दलित बच्ची का अंतिम संस्कार कर रहे परिजनों पर सवर्णों ने किया पथराव

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कौशाम्बी। उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में उस समय हंगामा खड़ा हो गया, जब एक दलित परिवार को उसकी मासूम बेटी का शव दफनाने से सवर्णों ने रोक दिया. दलित परिवार ने इसका विरोध किया तो पास के गांव के सवर्णों ने तालाब की जमीन को अपना बताते हुए उन्हें जबरन मार-पीट और पथराव कर भगा दिया. जिससे नाराज़ सैंकड़ों की संख्या में इकठ्ठे हुए दलितों ने स्थानीय रोड को जामकर दिया. घटना सैनी थाना इलाके के थुलथुला गांव की बताई जा रही है. इस पूरे मामले पर जहां पुलिस के अधिकारी सवर्णों पर कोई ठोस कार्रवाई न करने के कारण मीडिया के सवालों से बच रहे है, वहीं दूसरी तरफ कौशाम्बी के डीएम पूरे मामले की जांच एसडीएम से कराकर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दे रहे हैं.

स्थानीय लोगों के मुताबिक सैनी थाने के थुलथुला गांव में रहने वाले मोती लाल की 8 महीने की बेटी बीमारी के कारण मौत के मुंह में चली गई. जिसके अंतिम संस्कार के लिए परिवार ने गांव के तालाब की जमीन पर गड्डा खोद कर दफनाने की प्रक्रिया शुरू की. अभी कब्र खोद कर लोग शव लेकर पहुंचे ही थे कि पास के ही गांव के कुछ सवर्णों ने तालाब की जमीन को अपना बता कर मोती लाल को शव दफनाने से मना कर दिया. इतना ही नहीं जातिवादियों ने दलित परिवार के विरोध करने पर उनके साथ मार-पीट की और पथराव कर उन्हें वहां से भगा दिया.

शव का अंतिम संस्कार न कर पाने से नाराज़ मोती ने गांव के लोगों से अपनी बात बताई. जिसके बाद सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे दलितों ने सैनी के देवीगंज रोड को जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. घटना की जानकारी लोगों से मिलने के बाद भारी पुलिस बल मौके पर पंहुचा. कई घंटे की जद्दोजहद के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने तालाब की ज़मीन को सरकारी भूमि बताते हुए शव का अंतिम संस्कार कराया. जिसके बाद पूरा मामला शांत हुआ.

इस पूरे मामले पर सैनी थाना पुलिस ने जातिवादियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है. कार्रवाई के बाबत तहरीर न मिलने का हवाला देकर पुलिस अधिकारी मीडिया के सवालों से बच रहे हैं. फिलहाल कौशाम्बी के डीएम ने इस पूरे मामले की जांच एसडीएम सिराथू को सौंपी है. कौशाम्बी के डीएम मनीष कुमार वर्मा का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही ठीक-ठीक कहना उचित होगा और रिपोर्ट के बाद ही ठोस कार्रवाई की जाएगी. जिससे भविष्य में इस तरह की घटना दोहराई न जा सके.

संपादित-रमेश कुमार

जेएनयू में 13 अक्टूबर तक हीं भर सकेंगे फॉर्म, जल्दी करें अप्लाई

नई दिल्ली। जेएनयू में इस साल से ऐडमिशन के लिए दिसंबर में एंट्रेंस एग्जाम होंगे. ऐकडेमिक सेशन 2018-19 के लिए नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है. यूनिवर्सिटी 27 दिसंबर से 30 दिसंबर तक देशभर के 53 शहरों और देश से बाहर काठमांडु, नेपाल में एंट्रेंस एग्जाम रखेगी. इससे पहले तक एंट्रेंस एग्जाम मई में होते थे. ऑनलाइन ऐप्लिकेशन भरने का प्रोसेस 15 सितंबर को 10 बजे से शुरू होगा और 13 अक्टूबर (रात 11:59 बजे तक) तक फॉर्म भरे जा सकेंगे.

एमफिल/पीएचडी, जेआरएफ से एमफिल/पीएचडी, पीएचडी, जेआरएफ से पीएचडी, एमटेक, एमपीएच, पीजीडीई, एमए, एमएससी, एमसीए, फॉरेन लैंग्वेज में बीए ऑनर्स और सभी पार्ट टाइम कोर्स के लिए एंट्रेंस एग्जामिनेशन होंगे. जेएनयू की वेबसाइट (jnu.ac.in) में प्रॉस्पेक्टस देखा जा सकता है. सभी कोर्स के लिए ऑनलाइन ऐप्लिकेशन भरी जाएगी.

जेएनयू में इस साल एंट्रेंस एग्जाम 16 से 19 मई को हुए थे. मई की बजाय दिसंबर में एग्जाम रखने के फैसले पर पिछले दो साल से काम चल रहा था और ऐकडेमिक काउंसिल के बाद इस साल स्टैंडिंग काउंसिल ने इस पर मोहर लगा दी थी. इसके लिए एक कमिटी भी बनाई गई थी और सभी डीन से राय भी ली गई थी. दिसंबर एंट्रेंस रखने की वजह है, ताकि जेएनयू के लिए ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स अप्लाई कर सके.

बिहार की बेटी ज्योति मचा रही बिग बॉस में धमाल

पटना जिले के मसौढ़ी की रहनेवाली ज्योति कुमारी ने रविवार को बिग बॉस सीजन 11 के घर में इंट्री कर ली। बिग बॉस के घर में ज्योति ने रात 10.10 बजे पर इंट्री ली। बॉलीवुड स्टार सलमान खान ने ज्योति कुमारी सहित सभी प्रतिभागियों का बिग बॉस के घर में स्वागत किया।

बिग बॉस के सीजन 11 के लिए आयोजित ग्रैंड प्रीमियर में जुड़वा 2 के स्टार्स वरुण धवन, जैकलीन फर्नांडीज और तापसी पन्नू के साथ ज्योति भी मंच पर पहुंचीं। ज्योति ने सलमान खान को उनकी तस्वीरों के कलेक्शन को लाल रंग के रैपर में गिफ्ट किया। सलमान ने रैपर को खोला जिसमें उनकी तस्वीरों का कोलाज बना हुआ था।

ज्योति मसौढ़ी के गंगाचक मलकाना मोहल्ले की रहनेवाली हैं। फिलहाल दिल्ली के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई कर रही है। ज्योति के पिता पटना में एक संस्थान में चपरासी हैं। बिग बॉस में इंट्री लेने से पहले ज्योति के पिता ने बताया कि मेरी बेटी ज्योति मुंबई जाने का सपना देखा करती थी। उसका सपना पूरा हो गया है। बचपन से ही उसका ख्वाब था कि वह बॉलीवुड में काम करे। उसे सपनों की सीढ़ी मिल गयी है।

ज्योति ने एक साक्षात्कार में कहा कि एक मामूली चपरासी की बेटी के सपने भी मामूली हों यह जरूरी नहीं। बिग बॉस में प्रवेश लेने से पहले ज्योति का आत्मविश्वास देखते बन रहा था। ज्योति के परिजनों ने बताया कि वह शुरू से ही अपनी बातों को जोरदार तरीके से रखती थी। पक्ष हो या विपक्ष तुरंत अपनी बात कह देती है।

आस्ट्रेलियाई कप्तान स्मिथ के साथ धोनी पहुंचे अपने घर

तीन मैचों की टी-20 सीरीज के पहले मैच के लिए भारत व आस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों का रांची आना शुरू हो गया है. सोमवार को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी, आस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ, पेन व हेनरिक्स रांची पहुंच गए. आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जहां बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से सीधे होटल चले गए वहीं धौनी अपने घर रवाना हो गए. रांची स्थित धौनी के फार्म हाउस में अनुपम खेर, धौनी का दोस्त चितु और महेंद्र सिंह धौनी मौजूद रहे. राज्य में फिल्मों के भविष्य को लेकर फिल्‍म अभिनेता अनुपम खेर आज रांची में पत्रकारों से बात करेंगे. सात अक्टूबर को भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन मैचों की टी-20 सीरीज का पहला मैच जेएससीए स्टेडियम में खेला जाएगा. दोनों टीमों के खिलाड़ी अलग-अलग रांची पहुंचेंगे. माना जा रहा है कि पांच अक्टूबर तक दोनों टीमों के सभी खिलाड़ी रांची पहुंच जाएंगे. नागपुर में एक अक्टूबर को संपन्न एकदिवसीय सीरीज के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी अपने-अपने घर रवाना हो गए, जबकि कुछ आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने भारत भ्रमण करने का निर्णय लिया. पहले से खिलाड़ियों के आने की सूचना नहीं होने के कारण एयरपोर्ट पर प्रशंसकों की भीड़ नजर नहीं आई. हालांकि, धौनी को देखते ही मौजूद लोगों में उनकी तस्वीरें लेने की होड़ मच गई. सात अक्टूबर को होने वाले मैच के लिए टिकटों की बिक्री मंगलवार से शुरू हो जाएगी. स्टेडियम के टिकट काउंटर से सुबह साढ़े नौ बजे से टिकटों की बिक्री शुरू हो जाएगी. इस मैच के लिए 900 से लेकर पांच हजार तक के टिकट हैं. कुल छह काउंटरों से टिकट मिलेंगे जबकि एक काउंटर महिलाओं व दिव्यांगों के लिए है.

अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दलित छात्र से प्रोफेसर कर रहे हैं भेदभाव

ambedkar University

नई दिल्ली। देश में दलितों के साथ भेदभाव लगातार जारी है. ये भेदभाव स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अनवरत रूप से जारी है. डेढ़ साल पहले रोहित वेमुला की हैदराबाद विश्वविद्यालय में संस्थानिक हत्या के बाद, बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में आठ दलितों के साथ भेदभाव किया गया और विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया था. बहुत विरोध प्रदर्शन और तमाम आयोगों को शिकायत पत्र देने के बाद ही छात्रों की बहाली हुई.

अब दिल्ली स्थित अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दलित क्वीर छात्र के साथ पिछले कई महीनों से भेदभाव जारी है. 19 वर्षीय आरोह अकुंथ के विश्वविद्यालय प्रशासन से तकरार के बाद वे कैंपस से बाहर हो सकते हैं. आरोह का कहना है कि वो क्वीर हैं और दलित भी, इस वजह से उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा. अब आरोह ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बातें लोगों तक पहुंचाई है. हालांकि, यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी का कहना है कि अभी यह मामला वीसी अपने स्तर पर देख रहे हैं. आरोह ने वीसी को भी मेमो दिया है.

आरोह ने सोशल मीडिया पर एक ओपन लेटर लिखा है. जिसमें उन्हें उन्होंने अपनी पूरी व्यथा बताई और भेदभाव करने वाले प्रोफेसरों के नाम भी बताए हैं.

सेकंड ईयर के स्टूडेंट आरोह का कहना है कि अगर स्टूडेंट ने 14 पेपर पास किए हों, तो उसे अगले साल के लिए प्रमोट कर दिया जाता है. आरोह ने 12 पेपर पास किए, एक में फेल हुए और तीन के रिजल्ट को चैलेंज किया. सुधार के लिए कोई रिड्रेसल सिस्टम नहीं है. इसलिए डीन से मिलने के बाद उन्होंने मुझे मामला सॉल्व होने तक थर्ड ईयर में बैठने की इजाजत दी.

Protest

आरोह का कहना है, जब मैंने अपना असाइनमेंट जमा किया तो मेरी कोर्स कोऑर्डिनेटर ने इसलिए लेने से मना कर दिया क्योंकि वो हाथ से लिखा है और मैं फेल हो गया. उन्होंने ‘दया’ का हवाला देते हुए मेरा वाइवा लिया लेकिन वो असाइनमेंट से आधे नंबर का होता है. कोऑर्डिनेटर ने ईमेल के जरिए कई बार मेरी क्वीर आइडेंटिटी पर सवाल और कमेंट भी किए, जबकि उन्हें पता है कि मैं कैंपस में होमोफोबिक और जातिवादी लोगों का सामना करने के लिए थेरेपी भी ले रहा हूं.

अंडरग्रैजुएट स्टडीज स्कूल के डीन डॉ़ तनुजा कोठियाल ने जांच के लिए चार मेंबर की इंटरनल कमिटी बनाई, जिसमें सभी टीचर्स थे, स्टूडेंट्स की ओर से कोई नहीं था. एक महीने के बाद केस स्टूडेंट्स-फैकल्टी कमिटी में भेजा गया, जहां इसे पर्सनल मैटर बताते हुए मदद से इनकार कर दिया गया. यूजीसी के हिसाब से शिकायतों पर कमिटी को एक हफ्ते से एक महीने के अंदर रिजल्ट देना होता है मगर इस केस में उल्टा आरोह को फैकल्टी के खिलाफ जाने के लिए धमकाया जा रहा है.

उनका यह भी कहना है कि कैंपस में दलित या क्वीर होने की वजह से भेदभाव होता है, मगर इस पर टीचर्स चुप रहते हैं. यूनिवर्सिटी में ना ही इक्वल ऑपर्चुनिटी सेल और ना ही एससी/एसटी सेल है. जेंडर सेंसेटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरसमेंट (GSCASH) में क्वीर कम्यूनिटी का रिप्रेजेंटेशन नहीं है. स्टूडेंट्स इन सेल की डिमांड और इनमें स्टूडेंट्स के प्रतिनिधित्व के लिए आज प्रोटेस्ट करेंगे.

संपादित-रमेश कुमार

BSF कैंप पर आतंकी हमला, 3 आतंकी ढेर

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श्रीनगर। श्रीनगर एयरपोर्ट के करीब स्थित बीएसएफ कैंप पर मंगलवार (3 अक्टूबर) सुबह आतंकवादियों ने हमला कर दिया. जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने हमला करने वाले तीनों आतंकवादियों को मार गिराया. आतंकियों ने बीएसएफ की 182वीं बटालियन को निशाना बनाकर यह हमला किया था. आतंकी कैंपस के अंदर मौजूद एक बिल्डिंग में घुस गए थे. कई घंटों तक चले ऑपरेशन के बीद तीनों आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया. हमले में बीएसएफ के एक ASI शहीद हो गए, जबकि दो जवान घायल हुए हैं. घटना के मद्देनजर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई है.

बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 बजे आतंकवादी फायरिंग करते हुए बीएसएफ कैंप के अंदर घुस गए. तुरंत हरकत में आए जवानों ने आतंकवादियों पर जवाबी कार्रवाई शुरू करते हुए पूरे इलाके को घेर लिया. ऑपरेशन के दौरान सभी वाहनों और यात्रियों को एयरपोर्ट की तरफ जाने से रोक दिया गया था. यहां तक कि एयरपोर्ट के कर्मचारियों को भी एयरपोर्ट नहीं जाने दिया जा रहा था. बाद में एयरपोर्ट पर विमानों की आवाजाही बहाल कर दी गई.

हमले के बाद घटनास्थल पर भारी संख्या में सुरक्षाबल पहुंच गए थे. इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, 53 राष्ट्रीय राइफल्स, बीएसएफ और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के जवान शामिल थे. काफी देर तक आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच रुक-रुक कर फायरिंग चलती रही. आखिरकार तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया गया. इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने सोमवार को दो हमलों को अंजाम दिया है. कश्मीर घाटी के पुलवामा जिले में आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल की गोली मारकर हत्या कर दी है. इससे पहले पिछले हफ्ते ही बांदीपोरा में बीएसएफ जवान रमीज अहमद पैरे को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने घर में घुसकर गोली मार दी थी. उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी.

2002 का रिकॉर्ड तोड़ 62 के पार हुआ डीजल

देश भर में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने का सिलसिला अभी भी जारी है। जहां डीजल 62 के पार चला गया है, वहीं पेट्रोल भी 80 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच गए हैं। पूरे देश में इनके प्राइस सबसे ज्यादा मुंबई में हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में डीजल की कीमत 2002 के बाद अब अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं कोलकाता में यह तीन साल के रिकॉर्ड पर है। इससे पहले अगस्त 2014 में डीजल की कीमतें देश के तीन बड़े महानगरों मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में सबसे ज्यादा थी। ​

1 जुलाई से दिल्ली में पेट्रोल की कीमतों में 7 रुपये 74 प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। वहीं डीजल के दाम में 5.74 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। दिल्ली में 2 अक्टूबर को पेट्रोल 70.83 रुपये और डीजल 59.07 रुपये की दर से बेचा गया।

वहीं कोलकाता में पेट्रोल 73.57 रुपये, मुंबई में 79.94 रुपये और चेन्नई में 73.43 रुपये की दर से बिका। अगर डीजल की बात करें तो कोलकाता में 2 अक्टूबर को यह 61.73 रुपये, मुंबई में 62.75 रुपये और चेन्नई में 62.22 रुपये की दर थी।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री प्रधान ने कहा, ‘अमेरिका में हरीकेन तूफान के कारण हाल में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। जैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में कमी होगी, ईंधन की कीमतों में कमी आ जाएगी।’

पेट्रोल और डीजल के मूल्य पिछले 20 सालों से बाजार से जुड़े हुए हैं। पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स में कमी की संभावना के सवाल पर प्रधान ने कहा कि आधारभूत ढांचे के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के मद्देनजर करों में कटौती नहीं की जाएगी।

सामने आई हनीप्रीत, रो-रो कर खोले बलात्कारी बाबा के राज

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पंचकुला। बलात्कारी बाबा की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत 38 दिनों के बाद सबके सामने आई. वह राम रहीम की सजा मिलने के बाद से ही फरार चल रही थी. हनीप्रीत के करीबियों ने दावा किया है कि वह पंचकूला पुलिस के सामने सरेंडर करेगी. बता दें कि वह एक महीने से ज्यादा समय से फरार चल रही है.

हनीप्रीत ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अभी हुए इस पूरे वाकये से मैं खुद डरने लगी हूं, मैं अपनी मेंटल स्थिति बयां नहीं कर सकती. हनीप्रीत ने सामने आने के बाद खुद को बेकसूर बताया है. हनीप्रीत ने कहा है कि वह अपना पक्ष पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के सामने रखेंगी. राम रहीम की बेहद करीबी रहीं हनीप्रीत ने कहा है वो इस पूरे मामले में कानूनी सलाह लेंगी.

हनीप्रीत ने अपने और राम रहीम के रिश्ते पर भी सफाई दी. हनीप्रीत ने कहा कि उनका और राम रहीम का रिश्ता बेहद पवित्र था. बातचीत में हनीप्रीत ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया.

कुछ दिनों पहले हनीप्रीत ने दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दी थी. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने हनीप्रीत की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उसे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका देनी चाहिए.

हनीप्रीत आखिरी बार 25 अगस्त को रोहतक में दिखी थी. 25 अगस्त को गुरमीत राम रहीम को पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया था और उसे रोहतक की सुनारिया जेल भेज दिया था. पंचकूला से हनीप्रीत भी उसके साथ हेलिकॉप्टर में रोहतक गई थी. उसके बाद हनीप्रीत को एक गाड़ी में रोहतक से निकलते हुए देखा था. उसके बाद वह कहां थी इसका कोई पता नहीं चल पाया था.

संपादित-रमेश कुमार

…इन तीन वैज्ञानिकों को मिला मेडिसिन का नोबेल प्राइज

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स्टॉकहोम। यूएस के जेनेसिसिस्ट्स जेफरी सी. हॉल, माइकल रॉसबैस और माइकल डब्ल्यू यंग को इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक के बारे में महत्वपूर्ण शोध के लिए 2017 के चिकित्सा के नोबेल के लिए चुना गया है. इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक के जरिए ही ज्यादातर जीवित लोगों में जगने-सोने की प्रक्रिया संचालित होती है. नोबेल असेंबली ने ऐलान किया, ‘उनकी खोज ने इसकी व्याख्या की कि कैसे पौधे, जानवर और इंसान अपने जैविक लय के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं, जिससे वे धरती की परिक्रमा से तालमेल बैठा पाते हैं.’

इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक यानी आंतरिक जैविक घड़ी को सर्केडियन रिदम के नाम से भी जाना जाता है. धरती पर जीवन हमारे इस ग्रह के परिक्रमा के अनुरूप होता है. कई सालों से हमारे वैज्ञानिकों को पता है कि जीवों में एक इंटरनल क्लॉक होता है जो दिन के रिदम के अनुरूप खुद को ढालता है. नोबेल असेंबली ने कहा, ‘हॉल (72), रॉसबैश (73) और यंग (68) ने बायलॉजिकल क्लॉक और उसकी आंतरिक कार्यप्रणाली का करीब से अध्ययन किया.’

बता दें कि इंटरनल बायलॉजिकल क्लॉक हॉर्मोन्स लेवल्स, नींद, शरीर के तामपाम और मेटाबोलिजम जैसे जैविक कार्यों को प्रभावित करता है. यही वजह है कि जब हम अपने टाइम जोन को बदलते हैं तो तत्काल हमारा इंटरनल क्लॉक और बाहरी वातावरण में तालमेल नहीं बैठ पाता. तीनों चिकित्सा वैज्ञानिकों को कुल 9 लाख स्विडिश क्रोनोर यानी 11 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 7 करोड़ रुपये) की प्राइज मनी मिलेगी. पिछले साल जापान के योशिनोरी ओशुमी को चिकित्सा का नोबेल मिला था.

एनबीटी से साभार

UPPCL इंजीनियरों के लिए सुनहरा मौका, जल्‍द करें आवेदन

  Uttar Pradesh Power Corporation Limited (UPPCL) ने Junior Engineer के पद पर आवेदन के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. इस सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले रोजगार संबंधी सभी आवश्यक जानकारियां पढ़ लें, उसके बाद ही आवेदन करें. संस्थान का नाम Uttar Pradesh Power Corporation Limited (UPPCL) पद का नाम Junior Engineer कुल पद 1196 योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान या यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की हो. चुनाव प्रक्रिया लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर चयन किया जाएगा. अंतिम तारीख 23 अक्टूबर 2017 कैसे करें आवेदन आवेदन करने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट www.uppcl.org पर जाएं.

पीएम मोदी पर भड़के प्रकाश राज, कहा- ये तो मेरे से भी बड़े एक्टर निकले

Prakash Raj

बेंगलुरू। एक महीने से ज्यादा बीत गया है लेकिन अभी तक कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश के हत्यारों का पता नहीं चल पाया है. जिसको लेकर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों में सरकार के प्रति हताशा है. लोग राज्य सरकार और केंद्र सरकार का लगातार विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में टॉलीवुड और बॉलीवुड के अभिनेता ने प्रकाश राज ने भी मोदी सरकार और राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

प्रकाश राज ने रविवार को बेंगलुरू में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्टेट मीट कार्यक्रम में कहा, “इस भयावह घटना का जश्न मनाने वाले कुछ लोगों को मोदी जी खुद फॉलो करते हैं… इसी से मुझे चिंता होती है, हमारा देश कहां जा रहा है…? हम सब जानते हैं कि ये कौन लोग हैं और उनकी क्या विचारधारा है.”

इसके बाद प्रकाश राज ने कहा कि प्रधानमंत्री का व्यवहार उस अभिनेता जैसा है, जो अपने प्रशंसकों को खुश करने की कोशिश कर रहा हो. उन्होंने कथित रूप से कहा, “वह (प्रधानमंत्री) मुझसे बड़ा अभिनेता बनने की कोशिश कर रहे हैं…”

प्रकाश राज ने आगे कहा कि ‘मैं कोई अवॉर्ड नहीं चाहता. मुझसे न कहें कि अच्छे दिन आएंगे. मैं जाना पहचाना एक्टर हूं, जब आप एक्ट‍िंग करते हैं तो मैं पहचान लेता हूं.’ ‘इस मामले पर चुप रहकर क्या पीएम मोदी क्रूरता को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका कि उनके ही कुछ फॉलोअर्स जश्न मना रहे हैं?’

गौरी लंकेश की हत्या को एक माह बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मुद्दे पर चुप्पी की वजह से जाने-माने दक्षिण भारतीय अभिनेता प्रकाश राज ने कहा है कि वह अपने पांच राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने के इच्छुक हैं.

आपको बता दे कि पांच सितंबर को बेंगलुरू में पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 52-वर्षीय अभिनेता तथा गौरी लंकेश के बीच गहरी मित्रता थी. प्रकाश राज ने कहा कि वह गौरी को 30 सालों से जानते थे.

रणवीर सिंह ने ड्राइवर को नहीं दी 2 महीने से सैलरी

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती की शूटिंग में आए दिन दिक्कतें आ रही हैं. अब खबर है कि शूटिंग में रणवीर सिंह के ड्राइवर और बॉडीगार्ड में लड़ाई की वजह से ब्रेक लगा. जिसके बाद डायरेक्टर भंसाली को बीच में हस्तक्षेप करना पड़ा. ड्राइवर का आरोप है कि रणवीर ने दो महीने से उसे सैलरी नहीं दी है.

पद्मावती के खास सीन के लिए रणवीर सिंह के साथ फिल्म सिटी में शूटिंग चल रही थी. तभी बाहर से रणवीर के बॉडीगार्ड विनायक और ड्राइवर सूरज पाल के आपस में लड़ने की आवाजें आने लगी. जिसके बाद क्रू ने दोनों को झगड़ा बंद करने को कहा. लेकिन वो माने नहीं. वे आपस में एक-दूसरे पर चिल्लाते रहे.

स्पॉटबॉय की खबर के मुताबिक, घटनास्थल पर मौजूद एक शख्स ने बताया कि ड्राइवर सूरज रणवीर के मैनेजर से अपनी 2 महीने की बकाया सैलरी मांग रहा था. उसे दो महीने का मेहनताना जो कि 85000 है नहीं मिला था. लेकिन रणवीर की मैनेजर उसकी सुनने के मूड में नहीं थी. मैनेजर ने बॉडीगार्ड से ड्राइवर को बाहर करने को कहा. फिर गुस्साए बॉडीगार्ड ने ड्राइवर सूरज को पीटना शुरू कर दिया. इस बीच मैनेजर ने बीच बचाव करने की कोशिश की लेकिन प्रयास असफल रहा.

लेकिन स्पॉटबॉय के अनुसार, अभी तक ड्राइवर को उसकी सैलरी नहीं मिली है. उसने रणवीर की बहन को भी कॉन्टैक्ट किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. आखिरकार ड्राइवर ने इस मामले को यूनियन के पास ले जाने का प्लान किया है.

टी-20 सीरीज के लिए टीम इंडिया में कई चौंकाने वाले बदलाव

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 वनडे मैचों की सीरीज खत्म होने के बाद अब इस दौरे के तीन टी-20 मुकबलों के लिए भी टीम की घोषणा कर दी गई है। वनडे सीरीज में 4-1 से ऑस्ट्रेलियाई टीम को मात देने के बाद चयनकर्ताओं ने 7 अक्टूबर से शुरू हो रही टी-20 मुकाबले के लिए कई बदलाव किए हैं।
  नेहरा और दिनेश कार्तिक टीम में बीसीसीआइ ने रविवार रात को वनडे सीरीज खत्म होने के बाद तीन टी-20 मैचों के लिए 15 सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी है। टी-20 मुकाबलों के लिए 38 साल के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा के अलावा दिनेश कार्तिक को भी टीम में जगह मिली है। अश्विन और जडेजा फिर से बाहर इस टीम में फिर से चौंकाने वाले कदम के तौर पर भारत के शीर्ष स्पिनरों रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को जगह नहीं दी गई है। इससे पहले उन्हें वनडे से भी बाहर रखा गया था। शायद चयनकर्ता उन्हें टेस्ट मैचों के लिए या विदेशी दौरों के लिए बचाकर रखना चाहते हैं। ये दोनों खिलाड़ी अब रणजी ट्रॉफी में खेलते दिखेंगे। लोकेश राहुल और शिखर धवन की वापसी पहले मां और फिर पत्नी की तबीयत खराह होने के बाद से टेस्ट और वनडे मैचों से बाहर रहे शिखर धवन की टीम में वापसी हुई है। इसके अलावा टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी क्रम बदलने के बाद असफल रहे और वनडे टीम में जगह नहीं पा सके लोकेश राहुल को भी टी-20 टीम में जगह दी गई है। पांच पांडवों का स्थान बरकरार वनडे टीम में रहे पांच युवा पांडवों को टी-20 टीम में भी जगह दी गई है। बल्लेबाजों में मनीष पांडे और केदार जाधव और गेंदबाज में युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल को बरकरार रखा गया है। उम्मीद है कि चयनकर्ता इन्हें 2019 विश्व कप के लिए तैयार कर रहे हैं। यह है 15 सदस्यीय टी-20 टीम विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा (उप कप्तान), शिखर धवन, केएल राहुल , मनीष पांडे, केदार जाधव, दिनेश कार्तिक, महेंद्र सिंह धौनी (विकेटकीपर), हार्दिक पांड्या, कुलदीप यादव, यजुवेंद्र चहल, जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, आशीष नेहरा और अक्षर पटेल। यह है टी-20 सीरीज का कार्यक्रम पहला टी-20- 7 अक्टूबर, रांची दूसरा टी-20, 10 अक्टूबर, गुवाहाटी तीसरा टी-20, 13 अक्टूबर, हैदराबाद

लास वेगास में गोलीबारी, 50 की मौत और 400 घायल

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Las Vegas

लास वेगास। अमेरिका के लास वेगास में चल रहे एक म्यूजिक कंसर्ट में अज्ञात हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी. इस गोलीबारी में 50 लोगों की मौत हो गई और लगभग 400 लोग घायल हो गए. एक हमलावर को ढेर कर दिया गया है, जबकि एक अन्य हमलावर की तलाश की जा रही है.

पुलिस ने बताया कि वे मांडले बे रिजॉर्ट और कैसिनो पर एक सक्रिय शूटर की जांच कर रहे हैं. लास वेगास मेट्रोपोलिटन पुलिस ने ट्विटर पर लिखा कि हम मांडले बे कैसिनो के आसपास एक शूटर की मौजूदगी की जांच कर रहे हैं. कृपया सभी उस इलाके से दूर रहें.

रूट 91 हार्वेस्ट फेस्टिवल के पास एक बंदूकधारी को देखे जाने की खबर मिलने के बाद अधिकारियों ने दर्जनों गश्ती वाहनों को स्ट्रिप पर भेजा. यूनिर्विसटी मेडिकल सेंटर की प्रवक्ता दनिता कोहेन ने बताया कि दर्जनों लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. उन्होंने बताया कि उनमें से कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई.

प्रत्यक्षर्दिशयों का कहना है कि म्युज़िक फेस्टिवल दौरान एक बंदूकधारक घुसा और मशीनगन से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जिसके जवाब में पुलिस ने भी कार्रवाई शुरू कर दी. गोलीबारी के दौरान उन्होंने वहां से भागते समय कई घायलों को देखा था. उनमें से कुछ लोग थोड़ी देर बाद निकटवर्ती ट्रॉपिकाना होटल-कैसिनो के भूमिगत तल पर एकत्रित हो गए थे. कुछ अधिकारी अपने वाहनों के पीछे से कार्रवाई कर रहे थे जबकि अन्य अधिकारी राइफल लेकर मेंडले बेय होटल और कैसिनो के भीतर पहुंच गए.

अधिकारियों ने लास वेगस स्ट्रिप और इंटरस्टेट 15 के हिस्सों को बंद कर दिया. पुलिस ने लोगों से मांडले बे कसीनो की तरफ न जाने की अपील की है. लोगों का कहना है कि घटनास्थल पर एक शूटर के होने की संभावना है.

लाल बहादुर शास्त्री ने हमेशा जात-पात का विरोध किया

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Lal Bahadur shastri

नई दिल्ली। जय जवान जय किसान का नारा देने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की आज 114वीं जयंती है. शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दो अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. उन्होंने 11 जनवरी, 1966 को उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में अंतिम सांस ली थी. उसी दिन उन्होंने ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे. वह पहले व्यक्ति थे, जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया था. लालबहादुर जी ने अपना जीवन बेहद सादगी से जिया.

  • लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1901 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे. जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया.
  • बचपन में दोस्तों के साथ शास्त्री जी गंगा नदी के पार मेला देखने गए थे. वापस लौटते के समय उनके पास नाववाले को देने के लिए पैसे नहीं थे और दोस्तों से पैसे मांगना उन्होंने ठीक नहीं समझा. बताया जाता है कि उस समय गंगा नदी भी पूरे उफान पर थी. उन्होंने दोस्तों को नाव से जाने के लिए कह दिया और बाद में खुद नदी पार करके आए.
  • एक बार जब लाल बहादुर रेलमंत्री थे तो वे जनता से मिलने काशी गए थे. तब एक व्यक्ति ने आकर सहज लहजे में कहा कि आपका कुर्ता फटा हुआ है. इस पर उन्होंने ने कहा कि गरीब का बेटा हूं. ऐसे रहूंगा तो गरीब का दर्द समझ सकूंगा.
  • शास्त्री जी जात-पात का हमेशा विरोध करते रहे. यहां तक कि उन्होंने कभी अपने नाम के आगे भी अपनी जाति का उल्लेख नहीं किया. शास्त्री की उपाधि उनको काशी विश्वविद्यालय से मिली थी.
  • लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्रित्व काल में देश में भीषण मंदी का दौर था. देश के कई हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा था. उस समय शास्त्री जी ने देश के सभी लोगों को खाना मिल सके इसके लिए सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन व्रत रखने की अपील की थी.
  • लालबहादुर शास्त्री की मौत को अरसा बीत चुका है. लेकिन आज तक पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मौत की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है. उनकी मौत को करीब पांच दशक गुजर जाने के बाद भी उनकी मृत्यु रहस्य ही बनी हुई है.

शास्त्री जी के बेटे सुनील शास्त्री का मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहना था कि उनके पिता को जहर देकर मारा गया है. उन्होंने कहा था कि जब शास्त्रीजी की बॉडी को देखा तो उनकी चेस्ट, पेट और पीठ पर नीले निशान थे. जिसे देखकर साफ लग रहा था कि उन्हें जहर दिया गया है.

जिस महिषासुर का दुर्गा ने वध किया उन्हें आदिवासी अपना पूर्वज और भगवान क्यों मानते हैं?

देश भर में दुर्गोत्सव के साथ दशहरा की भी धूम रही. पर झारखंड में गुमला की सुदूर पहाड़ियों पर बसने वाले आदिम जनजाति असुर दस दिनों तक शोक में डूबे रहे. दरअसल महिषासुर को अपना पुरखा मानने वाले असुरों को इसका दुख है कि उनके पूर्वज को छल से मारा गया.

महिषासुर का शहादत दिवस झारखंड के सिंहभूम इलाके में भी मनाया गया. कई जगहों पर महिषासुर पूजे जाते रहे हैं.

इसी सिलसिले में नवरात्र के नवमी पूजन के दिन यानि शुक्रवार को चाकुलिया में आयोजित शहादत दिवस कार्यक्रम में आदिवासी संथाल, भूमिज, कुड़मी के साथ दलित समुदाय के लोग भी शामिल हुए.

महिषासुर को पूजे जाने की खबर झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कई आदिवासी इलाकों से भी मिलती रही है. अलबत्ता बंगाल के काशीपुर में महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन बड़े पैमाने पर होने लगा है.

सखुआपानी गुमला की सुषमा असुर कहती हैं कि उनकी उम्मीदें बढ़ी है कि अब देश के कई हिस्सों में आदिवासी इकट्ठे होकर पुरखों को शिद्दत से याद कर रहे हैं.

झारखंड की राजधानी रांची से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर गुमला जिले के सखुआपानी, जोभापाट आदि पहाड़ी इलाके में असुर बसते हैं. इंटर तक पढ़ी सुषमा कथाकार हैं और वे आदिवासी रीति, पंरपरा, संस्कृति को सहेजे रखने के अलावा असुरों के कल्याण व संरक्षण पर काम करती हैं.

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में असुरों की आबादी महज 22 हजार 459 है. झारखंड जनजातीय शोध संस्थान के विशेषज्ञों का मानना है कि आदिम जनजातियों में असुर अति पिछड़ी श्रेणी में आते हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था न्यूनतम स्तर पर है. असुरों में कम ही लोग पढ़े-लिखे हैं.

जगन्नाथपुर कॉलेज में इतिहास विभाग के प्राध्यापक और आदिवासी विषयों के जानकार जगदीश लोहरा का कहना है कि असुरों के अलावा कई और आदिवासी समुदाय भी मानते हैं कि वे लोग महिषासुर के वंशज हैं. इन समुदायों को ये भी जानकारी मिलती रही है कि वह आर्यों-अनार्यों की लड़ाई थी. इसमें महिषासुर मार दिए गए. कई जगहों पर लोग महिषासुर को राजा भी मानते हैं.

आदिवासी विषयों के एक अन्य जानकार लक्ष्मीनारायण मुंडा के मुताबिक इसे आदिवासी समुदाय द्वारा उनके पुरखों के इतिहास को सामने लाने की कोशिश के तौर पर देखा जाना चाहिए. क्योंकि कथित तौर पर मिथकों के जरिए एक बड़े तबके की भावनाएं दबाई जाती रही हैं.

छल से मारे गए!

सुषमा असुर कहती हैं कि महिषासुर की याद में नवरात्र की शुरुआत के साथ दशहरा यानि दस दिनों तक वे लोग शोक मनाते हैं.

इस दौरान किसी किस्म की रीति-रस्म या परपंरा का निर्वहन नहीं होता. बड़े-बुजुर्गों के बताए गए नियमों के तहत उस रात एहतियात बरते जाते हैं जब महिषासुर का वध हुआ था. मूर्ति पूजक नहीं हैं, लिहाजा महिषासुर को दिल में रखते हैं.

बकौल सुषमा किताबों में भी पढ़ा है कि देवताओं ने असुरों का संहार किया, जो हमारे पूर्वज थे. सुषमा का जोर इस बात पर है कि वह कोई युद्ध नहीं था.

वो बताती हैं कि महिषासुर का असली नाम हुडुर दुर्गा था. वह महिलाओं पर हथियार नहीं उठाते थे. इसलिए दुर्गा को आगे कर उनकी छल से हत्या कर दी गई.

वाकिफ कराने की चुनौती

इस असुर महिला के मुताबिक आने वाली पीढ़ी को पुरखों के द्वारा बताई गई बातों तथा परंपरा को सहेजे रखने के बारे में जानकारी देने की चुनौती है. कई युवा लिखने-पढ़ने को आगे बढ़े भी, पर पिछली कतार में रहने की वजह से जिंदगी की मुश्किलों के बीच ही वे उलझ जा रहे हैं. वे खुद भी कठिन राहों से गुजरती रही है.

इसी इलाके से मिलन असुर को विश्वास है कि उनके पुरखों का नरसंहार किया गया. इसलिए शोक मनाना लाजिम है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए , जबकि नरसंहारों के विजय की स्मृति में दशहरा मनाया जाता है.

गौरतलब है कि साल 2008 में विजयादशमी के मौके पर झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने रांची के मोराबादी मैदान में होने वाले रावण दहन समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि रावण आदिवासियों के पूर्वज हैं. वे उनका दहन नहीं कर सकते.

जबकि पिछले दिनों तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्‍मृति ईरानी ने महिषासुर को ‘शहीद’ के तौर पर बताए जाने पर काफी नाराजगी जताई थी.

पुरखे-परंपरा के लिए संघर्ष

झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति ‘अखड़ा’ की अगुआ वंदना टेटे कहती हैं कि आप इसे पूर्वज-पंरपरा को याद रखने के तौर पर देख सकते हैं. बेशक आदिवासियों को अपने रूट्स में जाने की जरूरत है, ताकि एक ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके, क्योंकि कई चीजें गुम होती जा रही है और कई विषयों को अलग-अलग तरीके से उनके सामने रखा जाता रहा है.

बकौल वंदना वे अक्सर असुरों के बीच जाती रही हैं. वाकई में वे लोग महिषासुर को अपना पूर्वज मानते रहे हैं साथ ही कई मौके पर भाषा, संस्कृति, पंरपरा और पुरखौती अधिकारों के लिए सृजनात्मक संघर्ष करने के लिए खड़े होते हैं.

दसाई और काठी नृत्य

उधर झारखंड के चाकुलिया में देशज संस्कृति रक्षा मंच के बैनर तले महिषासुर शहादत दिवस मनाने वालों में कपूर टुडू ऊर्फ कपूर बागी बताते हैं कि दशहरा के मौके पर संथाल समाज के लोग दशकों से नृत्य-गीत के माध्यम से महिषासुर के मारे जाने पर दुख जताते हैं.

इसे दसाई और कांठी नाच कहा जाता है. इन समुदायों में शोक गीत के बोल-‘ हर रे हय रे हय ओकार नमरे हय, ओकाय नमरे हुदुड़ दर्गी’… लोकप्रिय हैं.

उनका जोर है कि आदिवासियों को विश्वास है कि महिषासुर फिर लौटेंगे, क्योंकि उनके राजा को छल-कपट से मारा गया. रावण वध जैसी पौराणिक घटनाओं को भी मिथकीय रूप दिया जाता रहा है.

रावण दहन क्यों?

सिहंभूम इलाके के कुमारचंद्र मार्डी कहते हैं कि महिषासुर वीर पुरूष थे और छल से ही मारे गए. बुराई पर अच्छाई की जीत बताकर और रावण का पुतला बनाकर जलाये जाने को भी वे लोग सहज तौर पर नहीं लेते, क्योंकि रावण भी हमारे पूर्वज थे.

मार्डी के मुताबिक इस पूरे मामले में बड़ा इतिहास है, जिसे जानने की जरूरत है.मार्डी इस मुहिम को सकारात्मक बताते हैं कि कुड़मी-भूमिज समेत कई समाज-समुदाय के लोग भी इस मसले पर उनका साथ देते रहे हैं.

मार्डी कहते हैं कि अब उत्तर भारत में भी महिसासुर का शहादत दिवस मनाया जाने लगा है.

देशज संस्कृति रक्षा मंच से ही जुड़े दिलीप महतो बताते हैं कि कुड़मी समाज में इस तरह की परंपरा रही है. वे लोग किसी देवी की पूजा या उत्सव का विरोध नहीं करते, लेकिन जिस तरह से महिषासुर का वध दर्शाया जाता है, वह आहत करता रहा है.

इस बारे में असलियत सामने लाये जाने की जरूरत है. क्योंकि इतिहास को गलत तरीके से दर्शाया जा रहा है. हालांकि इस विषय पर बहसें होती रही है.

इस बीच असुर आदिवासी विजडम डॉक्यूमेटेंशन इनीसियेटिव में खंडवा मध्य प्रदेश की आदिवासी महिला सुंगधी वीडियो के मार्फत यह बताने की कोशिश कर रही हैं वे लोग असुरों की संतान हैं तथा मेघनाद को पूजते हैं.

लिहाजा नस्लीय भेदभाव और इंसानी गरिमा के हनन की कोशिशों के खिलाफ वे आवाज मुखर करना चाहती हैं.

नीरज सिन्हा का यह लेख ‘द वायर’ से साभार है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और झारखंड में रहते हैं)