जातिगत संघर्ष: अतुल्य भारत पर एक दाग

प्राचीन वैदिक समाज को श्रम विभाजन तथा सामाजिक जिम्मेदारियों के तहत चार वर्णों में विभाजित किया गया था. कालांतर में इनसे लाखों जातियां बन गईं. प्राचीन वर्ण व्यवस्था का सही या गलत होना हमेशा से विवादित रहा है, परंतु इसमे कोई शक नही है कि पिछले कुछ सौ वर्षों से जातिगत व्यवस्था के नकारात्मक परिणामों को इस समाज ने देखा और महसूस किया और इस प्रकार जातिगत व्यवस्था के खिलाफ लोगों के मन मे दृढ़ता बढ़ती गई. आज़ादी के बाद संविधान निर्माण के समय जातिगत व्यवस्था को मिटाने के प्रयास किये गए जिसके तहत अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता के उन्मूलन का प्रावधान किया गया. कुल मिलाकर एक लोकतांत्रिक देश को संवैधानिक तरीके से जातिगत व्यवस्था से दूर करने की कोशिश आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व की गई थी. अब कई पीढ़ियों बाद भी समाज मे जातिगत व्यवस्था की स्थिति बहुत ही निराशाजनक तथा दुःखद है और देश के ज्यादातर हिस्सों में ख़ूनी जातिगत टकराव की स्थिति हमे देखने को मिलती रही है. कुछ समय पहले उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में जाति के नाम पर जो भी हो रहा था वह एक सभ्य समाज और लोकतंत्र के ऊपर कालिख़ के समान है. भारत मे जातिगत टकरावों पर गौर करे तो बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान , हरियाणा समेत पूरा उत्तरभारत आज बुरी तरह से प्रभावित नज़र आता है.

एक सभ्य समाज से होने का दावा करने के नाते हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि आखिर 70 साल बाद भी जातिगत व्यवस्था इस समाज को इतनी बुरी तरह से क्यों जकड़ी हुई है; जबकि एक लोकतंत्र होने के नाते हर समय हम किसी भी योजना को जाति, धर्म तथा सम्प्रदाय से ऊपर उठकर क्रियान्यवित करने का दावा करते हैं. सवाल ये भी है कि क्या ये टकराव सिर्फ कानून व्यवस्था का मसला हैं या वाक़ई जातिवाद का घिनौना ज़हर हमारे समाज मे फैला हुआ है? विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा तमाम आरोप प्रत्यारोप कर उसका राजनीतिक लाभ लेने के लिए भले ही इन टकरावों को कानून व्यवस्था का मुद्दा बताया जाता हो परन्तु इनके लंबे इतिहास को देखते हुए ये कानून व्यवस्था का मुदा नही लगता है बल्कि ये घटनाएं समाज मे एक दूसरे के प्रति फ़ैली नकारात्मकता तथा नफरत की भावना है जो समय समय पर तमाम जातिगत संघर्षों के रूप में सामने आती रहती है.

इसकी मूल वजह पर अब हमें गंभीरता से विचार करना होगा कि क्यों आखिर नई पीढ़िया भी जातिगत नफरतों से दूर नही रह पा रही हैं. जातिगत व्यवस्था के उन्मूलन को लेकर हमारा संविधान भी काफ़ी हद तक भ्रमित दिखाई देता है, जैसे कि एक तरफ अस्पृश्यता के अंत की बात और दूसरी तरफ पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक जातिगत आरक्षण की व्यवस्था; और तो और तुच्छ राजनीतिक कारणों से इसकी अवधि को लगातार बढ़ाया जाना जारी रखा गया.दाख़िले से नौकरियों तक मे हमारी युवा पीढ़ी सामान्य वर्ग, ओ बी सी, एस सी, एस टी और माइनॉरिटी सुन सुन कर और लिख लिख कर बड़ी हो रही हैं तो उनके मन मे जातिवाद की भावना आने को कितना ग़लत माना जाना चाहिए! अगर एक समान्यवर्गीय ग़रीब कहीं दाखिले या नौकरी के लिए आवेदन करते समय 1000 रुपये देता है और वहीं दूसरी तरफ कोई मुख्य धारा से जुड़ा हुआ सशक्त परंतु आरक्षित वर्ग का छात्र उसी जगह पर आवेदन के लिए 200 रुपये देता है तो क्या इस तरह की घटनाएं युवा पीढ़ी के मन में नकारात्मकता नही पैदा करती हैं?

जेएनयू में रोज मनुस्मृति जलाने वाले जाति के नाम पर आरक्षण का लाभ लेने में कोई परहेज़ नही करते बल्कि इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं. उनका स्वाभिमान भी उनको तब नही झकझोरता जब वो वर्ग विशेष के आरक्षण के तहत शिक्षा या नौकरी के लिए आवेदन करते हैं. ये सारी घटनाएं जातिगत ध्रुवीकरण के लिए जिम्मेदार हैं और ये कहने की जरूरत है कि अब बहुत हो गया जातिगत जनगणना, जातिगत दाखिल, जातिगत नौकरियां, जातिगत पदोन्नति, जातिगत चुनाव , जातिगत चुनावी समीकरण और तो और दलित मुख्यमंत्री और ओ बी सी प्रधानमंत्री. हमे यह समझने की जरूरत है कि वर्तमान व्यवस्था के तहत जातिवाद मिटा पाना असंभव है और अगर जातिवाद का जहर इस देश से मिटाना है तो जाति आधारित हर व्यवस्था को खत्म करना होगा और हर व्यक्ति को ये बताने के लिए मजबूर नही करना होगा कि वो किस जाति या धर्म से संबंधित है. सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के ढेरों विकल्पों में से किसी और को चुनना होगा.

सौरभ कुमार मिश्रा का यह लेख जनसत्ता से साभार है।

बीबीएयू को हाईकोर्ट ने दिया झटका, बहुजन छात्रों के पक्ष में सुनाया फैसला

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लखनऊ। लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय(बीबीएयू) की प्रवेश परीक्षा में एमफिल इतिहास के टॉपर बसंत कन्नौजिया विश्वविद्यालय प्रशासन ने दाखिला नहीं दिया. बसंत कन्नौजिया के अलावा जयवीर सिंह और अश्वनी रंजन को भी दाखिला देने से प्रशासन ने मना कर दिया था.

प्रवेश परीक्षा में टॉपर होने और अच्छे नंबर लाने के बावजूद भी बीबीएयू प्रशासन ने इन दलित छात्रों को दाखिला नहीं दिया. प्रशासन की इस मनमानी का दलित छात्रों ने विरोध किया और इसके बाद बसंत कन्नौजिया ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रपति, मानव संसाधन विकास मंत्री और विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ़ मैनजमेंट के सदस्य, सांसद अंजू बाला और धर्मेन्द्र यादव को भी प्रवेश दिलाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया. लेकिन किसी ने भी इन छात्रों की गुहार का संज्ञान नहीं लिया.

अंतिम में बहुजन छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां उच्च न्यायालय के जज राजन राय ने छात्रों के शैक्षिक अधिकार को देखते हुए फैसला छात्रों के पक्ष में सुनाया. विश्वविद्यालय प्रशासन को उक्त छात्रों के तत्काल दाखिला देने का आदेश दिया.

ये भी पढ़ेंः शानदारः बीबीएयू के बसंत कन्नौजिया को 100 में से 94 नंबर

हाईकोर्ट में बहुजन छात्रों की जीत यह दर्शाती है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ बहुजन छात्रों का भविष्य बर्बाद करने के लिए सारे हथकंडे अपना रहा है. बसंत कनौजिया ने कहा कि अपने अधिकारों के लिए संवैधानिक दायरे में रहकर अपनी आवाज उठाते रहेंगे. हम भारतीय संविधान को अपना धर्म समझते हैं, इसिलए मैं मरते दम तक संविधानो के नियमों का पालन करता रहूंगा.

इस जीत के बाद बसंत कन्नौजिया ने बहुजन विरोधी प्रशासन को कहा कि सत्य को परेशान कर सकते हो, लेकिन सत्य को पराजित नहीं कर सकते. बसंत कन्नौजिया अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) के सक्रिय सदस्य भी है. AUDSU ने जीत पर बसंत कन्नौजिया को बधाई दी और इसे बहुजन छात्रों की जीत बताया. AUDSU ने बीबीएयू प्रशासन पर तंज कसा और कहा कि बीबीएयू प्रशासन आपकी जय हो जो अराजक तत्वों को पनाह दे रहे हैं और पढ़ने वाले छात्रों को अराजक बताकर उनका भविष्य बर्बाद कर रहे हो.

5वीं क्लास के छात्र ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में मैडम को बताया जिम्मेदार

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गोरखपुर। प्राइवेट स्कूलों में भारी अनियमितताओं की सजा स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और उनके माता-पिता को भुगतनी पड़ रही है. हाल ही में गुरूग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुई बच्चे की हत्या के बाद अब गोरखपुर के कोन्वेंट स्कूल से एक बच्चे की मौत की घटना सामने आई है.

गोरखपुर के सेंट एंथोनी कोन्वेंट स्कूल में पांचवी क्लास के 12 साल के बच्चे नवनीत ने आत्महत्या कर ली. आत्महत्या का कारण कोई और नहीं बल्कि उनकी क्लास टीचर बनी. छात्र ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा, जिसमें उसने अपनी मैडम को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उसने सुसाइड नोट के माध्यम से अपने मम्मी-पापा से कहा कि कि मेरी मैम से कहना ऐसी सजा किसी और को न दे.

सुसाइड नोट में नवनीत ने लिखा-

‘’पापा, आज 15 सितंबर मेरा पहला एग्जाम था. मेरी मैम क्लास टीचर ने मुझे सवा 9.15 तक रुलाया और खड़ा रखा, इसलिए क्योंकि वह चापलूसों की बात मानती हैं. उनकी किसी बात का विश्वास मत करिएगा. कल उन्होंने मुझे तीन पीरियड खड़ा रखा. आज मैंने सोच लिया है कि मैं मरने वाला हूं. मेरी आखिरी इच्छा मेरी मैम को किसी बच्चे को इतनी बड़ी सजा न देने को कहें.

अलविदा पापा-मम्पी और दीदी.’’

ऊपर लिखी लाइनें छात्र की सुसाइड नोट की हैं. उसने 15 सितंबर को जहर खाकर जान देने की कोशिश की. पता लगने पर छात्र को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां बुधवार को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई.

सुसाइट नोट मिलने पर गुस्साएं परिजनों ने स्‍कूल के खिलाफ विरोध जताया. मामला बिगड़ता देख स्कूल के प्रिंसिपल ने 100 नंबर पर सूचना देकर पुलिस बुला ली. छात्र के पिता ने स्कूल प्रबंधन और क्लास टीचर के खिलाफ तहरीर दी है. पुलिस ने बताया कि परिजनों की तरफ से लगाए गए आरोपों के आधार पर मामले की जांच की जा रही है. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.

जानिए महेंद्र सिंह धोनी के पिस्तौल उठाने की वजह

महेंद्र सिंह धोनी ताबड़तोड़ गोलियां दागते दिखे. टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान ने प्रोफेशनल शूटर की तरह हाथों में पिस्तौल थामा और दनादन फायरिंग शुरू कर दी. अब आप सोच रहे होंगे भला धोनी को पिस्तौल क्यों उठानी पड़ी? दरअसल, पूर्व भारतीय कप्तान धोनी टीम इंडिया का अभ्यास सत्र बारिश की भेंट चढ़ने के बाद कोलकाता पुलिस ट्रेनिंग स्कूल का रुख किया और पिस्टल निशानेबाजी में हाथ आजमाए.

कोलकाता पुलिस ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘महान महेंद्र सिंह धोनी ने कुछ समय निकालकर आज दोपहर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल की हमारी अत्याधुनिक शूटिंग रेंज में अपने निशानेबाजी कौशल का अभ्यास किया. उनकी सटीकता बेहतरीन थी.’ कोलकाता पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि धोनी ने न सिर्फ रेंज में निशानेबाजी की बल्कि कोलकाता पुलिस कर्मियों से बात करके उनकी हौसलाअफजाई भी की.

धोनी के साथ जाने वाले कोलकाता पुलिस के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘दूसरी बार धोनी की मेजबानी शानदार रही. वह बेहतरीन निशानेबाज है और उसने हम सभी को प्रेरित किया.’

उन्होंने कहा, ‘पीटीएस की शूटिंग रेंज अत्याधुनिक है और धोनी ने 10 और 25 मीटर दोनों रेंज में निशानेबाजी की.’ इससे पहले धोनी ने 2010 में एक पुरानी मोटरसाइकिल की तलाश में शहर पुलिस के मुख्यालय का दौरा किया था.

भारत पांच मैचों की एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला के दूसरे मैच में कल ईडन गार्डन्स में आस्ट्रेलिया से भिड़ेगा. भारत ने वर्षा से प्रभावित पहले मैच में आस्ट्रेलिया को 26 रन से हराकर श्रृंखला में 1-0 की बढ़त बना ली है.

अब ‘फलाहारी बाबा’ बना बलात्कारी बाबा

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falahari baba

अलवर। बलात्कारी बाबा राम रहीम के बाद अब राजस्थान के एक प्रसिद्ध बाबा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. लॉ की एक छात्रा ने बाबा कौशलेंद्र फलाहारी महाराज के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. पीड़िता का परिवार, पहले तो इस मामले में किसी भी कार्रवाई का इच्छुक नहीं था लेकिन गुरमीत राम रहीम को सजा मिलने के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया.

पुलिस के मुताबिक, लड़की के परिवार के बाबा से करीब 25 साल पुराने फैमिली रिलेशन हैं. लड़की ने पिछले दिनों लॉ की पढ़ाई के बाद इंटर्नशिप पूरा किया. इसके लिए उसे 5 हजार रुपए मिले. वह पैसे मिलने को लेकर काफी खुश थी और 7 अगस्त को बाबा के अलवर आश्रम पर पहुंची थी.

अपने बयान में रेप पीड़िता ने बताया कि वह 7 अगस्त को बाबा के दिव्य धाम आश्रम में गई थी. यहां उसे बाबा की सेवा के बदले पहले वेतन का ऑफर दिया गया. साथ ही उसे रातभर रुकने के लिए कहा गया. इसी दौरान शाम 7 बजे उसे बाबा ने अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ रेप किया. बाबा ने यहां मौजूद लोगों को आरती में शामिल होने के लिए भेज दिया. फिर उसने गेट बंद कर दिया और लड़की के साथ अश्लील बातें करते हुए छेड़छाड़ करने लगा. इसके बाद उसके साथ रेप किया.

अलवर के एसपी राहुल प्रकाश ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की रहने वाली लड़की ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है. पुलिस ने बताया कि बिलासपुर पुलिस स्टेशन में एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई है. इसके बाद बुधवार को जांच अधिकारी अलवर पहुंच गए. पुलिस के पहुंचने की सूचना पाकर बाबा अस्पताल में भर्ती हो गया है. अब यह मामला अलवर के अरावली विहार पुलिस स्टेशन में है. उधर, बाबा के एक प्रशंसक सुदर्शनाचार्य महाराज ने कहा, ‘मैं ऐसे किसी मामले के बारे में नहीं जानता. महाराज जी बीमार हैं और वह अभी किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं.’

बाबा ने कथित रूप से यह भी धमकी दी कि उसके भक्त राजनेता और शीर्ष पुलिस अधिकारी हैं, इसलिए वह इस बारे में किसी से कुछ भी न बताए. लड़की का परिवार पिछले 15 साल से बाबा के संपर्क में था और काफी धन उन्हें दान कर चुका है. इस बारे में अलवर के पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश ने कहा, ‘हमारी टीम ने आश्रम में छापा मारा था लेकिन बाबा वहां नहीं मिला. वह एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती है और वहां पुलिसकर्मी तैनात हैं. हम उसके डिस्चार्ज होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम उनके हेल्थ को लेकर डाक्टरों के साथ संपर्क में हैं.’

फिल्म पद्मावती का फर्स्ट लुक हुआ रिलीज़

राजस्थान में पद्मावती की शूटिंग के दौरान फिल्म की कहानी पर काफी विवाद हुआ था. कुछ संगठनों का आरोप था कि पद्मावती के चरित्र के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. कथित तौर पर अलाऊद्दीन के साथ रानी के प्रणय दृश्यों पर आपत्ति की गई थी. करनी सेना ने शूटिंग का विरोध किया और तोड़फोड़ की. रिपोर्ट्स के मुताबिक भंसाली के साथ मारपीट भी की गई. विरोध के बाद भंसाली ने पैकअप कर लिया था.

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का फर्स्ट लुक रिलीज कर दिया गया है. फर्स्ट लुक के साथ ही ये भी साफ हो गया है कि फिल्म एक दिसंबर 2017 को रिलीज होगी. इस पोस्टर को ठीक नवरात्रि से एक दिन पहले लॉन्च करने का कारण ये बताया जा रहा है कि पद्मावती भारतीय संस्कृति को सेलिब्रेट करती है और ये सही मौका था जब इस पोस्टर को लॉन्च किया जाए. बताया जा रहा है कि दीपिका के इस लुक पर काफी मेहनत की गई है. ये जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि ये लुक जितना आकषर्क है, दीपिका को तैयार होने में उतना ही कम समय लगता था. दीपिका रानी पद्मिनी के किरदार के लिए केवल आधे घंटे में तैयार हो जाती थी और साथ ही उन्हें कम से कम मेक अप दिया जाता था.

फिल्म के पोस्टर रिलीज को लेकर रणवीर सिंह ने बुधवार को ही जानकारी दे दी थी. बता दें कि फिल्म की कहानी रानी पद्मावती की जिंदगी पर आधारित है. फिल्म में दीपिका पादुकोण रानी पद्मावती की भूमिका में हैं. वहीं शाहिद कपूर फिल्म में दीपिका के पति यानी रावल रतन सिंह का रोल कर रहे हैं. ये देखना दिलचस्प है कि फिल्म में रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी के रोल में हैं. ऐसा पहली बार है, जब रणवीर नेगेटिव रोल में नजर आएंगे.

जियो फोन की प्री बुकिंग करने वाले लोगों के लिए बुरी खबर

नई दिल्ली। जियो फोन की प्री बुकिंग करने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है. उन्हें शुक्रवार को भी अपना जियो मोबाइल नहीं मिल सकेगा. बताया जा रहा है कि ज्यादा डिमांड के कारण रिलायंस जियो कंपनी ने फोन की डिलिवरी डेट 21 सितंबर से बदलकर अक्टूबर में कर दी है. जियो फोन की पहली बार बुकिंग 24 अगस्त को शुरू हुई थी, लेकिन ज्यादा प्री बुकिंग होने के कारण उन्हें दो दिन में ही इसे बंद करना पड़ा था. कंपनी ने दावा किया था कि पहली बार में ही 60 लाख से ज्यादा जियो फोन की बुकिंग कर ली गई थी.

रिलांयस जियो के 4जी फीचर वाले फोन की डिलिवरी डेट सितंबर के पहले हफ्ते में तय की गई थी. बाद में इसे बढ़ाकर 21 सितंबर कर दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब कंपनी ने इस तारीख को और आगे बढ़ाते हुए मोबाइल की डिलिवरी डेट 1 अक्टूबर 2017 कर दी है. इस फोन की बंपर बुकिंग के पीछे की सबसे बड़ी वजह इसका फ्री होना माना जा रहा है. जियो यूजर्स के लिए कंपनी ने 4जी फीचर वाले अपने मोबाइल को मुफ्त में देने का ऐलान किया था.

आपने भी अगर जियो के फोन की प्री बुकिंग की है तो आप इसके स्टेटस का पता लगाने के लिए 18008908900 पर कॉल कर सकते हैं. हालांकि, इस नंबर को डायल करने के लिए आपको उसी जियो नंबर का इस्तेमाल करना होगा, जिसे आपने मोबाइल के प्री बुकिंग के दौरान दिया होगा.

इसके अलावा आप myJio ऐप के जरिए भी अपने जियो फोन का स्टेटस चैक कर सकते हैं. ऐप ओपन करने के बाद माय वाउचर सेक्शन ओपन करें. यहां आपको अपना फोन ट्रैक करने का ऑप्शन मिलेगा, जिससे आप जियो 4जी फोन के डिलिवरी स्टेटस के बारे में जान सकेंगे.

पार्टी कार्यकर्ताओं ने की पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या

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Shantanu Bhowmik

अगरतला। त्रिपुरा में इंडिजीनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के आंदोलन को कवर करने गये टीवी पत्रकार की हत्या कर दी गयी. पुलिस अधीक्षक अभिजीत सप्तर्षि ने बताया कि ‘दिनरात’ न्यूज चैनल के पत्रकार शांतनु भौमिक मंडई में आईपीएफटी के सड़क जाम तथा आंदोलन को कवर रहे थे. उसी दौरान उन पर पीछे से हमला किया गया और उनका अपहरण कर लिया गया.

अभिजीत सप्तर्षि ने कहा कि बाद में भौमिक का पता लगा और उनके शरीर पर चाकू से हमले के कई निशान थे. उन्हें तत्काल अगरतला मेडिकल कालेज अस्पताल ले जाया गया जहां डक्टरों ने उन्हें मृत लाया घोषित कर दिया. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बादल चौधरी ने उनकी हत्या की निंदा की. राज्य के सूचना मंत्री भानूलाल साहा अस्पताल गए. पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंडई में स्थिति तनावपूर्ण है और क्षेत्र में पहले से ही धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है. वहां अतिरिक्त पुलिस बल भेजे जा रहे हैं.

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि त्रिपुरा राजेर उपजाति गण मुक्ति परिषद (टीआरयूजीपी) के समर्थक जीएमपी की एक रैली में शामिल होने के लिए अगरतला जा रहे थे और खोवई में बस स्टैंड पर इकट्ठा हुए थे. वहां इंडीजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के कार्यकर्ताओं का एक समूह भी मौजूद था, जिन्हें रैली के बारे में पता चला और वे कथित रूप से भड़क गए.

उन्होंने बताया कि तब अन्य लोगों ने बीच-बचाव किया और बात नहीं बढ़ी. लेकिन जब बस छानखोला गांव से कुछ दूरी पर थी तब जंगल में छिपे आईपीएफटी के कुछ कार्यकर्ताओं ने वाहन पर हमला किया. उन्होंने जीएमपी कार्यकर्ताओं पर लोहे की छड़ों और डंडों से हमला किया. मंडाई में भीड़ को इकट्ठा होने से रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया. इसी घटना के दौरान आईपीएफटी के कार्यकर्ताओं ने 28 वर्षीय शांतनु भौमिक को मौत के घाट उतार दिया.

बता दें ये ऐसा पहला मामला नहीं है जब किसी पत्रकार को निशाना बनाया गया हो. इससे पहले कन्नड़ की वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की कुछ बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

नीतीश कुमार के उद्घघाटन से पहले ही टूटा बांध

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पटना। बिहार में भागलपुर के कहलगांव में करोड़ों की लागत से बना बांध उद्घाटन से पहले ही टूट गया. बांध के टूटने से कई इलाकों में गंगा का पानी घुस गया है. इस बांध को गंगा पंप नहर योजना के तहत तैयार किया गया था. जानकारी मिलते ही जिले के सभी आला अधिकारी मौके पर पहुंचे. पूरे कहलगांव में बाढ़ सा नज़ारा दिख रहा है.

एसडीआरएफ की टीम बचाव कार्य में जुट गई है. पानी अभी भी शहरी इलाकों में घुस रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पंप नहर योजना का आज उद्घाटन करने वाले थे. फिलहाल सीएम का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. 40 साल बाद पूरा हुए इस नहर परियोजना की नहर कहलगांव के एनटीपीसी मुरकटिया के पास टूट गई. बिहार और झारखंड की इस साझा परियोजना के जरिये जरिए भागलपुर में 18620 हेक्टेयर तथा झारखंड के गोड्डा जिला की 4038 हेक्टयर भूमि सिंचित होगी.

इस परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह भाग लेने वाले थे. पानी के बहाव को रोकने के बालू भरे बोरे रखे जा रहे हैं.

बांध टूटने पर ​प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी ने नीतीश सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए भागलपुर में मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री का पुतला फूंका. आरजेडी ने कहा है कि करोड़ों रुपये के सृजन घोटाले के बाद भागलपुर में एक नया ‘घोटाला’ सामने आया है.

यूपी के अफसर ने घूस लेकर आतंकी को छोड़ा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ योगी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं. पुलिस अधिकारी पर पंजाब की नाभा जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा को घूस लेकर छोड़ने का आरोप लग रहा है. घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए पुलिस अधिकारी ने एक करोड़ रुपये की रकम ली थी. इस मामले की जब मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को जानकारी मिली, तो उन्होंने मंगलवार शाम प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह को तलब किया. सीएम के निर्देश पर प्रमुख सचिव गृह ने एडीजी के नेतृत्व में मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.

गौरतलब है कि 27 नवंबर 2016 को खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट और बब्बर खालसा के आतंकवादियों को पटियाला की नाभा जेल से छुड़ा लिया गया था. आतंकियों को छुड़ाने के लिए अपराधी पुलिस की वर्दी में आए थे. इस मामले के मास्टरमाइंड गोपी घनश्याम पुरा को उत्‍तर प्रदेश में 10 सितंबर को शाहजहांपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद पुलिस की तरफ से गोपी घनश्याम पुरा को पकड़ने के बारे में मीडिया में कोई जानकारी नहीं दी गई.

इसके बाद घनश्यामपुरा के दोस्त और नाभा जेल से फरार होने वाले अपराधियों में से एक हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की गोंड ने फेसबुक पर गोपी घनश्यामपुरा को लखनऊ में गिरफ्तार किए जाने की खबर पोस्ट की. घनश्यामपुरा के दोस्‍त को डर था कि कही पुलिस उसका एनकाउंटर न कर दें, इस कारण उसने इस मामले को उजागर कर दिया.

पंजाब पुलिस ने भी यूपी के पुलिस अफसरों से गोपी की गिरफ्तारी से जुड़ी जानकारी मांगी तो अफसरों ने कोई भी जानकारी होने से इंकार कर दिया. इसके बाद जानकारी मिली कि उसे छोड़ने के बदले यूपी की एक स्पेशल फोर्स के आईजी से एक करोड़ रुपये की डील हो गई है. इस पूरे मामले की मध्यस्तता कांग्रेस के एक नेता ने की.

रासत में लिए गए अपराधी घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए जिस अफसर का नाम सामने आ रहा है वह लखनऊ में ही तैनात है. सूत्रों के मुताबिक IG रैंक के इस अफसर के पहले भी कई कारनामे सामने आ चुके हैं. लेकिन इस अधिकारी की ऊपर तक पहुंच होने के कारण इसके खिलाफ कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता.

आरोप है कि पंजाब के एक बड़े अपराधी और शराब व्यापारी के माध्‍यम से घनश्यामपुरा को छुड़ाने के लिए एक करोड़ रुपये की डील हुई. प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार के मुताबिक एडीजी स्तर के अधिकारी की अगुवाई में उच्च स्तरीय कमेटी प्रकरण की जांच करेगी. नाभा जेल ब्रेक के मामले में पंजाब पुलिस मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा की तलाश कर रही है.

संकल्प भूमि पर बसपा के कार्यक्रम से डरी भाजपा कार्यक्रम फेल करने में जुटी

बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के अपमान की बात कह कर चीख रहा यह शख्स एक अम्बेडकरवादी है, जो यह मानता है कि भारत के निर्माण में संविधान निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर का योगदान किसी अन्य से कम नहीं है. यह वीडियो गुजरात के वडोदरा की है, जहां 23 सितंबर को बहुजन समाज पार्टी द्वारा संकल्प दिवस के सौ साल पूरा होने के मौके पर विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया है.

असल में सारी दिक्कत यहीं से शुरू होती है. वडोदरा में संकल्प दिवस के दिन देश भर के अम्बेडकरवादियों का जमावड़ा लगता है. देश-विदेश के अम्बेडकरवादी यहां आकर सियाजी पार्क की उस धरती को नमन करते हैं, जहां बाबासाहेब ने उत्पीड़ित और उपेक्षित वर्ग को हजारों साल की गुलामी से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया था. बाबासाहेब ने यह संकल्प 23 सितंबर 1917 को लिया था. 23 सितंबर 2017 को इस सम्यक संकल्प के 100 साल पूरे हो रहे हैं.

बाबासाहेब को अपना आदर्श मानकर राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी इस शताब्दी वर्ष पर वडोदरा में एक बड़ा कार्यक्रम कर रही है. इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती हैं. इस मौके पर मायावती वडोदरा के नौलखी ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करेंगी और फिर सियाजी पार्क जाकर बाबासाहेब को श्रद्धांजली देंगी.

बसपा के इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा बौखला गई है. कार्यक्रम को लेकर शहर भर में पोस्टर और होर्डिंग्स लगे थे, जिसे उतार कर फेंक दिया गया. बहुजन समाज पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं और अन्य अम्बेडकरवादियों में इसको लेकर काफी रोष है. इस बारे में बसपा के गुजरात प्रभारी रामअचल राजभर कहते हैं- “बाबासाहेब के द्वारा दलितों, पीड़ितों और वंचित समाज के कल्याण के लिए वड़ोदरा में 1917 में संकल्प लिया गया था, उसी के 100 साल हो रहे हैं. बसपा के गुजरात इकाई की ओर से शताब्दी वर्ष का कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस समारोह में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश बहन कुमारी मायावती जी हैं.

भाजपा बसपा के इस कार्यक्रम से बौखला गई है और ओछी राजनीति पर उतर गई है. इस कार्यक्रम के लिए बसपा के बैनर और पोस्टर लगे हैं. हमने प्रशासन से कार्यक्रम की इजाजत भी ली है. बावजूद इसके हमारे बैनर और पोस्टर को हटाया जा रहा है. भाजपा बसपा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से डर गई है, मोदी नहीं चाहते कि बहनजी गुजरात आएं. वो बहन कुमारी मायावती के इस कार्यक्रम से डर गए हैं और दिल्ली में बैठकर गुजरात सरकार को निर्देश दे रहे हैं. गुजरात में बहुजन समाज की एकजुटता से मोदी जी और भाजपा इतना डर गए हैं कि गुजरात में रोड शो करने आ गए.” राम अचल राजभर प्रभारी, बसपा गुजरात इकाई असल में बसपा की रैलियों में जुटने वाली भीड़ रिकार्डतोड़ होती है. संकल्प दिवस के मौके पर वैसे ही देश भर के लोग वडोदरा में रहेंगे. कार्यक्रम में बसपा प्रमुख मायावती का संबोधन देश भर में एक बड़ा मैसेज दे जाएगा. भाजपा की परेशानी यही है. भाजपा इस कार्यक्रम को विफल बनाने में जुट गई है. यही वजह है कि शहर में लगे होर्डिंग्स को हटाकर वह बसपा कार्यकर्ताओं का उत्साह तोड़ने में जुटी है.

पाकिस्तानी सेना ने फिर तोड़ा सीजफायर, गोलीबारी में 1 जवान शहीद और 2 जख्मी

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कुपवाड़ा। पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर सीजफायर का उल्लंघन किया और घुसपैठ करने के कोशिश की. पाकिस्तानी सेना ने कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में भारतीय सेना के गश्ती दल पर गोलीबारी भी की. इस गोलीबारी में एक भारतीय जवान शहीद हो गया और दो जवान घायल हो गए.

सेना के एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी गोलीबारी का जरूरी और समुचित जवाब दिया जा रहा है. पहले सेना के अधिकारी ने कहा था कि पाकिस्तानी सैनिकों ने सुबह नियंत्रण रेखा पर बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की.

वहीं, बुधवार को ही पाकिस्तान की तरफ से पंजाब इंटरनेशनल बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश को सीमा सुरक्षा बल ने नाकाम किया है. BSF ने अमृतंसर की तहसील अजनाला की पोस्ट बीएसएफ ने 2 पाकिस्तान हथियार बन्द घुसपैठियों को को मार गिराया है.

BSF ने दोनों घुसपैठियों के पास से एके-47 राइफल और एक मैगजीन के साथ ही 4 किलो हीरोइन बरामद किया है. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक इन घुसपैठियों के पास से 9 एमएम पिस्टल, उसकी मैगजीन के अलावा 4 राउंड फायर भी मिली है. इनके पास से पाकिस्तान का मोबाइल और उसका SIM कार्ड भी मिला है. इन घुसपैठियों के पास से 20,000 पाकिस्तान की करेंसी भी मिली है.

रोजगार पैदा करने में मोदी सरकार भी नाकाम- राहुल गांधी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज अमेरिका के प्रिंस्टन यूनीवर्सिटी में छात्रों से मुखातिब हुए. छात्रों से बातचीत में उन्होंने स्वीकार किया कि मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को भारत में सत्ता इसलिए मिली क्योंकि लोग कांग्रेस पार्टी से बेरोजगारी के मुद्दे पर नाराज थे.

हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी भारत में इस समस्या के लिए पर्याप्त में काम नहीं कर रहे हैं. गांधी यहां दो हफ्ते की अमेरिका यात्रा पर हैं. प्रिंस्टन यूनीवर्सिटी में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने ने कहा कि आज किसी भी लोकतांत्रिक देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार को लेकर है फिर चाहे वह अमेरिका हो या फिर भारत. उन्होंने कहा कि लोग रोजगार के लिए गांवों से शहरों की ओर बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं लेकिन शहरों में भी उनके लिए रोजगार नहीं है. ये एक बड़ी चुनौती है.

राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि लोग कांग्रेस पार्टी से बेरोजगारी के मुद्दे पर नाराज थे और यही कारण है कि मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को भारत में सत्ता मिली. उन्होंने कहा कि रोजगार का पूर्ण मतलब राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में लोगों को सशक्त करना और शामिल करना है. उन्होंने छात्रों से कहा, मैं सोचता हूं, मोदी के उभार का मुख्य कारण और ट्रंप के सत्ता में आने की वजह, अमेरिका और भारत में रोजगार का प्रश्न होना है. हमारी बड़ी आबादी के पास कोई नौकरी नहीं है और वह अपना भविष्य नहीं देख सकते हैं. और इसलिए वह परेशान हैं, और उन्होंने इस तरह के नेताओं को समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि एक अन्य समस्या यह है कि बेरोजगारी को कोई समस्या मान ही नहीं रहा है. राहुल गांधी ने कहा, मैं ट्रंप को नहीं जानता. मैं उस बारे में बात नहीं करूंगा. लेकिन, निश्चित ही हमारे प्रधानमंत्री (रोजगार सृजन के लिए) पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. उन्होंने अमेरिका में विशेषज्ञों, व्यापारिक नेताओं और कांग्रेस के सदस्यों के साथ अपनी बैठक में बेरोजगारी का मामला बार-बार उठाया है.

‘आदिवासियों को उखाड़ फेंकना चाहती है झारखंड सरकार’

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हजारीबाग। झारखंड में आदिवासियों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. आदिवासियों का कहना है कि सरकार लगातार आदिवासी विरोधी नीतियां और कानून बनाकर आदिवासियों का शोषण कर रही है. रघुवर सरकार के विरोध में आदिवासी समुदाय ने मंगलवार (19 सितंबर) को समाहरणालय के गेट के पास धरना दिया. धरना कार्यक्रम का आयोजन सुशील ओडेया की अध्यक्षता में हुआ. धरना सभा का संचालन पीटर पॉल टोप्पो ने किया.

सुशील ओडया ने कहा कि राज्य की रघुवर सरकार आदिवासियों की दुश्मन है. वह आदिवासियों को झारखंड से उखाड़ फेंकना चाहती है. उसे पूरी तरह से बर्बाद करना चाहती है. सरकार आदिवासियों की जमीनों को अधिग्रहण करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपना रही है. जिनमें लैंड बैंक की स्थापना, गैरमजरुआ जमीन की बंदोबस्ती, झारखंड निजी भूमि सीधी क्रय नीति बनाना, सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव एवं धर्मांतरण निषेध विधेयक आदि इसके प्रमाण हैं.

वहीं अन्य वक्ताओं ने भी आदिवासियों की समस्याओं पर अपने विचार रखते हुए रघुवर सरकार को घेरा. आदिवासियों की अन्य मांगों में सरना कोड को यथाशीघ्र बहाल करना, पी पेसा कानून लागू करना, विनोबा भावे विश्वविद्यालय में पीजी विभाग में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास का निर्माण आदि शामिल है.

कार्यक्रम में जिले के विभिन्न प्रखंडों से बड़ी संख्या में आदिवासियों ने भाग लिया. धरने की समाप्ति के बाद उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन में आदिवासी समुदाय ने रघुवर सरकार के द्वारा किए जानेवाले कार्यों का विरोध जताया. साथ ही सरकार के द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए आजमाए जाने वाले हथकंडों की भी शिकयत की. इसके अलावा अन्य मांगों में शराब विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, सरकारी नौकरियों के लिए ली जानेवाली परीक्षाओं में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा को शामिल करना, सभी स्कूल कॉलेजों में जनजातीय भाषा की पढ़ाई आरंभ करने, लैंड रेवेन्यू एक्ट 1921 को अविलंब लागू करना शामिल है.

केरल परीक्षा भवन ने जारी किया KTET 2017 के रिजल्ट

केरल परीक्षा भवन ने केरल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (KTET) 2017 का रिजल्ट जारी कर दिया है. जिन उम्मीदवारों ने अगस्त 2017 में आयोजित परीक्षा में भाग लिया था, वे सभी अब आधिकारिक वेबसाइट bpekerala.in पर जाकर अपने परिणाम देख सकते हैं. इसके अलावा अभ्यर्थी परिणाम संबंधित अपडेट keralapareekshabhavan.in इस लिंक पर जाकर भी देख सकते हैं. अगर वेबसाइट थोड़ा स्लो चल रही हो तो किसी भी तरह से परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसके लिए बस थोड़ा इंतजार करें.

KTET के लिए आधिकारिक सूचना जुलाई में जारी की गई थी और परीक्षा 12 अगस्त और 19 अगस्त को हुई थी. इसके लिए एडमिट कार्ड 1 अगस्त को जारी किए गए थे. बता दें कि KTET परीक्षा में 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को KTET के लिए योग्य माना जाएगा. सभी कैटगरी के लिए यही पासिंग मार्क्स हैं. इस टेस्ट में किसी भी तरह की नेगेटिव मार्किंग के लिए नंबर नहीं काटे गए हैं. इसके अलावा K-TET परीक्षा में हिस्सा लेने वालों के लिए कोई भी आयु सीमा तय नहीं है.

सबसे पहले आपको केरल परीक्षा भवन की आधिकारिक वेबसाइट keralapareekshabhavan.in पर जाना होगा. इसके बाद वहां पर लिखे KTET 2017 रिजल्ट के लिंक पर क्लिक करें. कंप्यूटर स्क्रीन पर कैटगरी, रोल नंबर और जन्म तिथि का विकल्प आएगा. इन तीनों को भरकर सबमिट के बटन पर क्लिक करें. इस स्टेप को फॉलो करने के बाद आपके सामने आपका रिजल्ट होगा.

राम रहीम के डेरे में दबे हैं 600 नरकंकाल

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सिरसा। बलात्कारी बाबा राम रहीम के बारे में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. खुलासे में पता चला है कि सिरसा स्थित डेरे में 600 से ज्यादा लोगों को दफनाया गया है और खुदाई में इनके कंकाल मिल सकते हैं.

ये खुलासा डेरा प्रबंधन कमिटी के डा. पीआर नैन ने किया. मामले की जांच कर रही एसआईटी ने लगातार डेरे और राम रहीम से संबंधित लोगों से पूछताछ कर रही है. इस प्रकिया के तहत एसआईटी ने पीआर नैन से भी पूछताछ की.

नैन ने एसआईटी को बताया कि डेरे में मोक्ष के लिए भी शव दफनाए जाते थे. दरअसल, अनुयायियों का मानना था कि मौत के बाद उनका शव डेरे में दफनाया जाएगा तो उन्हें मोक्ष मिलेगा. उसने यह भी कहा कि एक वैज्ञानिक ने सलाह दी थी कि अस्थियों से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी.

हालांकि एसआईटी इसकी जांच कर रही है. बता दें कि डेरा प्रमुख के जेल जाने के बाद एसआईटी ने डेरे की तलाशी ली थी और वहां से कई चीजें जब्त हुई थी. यह भी दावा किया जा रहा था कि डेरे की खुदाई में नरकंकाल मिल सकते हैं.

पूछताछ में नैन ने हनीप्रीत को लेकर भी खुलासा किया और कहा कि वो 25 अगस्त को डेरे में आई थी. नैन ने कहा कि 25 अगस्त की रात विपासना ने हनीप्रीत को डेरे में बुलाया. मुझे पता है कि हनीप्रीत आई थी, लेकिन मेरी उसकी बात नहीं हो पाई.

जन्मदिन स्पेशल, 69 साल के हुए महेश भट्ट

दिग्गज फिल्मकार महेश भट्ट बुधवार को 69 साल के हो गए. महेश भट्ट का जन्म 20 सितंबर 1948 में हुआ था. इन्होंने 1974 में ‘मंजिलें और भी हैं’ से अपने निर्देशन कार्य की शुरुआत की थी. इनके द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सारांश’ (1984) मॉस्को अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव में दिखाया गया था और साथ ही इसके कहानी लिखने के कारण इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानी का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला. यह अपने भाई मुकेश भट्ट के साथ ‘कब्जा’ (1988) नामक फिल्म के निर्माण के साथ ही निर्माता भी बन गए.

चार दशक के करियर में महेश ने खुद को एक बड़े मुकाम तक पहुंचाया है. ‘अर्थ’, ‘सारांश’, ‘डैडी’, ‘आवारगी’ जैसी फिल्मों का निर्देशन करके महेश ने अपने असाधारण निर्देशक होने का रिकॉर्ड साबित कर दिया था। महेश भट्ट के जन्मदिन पर उनकी बेटियों- फिल्मकार पूजा और अभिनेत्री आलिया ने ट्विटर पर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है.

महेश भट्ट ने ‘जख्म’ और ‘अर्थ’ जैसी लीक से हटकर फिल्में बनाई है. महेश भट्ट की कुछ प्रशंसनीय फिल्मों में ‘सारांश’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘सड़क’, ‘आशिकी’ और ‘जख्म’ शामिल हैं. इसके अलावा उन्हें बॉलीवुड में कई प्रतिभाशाली कलाकारों और गायकों के करियर की शुरुआत का श्रेय जाता है. कंगना रनौत, इमरान हाशमी, आशुतोष राणा महेश भट्ट की ही खोज हैं.