहीं चलेगी. कोई भी निर्माण कार्य 11 बजे सुबह से शाम 4 बजे तक नहीं किया जाएगा. प्रशासन का मानना है कि निर्माण कार्यों में लगे मजदूर इसके शिकार हो रहें हैं. इस दौरान बाजार बंद रखने का निर्दश जारी किया गया हैं. यानी 11 बजे से शाम 4 बजे तक सभी दुकानें बंद रखने का निर्देश हैं. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि इस दौरान वो घर में ही रहें और बहुत जरूरी काम पर ही निकले. दोपहर में घर से ना निकले और अधिक मात्रा में पानी का सेवन करें.

मगध प्रमंडल के आयुक्त पंकज पाल लू के चपेट आए मरीजों की हालत देखने एनएमसीएच गए और हालात का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों से हाल चाल जाना और व्यवस्थाओं की पूरी जानकारी अस्पताल प्रशासक के अधिकारियों से ली. उन्होंने अस्पताल प्रशासक को कई अतिआवश्यक निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि इस भीषण गर्मी में काफी संख्या में लू के चपेट में आने से मौत हुई है. जो बिहार के लिए शॉक है. उन्होंने कहा कि जो आंकड़े मगध के मिल रहे है, वो लगभग 106 मरीज हमारे पास आए है. सभी अभी खतरे से बाहर बताए जा रहे है. इस दुःख की घड़ी में सरकार पूरी तरह उन परिजनों के साथ खड़ी है जिनकी मृत्यु हुई.

उन्होंने आगे कहा कि हमने जो अस्पताल की व्यवस्था देखी है, यहां प्राप्त मात्रा में दवा, बेड और स्पेशल चिकित्सक तैनात हैं. किसी प्रकार की कमी नहीं है. उन्होंने इस प्राकृतिक आपदा में लोगों से अपील की है कि लू से बचाव पूरी तरह करें.

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आरक्षण खत्म किया जा रहा है और सरकार कह रही है आरक्षण जिंदाबाद!

केंद्रीय नौकरशाही के उच्च पदों पर एससी-एसटी-ओबीसी के अफसर पहले से ही कम हैं.ऐसे में बिना आरक्षण के हो रही लैटरल एंट्री से उनका प्रतिनिधित्व और घट जाएगा.

करीब दो साल पर पहले जोधपुर में एक अखबार के कार्यक्रम में बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यन स्वामी ने कहा था कि ‘हमारी सरकार आरक्षण को पूरी तरह खत्म नहीं करेगी.ऐसा करना पागलपन होगा.लेकिन हमारी सरकार आरक्षण को उस स्तर पर पहुंचा देगी, जहां उसका होना या नहीं होना बराबर होगा.यानी आरक्षण निरर्थक हो जाएगा.’

आज आप चाहें तो सुब्रह्मण्यन स्वामी को बधाई दे सकते हैं कि आने वाले वक्त को उन्होंने बिल्कुल सही पढ़ लिया था और सही भविष्यवाणी की थी.

भर्तियों में लागू हो गई है लैटरल एंट्री

केंद्र सरकार ने नौकरशाही में बाहर के क्षेत्रों से जानकारों को लाने की एक नई प्रणाली लागू की है.जिसमें कैंडिडेट से कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी और उनकी निय़ुक्तियों में कोई आरक्षण भी लागू नहीं होगा.यानी जिस तरह से अभी यूपीएसससी की सिविल सर्विस परीक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत अफसर एससी-एसटी-ओबीसी कटेगरी से आते हैं, वैसा इन नियुक्तियों में नहीं होगा.इसे लैटरल एंट्री नाम दिया गया है. इस तरीके से 9 अफसर आ चुके हैं, जिन्हें ज्वायंट सेक्रेटरी के स्तर पर विभिन्न मंत्रालयों में ज्वाइन करना है.ज्वायंट सेक्रेटरी लेवल के अफसर सरकार के लिए नीतियां बनाते हैं.इसके अलावा 40 और अफसर भी डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी स्तर पर लिए जाएंगे.

1. नौकरशाही में लैटरल एंट्री: भारत में नौकरशाही के लिए अफसरों के चयन की एक संविधान प्रदत्त प्रणाली है.इसके लिए यूपीएससी और राज्यों के पब्लिक सर्विस कमीशन का संविधान में प्रावधान है.संविधान में अनुच्छेद 315 से लेकर 323 तक में इस बात का जिक्र है कि नौकरशाही के लिए चयन का पूरा सिस्टम कैसा होगा पब्लिक सर्विस कमीशन से बाहर से इक्के-दुक्के लोगों को पहले भी सरकारें नौकरशाही में लाती रही हैं.लेकिन ये कभी उस स्तर पर नहीं हुआ, जो मोदी सरकार के समय में हो रहा है.जब केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव के मतदान के बीच में ही नौ ज्वायंट सेक्रेटरी की नियुक्ति की घोषणा की तो मीडिया ने उसे अब तक की सबसे बड़ी ऐसी नियुक्ति करार दिया.

लेकिन इन बयानों से परे नरेंद्र मोदी शासन में तीन ऐसी चीजें हो रही है, जिससे आरक्षण का प्रावधान काफी कमजोर हो जाएगा और सुब्रह्मण्यन स्वामी के शब्दों में ‘निरर्थक’ हो जाएगा.

लैटरल एंट्री में रिजर्वेशन के संवैधानिक प्रावधानों को लागू करने की व्यवस्था नहीं है इंडियन एक्सप्रेस के श्यामलाल यादव ने जब कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत ये पूछा कि लैटरल एंट्री में रिजर्वेशन है या नहीं, तो मंत्रालय ने जवाब में कहा कि ‘इस योजना के तहत जो पद भरे जाने हैं, वे एकल पद हैं और चूंकि एकल पद में रिजर्वेशन लागू नहीं होता, इसलिए इन नियुक्तियों में रिजर्वेशन नहीं दिया गया है.’

लैटरल एंट्री के तहत पहली खेप में चुने गए नौ कैंडिडेट के नाम हैं – अम्बर दुबे, राजीव सक्सेना, सुजीत कुमार वाजपेयी, सौरभ मिश्रा, दयानंद जगदले, काकोली घोष, भूषण कुमार, अरुण गोयल और सुमन प्रसाद सिंह.श्यामलाल यादव को आरटीआई के जवाब में बताया गया कि चूंकि इन कैंडिडेट का चयन रिजर्वेशन के आधार पर नहीं हुआ है, इसलिए इनकी कटेगरी नहीं बताई जा सकती.इनमें से कोई भी कैंडिडेट एससी, एसटी, ओबीसी का नहीं है, जिसके आधार पर दलित आइएएस अफसर इस स्कीम को गैर-कानूनी करार दे रहे हैं.

ऐसा माना जा रहा है कि बगैर आरक्षण दिए जिस तरह से नौ नियुक्तियां हुई हैं, उसी तरह आगे भी और नियुक्तियां होंगी.नीति आयोग ने ऐसे 54 पदों की पहचान कर ली है, जिन्हें लैटरल एंट्री से भरा जा सकता है.अगर आगे ये चलन जारी रहा, तो कहने को तो संविधान में रिजर्वेशन के प्रावधान बने रहेंगे, लेकिन वास्तविक अर्थों में रिजर्वेशन काफी हद तक खत्म हो जाएगा.

सरकारी नौकरियों में कटौती: यूपीएससी से सेंट्रल सिविल सर्विस के लिए हो रहे सलेक्शन की संख्या लगातर गिरती जा रही है.दिप्रिंट की सान्या ढींगरा ने खबर दी थी कि ‘2014 में यूपीएससी ने 1,236 अफसरों के नाम नियुक्तियों के लिए सरकार के पास भेजे थे.2018 में ये संख्या घटकर 759 रह गई.’ कम नियुक्तियों का मतलब है कोटा से कम कैंडिडेट का आना चूंकि आरक्षण सिर्फ सरकारी नौकरियों में है, इसलिए सरकारी नौकरियों में कटौती का मतलब आरक्षण का कमजोर होना भी है.

सरकारी कंपनियों का निजीकरण और सिंकुड़ता आरक्षण: सेना को छोड़ दें तो देश में लगभग डेढ़ करोड़ सरकारी कर्मचारी हैं. इनमें से 11.30 लाख कर्मचारी और अफसर केंद्र सरकार के उपक्रमों यानी सेंट्रल पीएसयू में हैं.केंद्र सरकार नीति आयोग की सलाह पर 42 पीएसयू को बेचने या उन्हें बंद करने पर विचार कर रही है.हालांकि पीएसयू की खासकर वित्तीय बदइंतजामी और उनका घाटे में होना एक वाजिब समस्या है और इसका समाधान खोजा जाना चाहिए.लेकिन साथ में इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि वे देश में नौकरियों के प्रमुख स्रोत भी हैं.

पीएसयू की नौकरियों में आरक्षण लागू है.लेकिन, निजी हाथ में बिकते ही पीएसयू का मालिकाना चरित्र बदल जाता है और वहां आरक्षण बंद हो जाता है.क्या सरकार ऐसा कोई बंदोबस्त कर रही है कि किसी कंपनी के बिक जाने पर भी वहां नियुक्तियों में रिजर्वेशन लागू रहे? इस बारे में कभी कोई चर्चा भी नहीं हुई है.और फिर भारत न अमेरिका है और न ही फ्रांस, ब्रिटेन या कनाडा कि निजी क्षेत्र खुद ही डायवर्सिटी का ख्याल रिक्रूटमेंट के दौरान रखे.

प्रोफेसर सुखदेव थोराट और पॉल अटवेल ने भारत में निजी क्षेत्र की नौकरियों में भेदभाव के चरित्र को समझने के लिए एक अध्ययन किया था.इसके तहत अखबारों में निजी कंपनियों के जो विज्ञापन आए थे, उनके जवाब में एक ही जैसे बायोडाटा अलग-अलग जातिसूचक, धर्मसूचक नाम के साथ कंपनियों को भेजे गए.ये पाया गया कि अगर आवेदक का नाम/सरनेम हिंदू सवर्णों वाला है तो उसे इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने के चांस ज्यादा हैं.एक जैसे बायोडाटा भेजने पर, 100 सवर्ण हिंदुओं के मुकाबले सिर्फ 60 दलितों और 30 मुसलमानों को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया गया.इससे पता चलता है कि नौकरियां देने के मामले में सामाजिक पृष्ठभूमि की भूमिका होती है.बेशक कॉरपोरेट सेक्टर कहता रहे कि वे तो सिर्फ मेरिट देख कर नौकरियां देते हैं.

इसे देखते हुए यूपीए सरकार के समय में निजी क्षेत्र में आरक्षण का प्रस्ताव आया था.लेकिन उद्योग और कारोबार संगठनों ने इसका विरोध किया और सरकार को प्रस्ताव दिया कि वंचित तबकों को हुनर सिखाने और शिक्षित करने में वे भी सहयोग करेंगे.कहना मुश्किल है कि निजी कंपनियों ने इस दिशा में कितना काम किया है.निजी क्षेत्र में आरक्षण के बारे में पिछली एनडीए सरकार का ये कहना था कि इस बारे में संबंधित पक्षों की आम सहमति नहीं बन पाई है.

संविधान में आरक्षण का प्रावधान

आने वाले समय में ऐसा हो सकता है कि चौतरफा हमलों के बीच आरक्षण खत्म हो जाए या कमजोर पड़ जाए.ऐसे में ये जानना उपयोगी होगा कि संविधान आरक्षण को लेकर क्या कहता है.

अनुच्छेद15 (4) – इस अनुच्छेद (15) की या अनुच्छेद 29 के खण्ड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिये या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबन्ध करने से नहीं रोकेगी.

अनुच्छेद16 (4) – इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए उपबंध करने से नहीं रोकेगी.

अनुच्छेद 46– राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के खासकर,अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से आगे बढ़ाएगा और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उसकी रक्षा करेगा.

अनुच्छेद 335 – संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप से संबंधित सेवाओं और पदों के लिए नियुक्तियाँ करने में, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के दावों का प्रशासन की दक्षता बनाए रखने की संगति के अनुसार ध्यान रखा जाएगा.

इनमें से अनुच्छेद 15 और 16 को संशोधित करके अब तक अनारक्षित रहे गए सामाजिक समूह के गरीबों यानी सवर्ण ईडबल्यूएस को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है.इसके लिए गरीबी की एक परिभाषा बनाई गई है.इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और मामला वहां लंबित है.

कुल मिलाकर देखा जाए तो भारतीय संविधान समानता के सिद्धांत को स्वीकार करते हुए भी यह मानता है कि जाति, लिंग, धर्म आदि के आधार पर हर व्यक्ति समान नहीं है और इस भेदभाव को स्वीकार करते हुए वंचित समूहों को लिए अलग से प्रावधान किए गए हैं.आरक्षण का अधार यही सिद्धांत है कि समूहों के सदस्य के तौर पर हर व्यक्ति समान नहीं हैं.सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज पी.बी. सावंत इसकी व्याख्या करते हुए कहते हैं कि ‘अगर समाज के हर तबके के पास समानता की स्थिति का फायदा उठाने की क्षमता और संसाधन न हो तो समानता का अधिकार वंचित तबकों के लिए क्रूर मजाक बन जाएगा.संविधान में जो विशेष प्रावधान है, उनका मकसद राज्य को इस बात के लिए सक्षम बनाना है कि वह वंचितों को इन फायदों का लाभ उठाने के काबिल बनाए, जो अन्यथा इनका लाभ नहीं उठा पाते.’

मौजूदा स्थितियों में आरक्षण

अगर हम नौकरियों की घटती संख्या, सरकारी क्षेत्र के निजीकरण और नौकरशाही में हो रही लैटरल एंट्री में आरक्षण की अनदेखी को मिलाकर देखें तो ये कहा जा सकता है कि वास्तव में आरक्षण ऐसी स्थिति में पहुंच रहा है, जहां इसके होने या नहीं होने में खास अंतर नहीं रह जाएगा.ये इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक है.क्योंकि सरकार खुद भी मानती है कि नौकरशाही के उच्च पदों पर वंचित समूहों के लोग काफी कम हैं.मिसाल के तौर पर पिछली सरकार में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने 2017 में सूचना दी थी कि केंद्र सरकार में डायरेक्टर से और उससे ऊपर के कुल 747 पदों में से एससी अफसर सिर्फ 60 और एसटी अफसर सिर्फ 24 हैं.

ऐसे में सरकार ने वंचित तबकों को सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के अपने संवैधानिक दायित्व (अनुच्छेद 16-4) को पूरा करने की जगह एक ऐसी नीति पर चलने का फैसला किया है, जिससे उनका प्रतिनिधित्व और कम हो जाएगा.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार ” Dilip Mandal” हैं और लेख उनके निजी विचार हैं)

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पति को पेड़ से बांधकर महिला से सामूहिक दुष्कर्म, वीडियो बना कर दिया वायरल

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उत्तर प्रदेश में रामपुर के मिलक थाना क्षेत्र में महिला के साथ गैंगरेप के बाद वीडियो वायरल करने की शर्मनाक घटना सामने आई है. दरिंदगी की शिकार महिला पति के साथ दवा लेने जा रही थी. रास्ते में चार लोगों ने दंपति को रोककर उनके साथ बदसलूकी करते हुए गाली-गलौच की. इसके बाद चारों ने पति को पेड़ से बांधकर महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर डाला. यही नहीं आरोपियों ने घटना का वीडियो बना लिया. बाद में अश्लील क्लीपिंग भी वायरल कर दी. एसपी के आदेश पर चार अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके पुलिस मामले की जांच कर रही है.

दरिंदगी की यह घटना बीते 11 जून की है. लोकलाज के डर से पीड़ित दंपति शर्मसार करने वाली घटना के बाद चुप बैठा था. आरोपियों ने घटना का वीडियो वायरल कर दिया. इसके बाद शनिवार को पति ने अपने घरवालों के साथ एसपी से शिकायत की. मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसपी ने तत्काल मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए. एसपी के आदेश पर मिलक पुलिस ने चार अज्ञात लोगों के खिलाफ देर रात गैंगरेप का मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस ने वायरल किए गए वीडियो में दिख रहे चार आरोपियों में से तीन की शिनाख्त कर ली है. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसपी ने चार टीमें भी गठित की हैं. पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी को उनके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है.

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आज से शुरू होगा संसद का सत्र, होगी कई मुद्दों पर चर्चा

नव निर्वाचित लोकसभा के पहले सत्र से एक दिन पहले 16 जून को सर्वदलीय बैठक हुई. सरकार इस सत्र में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा. इन विधेयकों में तीन तलाक विधेयक भी है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को मंजूरी दी. बैठक लिए संसद पहुंच चुके हैं. उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे.

इससे पहले, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और कई मंत्रियों ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और गुलाम नबी आजाद (कांग्रेस) सहित विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर संसद के सुचारु संचालन में उनका सहयोग मांगा था.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास 545 सीटों वाली लोकसभा में 353 सदस्य हैं, लेकिन 245 सीटों वाली राज्यसभा में सिर्फ 102 सदस्य हैं.

इसके साथ ही बीजेपी संसदीय दल की नवगठित कार्यकारी समिति 16 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी रणनीति तैयार करने के लिए बैठक करेगी. यह सत्र 26 जुलाई को समाप्त होगा.

एनडीए सदस्यों के भी मुलाकात करने और इस सत्र के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने की उम्मीद है. तीन तलाक के अलावा सदन में पेश किए जाने वाले विधेयकों में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 और आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2019 शामिल हैं.

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को दंडनीय अपराध बनाता है. इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों की आपत्तियों का सामना करना पड़ा था. लोकसभा का पहला सत्र 17 जून से शुरू हो रहा है. आर्थिक सर्वेक्षण 4 जुलाई और बजट 5 जुलाई को पेश किया जाएगा.

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आनंद के ‘सुपर 30’ का कमाल, जानिये कितने लड़के हुए पास

ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई ) एडवांस में इस साल भी आनंद कुमार के सुपर-30 के स्टूडेंट्स ने कमाल कर दिखाया. जहां इस बार परीक्षा में 30 स्टूडेंट्स में से 18 स्टूडेंट्स ने सफलता हासिल की है.

बता दें, 2008, 2009, 2010 और 2017 में, सुपर 30 के सभी 30 स्टूडेंट्स ने जेईई-एडवांस परीक्षा में सफलता हासिल की थी. जिसके बाद उनके संस्थान की चर्चा देश-विदेश में होने लगी. इस साल सफल उम्मीदवारों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम थी. इस पर आनंद ने कहा कि संख्या उनके लिए कोई मायने नहीं रखती. वहीं पिछले साल 30 स्टूडेंट्स में 26 स्टूडेंट्स ने जेईई एडवांस परीक्षा में सफलता हासिल की थी.

आपको बता दें, इन सुपर-30 बच्चों को फ्री कोचिंग के अलावा, उनके रहने और खाने की व्यवस्था भी होती है. बच्चों के लिए आनंद कुमार की मां जयंती देवी खाना बनाती हैं.

इस साल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) रुड़की ने जेईई एडवांस परीक्षा का आयोजन किया था जिसमें मुंबई के कार्तिकेय गुप्ता ने पहला स्थान हासिल किया था. वह कोटा के एलेन करियर इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट हैं. उन्होंने 360 में से 337 अंक प्राप्त किए हैं.

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JEE Advanced टॉपर कार्तिकेय गुप्ता ने बताया अपनी सफलता का राज

आईआईटी रुड़की ने शुक्रवार को जेईई एडवांस 2019 का रिजल्ट जारी कर दिया. देश की 23 आईआईटी में एंट्री दिलाने वाली इस परीक्षा में महाराष्ट्र के चंद्रपुर के रहने वाले कार्तिकेय गुप्ता चंद्रेश ने टॉप किया है. कार्तिकेय ने JEE Main 2019 में 100 NTA स्कोर प्राप्त किया था. JEE Mains exam में उनकी रैंक 18 थी. परीक्षा में भाग लेने वाले परीक्षार्थी जेईई की वेबसाइट jeeadv.ac.in पर जाकर रिजल्ट चेक कर सकते हैं.

कार्तिकेय ने बताया कि वह हमेशा अपने डाउट क्लियर करने पर जोर देते रहे. जब तक सारे डाउट क्लियर नहीं होते थे, उन्हें नींद नहीं आती थी. वह हमेशा रिलेक्स माइंड से पढ़े.

कार्तिकेय ने कहा, ‘भरोसा था की मुझे आईआईटी मुंबई में सीएस ब्रांच मिल जाएगी लेकिन टॉप करने की नहीं सोची थी. मैं रेगुलर क्लासेस के अलावा रोजाना 6-7 घंटे सेल्फ स्टडी करता था. मैंने लगातार वीकली टेस्ट दिए. इससे मुझे मेरी तैयारी का स्टेट पता लगता रहा.’

उन्होंने कहा, ‘स्टूडेंट्स को बिना किसी तनाव और दबाव के पढ़ाई करनी चाहिए. सेल्फ कंपीटीशन लक्ष्य तक पहुंचने में अहम भूमिका अदा करता है. तैयारी के दौरान मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से रिलेक्स रहना जरूरी है. लंबे समय तक लगातार नहीं पढ़ना चाहिए. दो-दो घंटे की पढ़ाई के बाद ब्रेक लेने चाहिए.

कार्तिकेय अपना आदर्श महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को मानते हैं. 2017 और 2018 में KVPY क्वालिफाई किया था.

कार्तिकेय ने INPHO, INCHO, INAO और INJSO क्वालिफाई किया हुआ है.

17 साल के कार्तिकेय ने 360 में से 337 अंक प्राप्त किए हैं. वह महाराष्ट्र के चंद्रपुर क्षेत्र के हैं और उनके पिता चंद्रेश गुप्ता पेपर इंडस्ट्री में मैनेजर हैं, जबकि मां पूनम गुप्ता हाउस वाइफ हैं. परीक्षा में दूसरा स्थान इलाहाबाद के हिमांशु सिंह और तीसरा स्थान नई दिल्ली के अर्चित बुबना ने हासिल किया है.

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बजट सत्र से पहले मनमोहन सिंह का कार्यकाल खत्म, असम से 28 साल सांसद रहे

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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का शुक्रवार को राज्यसभा में कार्यकाल खत्म हो गया. वे 28 साल तक राज्यसभा सांसद रहे. वे पहली बार 1991 में असम से राज्यसभा सांसद चुने गए थे. 1991 के बाद से यह पहला मौका है जब मनमोहन संसद से बाहर रहेंगे. मनमोहन पिछली बार असम से 2013 में राज्यसभा के सदस्य बने थे. नई सरकार बजट सत्र 17 जून से शुरू होने वाला है.

असम में राज्यसभा की सात में से दो सीट खाली हुई थीं. ये सीटें मनमोहन सिंह और एस कुजूर की थींं. दोनों का कार्यकाल 14 जून को खत्म हो गया. मई में इन सीटों पर चुनाव हुए. एक सीट भाजपा और दूसरी सीट असम गण परिषद (एजीपी) के हिस्से में गई. भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा और एजीपी के बिरेंदर प्रसाद ने निर्विरोध जीत दर्ज की.

खाली हुई दोनों राज्यसभा सीटों पर कांग्रेस और एआईयूडीएफ पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, क्योंकि उसके पास विधानसभा में सदस्यों की संख्या बहुत कम है. असम की 126 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 26 और एआईयूडीएफ के 13 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 60 विधायक हैं.

असम में अब भी कांग्रेस के चार राज्यसभा सांसद हैं. इनमें से भुबनेश्वर कलिता और डॉ. संजय सिन्ह का कार्यकाल 4 अप्रैल 2020 को खत्म होगा. इस दिन बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट पार्टी के बिश्वजीत डैमेरी का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है. विधानसभा में सदस्यता को देखते संभावना है कि कांग्रेस के पास से यह सीटें जा छिन सकती हैं.

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वापस काम पर लौटे AIIMS के डॉक्टर, दीदी को 48 घंटे का अल्टीमेटम

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल आज भी जारी है. डॉक्टरों से मारपीट के बाद शुरू हुई हड़ताल का असर बंगाल से लेकर दिल्ली तक देखने को मिल रहा है. देश के 19 से ज्यादा राज्यों के डॉक्टरों ने हड़ताल का खुलकर समर्थन किया है. इस बीच दिल्ली AIIMS के रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल खत्म कर अपने काम पर वापस लौट आएं हैं, लेकिन उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मांगे पूरी करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है.

– डॉक्टरों से हिंसा को लेकर कोलकाता के एनआरएस अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन पांचवें दिन भी जारी है.

– इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिम बंगाल में चल रही डॉक्टरों की हड़ताल पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात की.

– हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने कहा है कि वे शाम को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाए गए बैठक में शामिल नहीं होंगे.

– एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह मल्ही ने कहा है कि सभी रेजिडेंट डॉक्टर काम पर वापस आ गए हैं, लेकिन हम काले बैज, पट्टियाँ और हेलमेट पहनकर सांकेतिक विरोध जारी रखेंगे. अगर हालत बिगड़े तो हम 17 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे.

– डॉक्टर्स असोसिएशन ने कहा है कि हम पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं. अगर सरकार नाकाम रहती है तो हमें एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

17 जून को देशव्यापी हड़ताल पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हुई हिंसा के विरोध में इंडियन मेडिकल असोसिएशन भी हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में आ गया है. दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (DMA) और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) ने देश के 19 राज्यों के डॉक्टरों ने एकसाथ मिलकर 17 जून को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है. एसोसिएशन ने बकायदा सरकार को पत्र लिखकर केंद्रीय अस्पताल सुरक्षा कानून बनाकर पूरे देश में लागू करने की मांग की है. साथ ही कहा कि यदि मांगे पूरी नहीं की जातीं तो सोमवार को देशव्यापी हड़ताल की जाएगी.

AIIMS रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की मांगें

– पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर राजनीतिक से प्रेरित हमले रोकने के लिए केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे.

– देश भर के अस्पतालों में एक समान सुरक्षा कोड लागू किया जाए और वार्डो में तीमारदारों को प्रवेश देने के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर) बनाया जाए.

-अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड बढ़ाए जाएं, बंदूकधारी गार्ड भी तैनात किए जाएं.

-मेडिकल कॉलेजों के छात्रवास में सुरक्षा बढ़ाई जाए.

-सभी अस्पतालों में सीसीटीवी की सुविधा हो, खासतौर पर इमरजेंसी में.

– अस्पतालों में सुरक्षा के लिए हॉटलाइन अलार्म सिस्टम लगाया जाए.

– सुरक्षा की नियमित समय पर समीक्षा की जाए.

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यूपी: हार पर कांग्रेस का मंथन, कई द‍िग्‍गज नदारद

लखनऊ। ‘जिस सेना का सेनापति कन्फ्यूज होता है, वह सेना हार ही जाती है महाराज. हमारे सेनापति आखिर तक यह तय नहीं कर पाए कि कार्यकर्ताओं को लड़ाना है या पैराशूट प्रत्याशियों को. यही कन्फ्यूजन पार्टी की इस बुरी हार का कारण बना. पार्टी की मजबूती के लिए अब प्रयोग बंद कीजिए.’ शुक्रवार को लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के दौरान कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने ऐसे ही खरी-खरी सुनाई. ज्‍योतिरादित्‍य के साथ जहां प्रभारी सचिव रोहित चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर मौजूद थे, वहीं पार्टी के कई वरिष्‍ठ नेताओं ने इस बैठक से किनारा कर लिया.

हालांकि, राज बब्बर भी पश्चिमी यूपी की फतेहपुर सीट से पार्टी के प्रत्याशी थे और उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. 30 जून तक सभी राज्यों के प्रभारियों को समीक्षा रिपोर्ट एआईसीसी को सौंपनी है. इस बैठक से जो बड़े कांग्रेस नेता गायब रहे, उनमें जितिन प्रसाद, इमरान मसूद, सलमान खुर्शीद और श्री प्रकाश जायसवाल शामिल हैं. कई कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि दिल्‍ली-एनसीआर के नजदीक के प्रत्‍याशियों को दिल्‍ली में एक अन्‍य मीटिंग में हिस्‍सा लेना था, इसलिए वे नहीं आए हैं.

बैठक में भाग लेने वाले 28 प्रत्‍याशियों में से एक ने कहा, ‘अनुपस्थित रहने वाले बड़े नेताओं के साथ पार्टी अलग व्‍यवहार क्‍यों करती है. लखनऊ दिल्‍ली से दूर नहीं है. हम भी दिल्‍ली जा सकते थे.’ बैठक के बाद ज्‍योतिरादित्‍य ने ट्वीट कर कहा, ‘कार्यकर्ताओं की बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं कि यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संगठन को मजबूत करना बेहद आवश्यक है.’

दोपहर 11:30 बजे से शुरू हुई बैठक शाम साढ़े पांच बजे तक चली. इस दौरान प्रभारी महासचिव और प्रभारी सचिव ने प्रत्याशियों और पार्टी नेताओं से बात की. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व तक को नहीं बख्शा. अधिकतर प्रत्याशियों ने हार का कारण बताते हुए कहा कि उनके यहां पार्टी का संगठन था ही नहीं. जहां संगठन था, वहां मदद नहीं की गई.

जिला और शहर अध्यक्षों का कहना था कि प्रत्याशी ने चुनाव के दौरान संगठन को तवज्जो ही नहीं दी. इसके बाद भी वह पार्टी के नाते प्रचार में लगे रहे. यही अनदेखी हार का कारण बनी. बैठक से निकलकर बरेली के प्रत्याशी रहे प्रवीण सिंह ने मीडिया के सामने कहा कि संगठन कमजोर रहा. मिसरिख से प्रत्याशी रहीं मंजरी राही ने आरोप लगाया कि जो संगठन में हैं, उनकी सोच कांग्रेसी नहीं है. बहराइच की प्रत्याशी सावित्री बाई फुले ने भी हार का कारण संगठन का कमजोर होना बताया.

कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिस्से में यूपी की 39 लोकसभा सीटें आती हैं. पश्चिमी यूपी में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी यहां कोई सीट नहीं जीत पाई. हालांकि, कांग्रेस का प्रदर्शन पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी ठीक नहीं रहा. रायबरेली छोड़ कांग्रेस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की परंपरागत अमेठी सीट भी हार गई. ज्योतिरादित्य पश्चिमी यूपी की 39 में 14 सीटों की समीक्षा पिछले दिनों दिल्ली में कर चुके हैं. बाकी 25 सीटों की समीक्षा के लिए कांग्रेस नेताओं, प्रत्याशी, जिला और शहर अध्यक्षों के साथ लोकसभा को-ऑर्डिनेटरों को भी लखनऊ बुलाया गया था. इस दौरान धौरहरा से जितिन प्रसाद और सीतापुर से कैसरजहां को छोड़ कर बाकी सभी 23 प्रत्याशी मौजूद रहे.

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SCO Summit: आखिरकार PM मोदी- इमरान खान में हुई दुआ-सलाम

बिश्केक में एससीओ समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक-दूसरे का अभिवादन किया. किर्गिस्तान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इमरान खान एक-दूसरे से 7 अलग-अलग मौकों पर औपचारिक मुलाकात भी की.

किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव की ओर आयोजित बुधवार को रात्रिभोज में भी पीएम मोदी और इमरान खान आमने-सामने कई बार आए. इसके अलावा शुक्रवार को 5 बार मोदी और इमरान खान एक-दूसरे से मिले. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पीएम मोदी और इमरान खान के मुलाकात की पुष्टि की है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने का फैसला लिया है. पाकिस्तान की ओर से जब तक आतंकवादी गतिविधियों को रोकने पर पहल नहीं की जाती, भारत सीधे तौर पर पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं करेगा. पुलवामा हमले के बाद से ही लगातार यही स्थिति बनी हुई है.

एससीओ सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और इमरान खान के बीच कोई वार्ता नहीं होगी. पीएम मोदी ने वहां मौजूद सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की, लेकिन इमरान खान से नहीं. दोनों नेता एक वक्त पर हॉल में आए थे.

पीएम मोदी इमरान खान के आगे-आगे चल रहे थे. लेकिन फिर भी दोनों के बीच न तो कोई बातचीत हुई, न नजरें मिलीं और न ही हाथ. हॉल में पीएम मोदी इमरान खान से सिर्फ तीन सीट दूर बैठे थे. गाला कल्चरल नाइट प्रोग्राम में भी दोनों नेता एक-दूसरे के आसपास ही रहे. मगर दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई.

पुलवामा आतंकी हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट चरम पर है. पाकिस्तान की ओर से लगातार वार्ता की पेशकश की जा रही है. लेकिन भारत का साफ कहना है कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाई जाती, दोनों देशों के बीच कोई वार्ता नहीं होगी.

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम के बीच बिश्केक के एससीओ सम्मेलन से इतर कोई बातचीत नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि दोनों नेताओं के बीच कोई मीटिंग तय नहीं है. पहले ऐसी खबरें आई थीं कि इसी रुख पर कायम रहते हुए पीएम मोदी ने इमरान खान की ओर न तो देखा और न ही हाथ मिलाया.

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वडोदरा में एक होटल की सीवेज टैंक साफ करने उतरे 7 मजदूरों की दम घुटने से मौत

गुजरात में वडोदरा के डभोई तहसील में एक होटल की सीवेज टैंक साफ करने उतरे 7 मजदूरों की दम घुटने से मौत हो गई है. मौके पर पहुंचकर वडोदरा दमकल विभाग ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया मगर किसी को बचाया नहीं जा सका.

घटना शुक्रवार रात की है. मौके पर पहुंचकर सीवेज में फंसे मजदूरों के शवों को बाहर न‍िकाला गया. फ‍िलहाल ये पता नहीं लग पाया है क‍ि मजदूरों की मौत की असली वजह क्या रही. क्या वहां कोई जहरीली गैस न‍िकली या फ‍िर दम घुटने से उनकी मौत हुई.

मीड‍िया की खबरों के अनुसार, सीवर सफाई के दौरान हादसों में मजदूरों की दर्दनाक मौतों की खबरें लगातार आ रही हैं. दिल्ली में अक्सर सीवर या टैंक सफाई के दौरान लोगों की मौत होने की खबरें सामने आती रहती हैं.

7 मई को उत्तर पश्चिम दिल्ली में एक मकान के सेप्टिक टैंक में उतरने के बाद दो मजदूरों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे. इस मामले में भी जांच में यह बात सामने आई थी कि मजदूर टैंक में बिना मास्क, ग्लव्स और सुरक्षा उपकरणों के उतरे थे.

उससे पहले 2 मई को नोएडा सेक्टर 107 में स्थित सलारपुर में देर रात सीवर की खुदाई करते समय पास में बह रहे नाले का पानी भरने से दो मजदूरों की डूबने से मौत हो गई थी. दोनों के शव पानी के साथ निकली मिट्टी से दब गए थे.

15 अप्रैल को दिल्ली से सटे गुड़गांव के नरसिंहपुर में एक ऑटोमोबाइल कंपनी में सेप्टिक टैंक साफ करने के दौरान दो सफाईकर्मियों की मौत हो गई थी. जनवरी महीने में भी उत्तरी दिल्ली के तिमारपुर में सीवर लाइन साफ करने गए एक सफाईकर्मी की दम घुटने से मौत हो गई थी.

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पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली और मुंबई तक हड़ताल पर डॉक्टर

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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल से शुरू हुई जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल अब दिल्ली तक आ पहुंची है. बंगाल में जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट की घटना से मेडिकल एसोसिएशन में गु्स्सा है. पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों का समर्थन करते हुए राजधानी में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने हड़ताल बुलाई है. इसका सबसे ज्यादा असर AIIMS जैसे बड़े अस्पतालों पर देखने को मिल रहा है. वहीं महाराष्ट्र में भी डॉक्टरों ने काम करने से साफ इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि वह साइलेंट प्रोटेस्ट करेंगे. खबरों के मुताबिक, दिल्ली और महाराष्ट्र के अलावा पंजाब, केरल, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में भी डॉक्टरों ने काम करने से मना कर दिया है.

आइएम से जुड़े एक डॉक्टर ने मीडिया को बताया कि आज एम्स, सफदरजंग के अलावा निजी क्लिनिक-नर्सिंग होम भी बंद रहेंगे. एम्स (AIIMS) में नए मरीजों का इलाज नहीं होगा, जबकि सफदरजंग में केवल इमर्जेंसी चलेगी. पश्चिम बंगाल में NRS मेडिकल कॉलेज और अस्पताल द्वारा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी में डॉक्टरों ने प्रोटेस्ट का आयोजन किया.

हैदराबाद में भी निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर विरोध मार्च निकाली.

जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों को गुरुवार को दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया. लेकिन, उन लोगों ने उनका निर्देश नहीं माना. उन्होंने साफ कह दिया कि जब तक सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी उनकी मांग पूरी नहीं होगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी.

दरअसल, कोलकाताल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इउलाज के दौरान एक 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई थी. बुजुर्ग के परिवार वालों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया और डॉक्टरों की पिटाई कर दी. आरोप है की करीब 200 लोग ट्रको में भरकर आए और अस्पताल पर हमला कर दिया. इस हमले में दो जूनियर डॉक्टर बुरी तरह से घायल हो गए.

इस घटना के बाद से निजी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सेवाएं बंद रहीं. वहीं भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने घटना के खिलाफ और हड़ताली डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को अखिल भारतीय विरोध दिवस घोषित कर दिया है. साथ ही एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रधानाचार्य साइबल मुखर्जी और चिकित्सा अधीक्षक और उपप्रधानाचार्य प्रो. सौरभ चटोपाध्याय ने संस्थान के संकट से निपटने में विफल रहने की वजह से इस्तीफा दे दिया है.

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बिहार में चमकी बुखार ने ली अब तक 54 बच्चों की जान

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मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में संदिग्ध एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या 54 हो गई है. मुजफ्फरपुर जिले के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में अभी तक 46 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं केजरीवाल मातृ सदन (केएमएस) में 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. गुरुवार तक कुल मिलाकर यह आंकड़ा 54 तक पहुंच गया. इस साल जनवरी से कुल 179 संदिग्ध एईएस मामले सामने आए हैं. इस बीच यह भी सवाल उठने लगे हैं कि कहीं इन बच्चों की मौत के पीछे लीची तो वजह नहीं है?

मौतों के कारणों की जांच के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सात सदस्यीय केंद्र सरकार की टीम मुजफ्फपुर में है. बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि अधिकांश मौतें हाइपोग्लाइसीमिया (शरीर में अचानक शुगर की कमी) के कारण हुई हैं. इसका कारण इस इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश का न होना बताया जा रहा है. पहले की रिपोर्टों में कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एईएस के कारण हो रही इन मौतों के पीछे लीची का होना बताया था. कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं, जो इस बीमारी और मौतों का कारण हैं.

गर्मियों के दौरान इस इलाके के गरीब परिवारों से संबंधित बच्चों को आमतौर पर नाश्ते के लिए सुबह से ही लीची खाने को दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह फल बच्चों में घातक मेटाबॉलिक बीमारी पैदा करता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया इंसेफेलोपैथी कहा जाता है. लीची में मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG), नाम का एक केमिकल भी पाया जाता है.

जब शरीर में देर तक भूखे रहने और पोषण की कमी के कारण शरीर में शुगर लेवल कम हो जाता है तो यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है. बिहार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को खाली पेट लीची न खिलाएं और आधा पका हुआ या बिना लीची वाला भोजन ही करें.

अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाएगा भारत: इसरो प्रमुख

नई दिल्ली। भारत अपना स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. यह कहना है इसरो प्रमुख के सिवन का. उन्होंने कहा कि यह गगनयान मिशन का विस्तार होगा. इसरो चीफ ने बताया, ‘ह्यूमन स्पेस मिशन के बाद हमें गगनयान प्रोग्राम को बनाए रखना होगा. ऐसे में भारत अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा है.’

इससे पहले सरकार और इसरो ने संयुक्त रूप से जानकारी दी कि 15 जुलाई को लॉन्च होनेवाले मिशन चंद्रयान-2 के साथ ही भारत की नजर अब वीनस (शुक्र) और सूर्य तक है. मिशन चंद्रयान की कुल लागत 10000 करोड़ होगी. भारत के महत्वाकांक्षी स्पेस प्रॉजेक्ट के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वक्त में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई सिद्धि प्राप्त की है. इसरो चेयरमैन ने भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान ने सूर्य, वीनस जैसे ग्रहों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

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