ये तोड़-फोड़ की राजनीति
ये नफरत की राजनीति
तुम पर शोभा नहीं देती
तुमने तो ठप्पा लगाया है-
राष्ट्रवाद का
फिर ये घिनौने, घटिया, ओछे काम क्यों?
माना तुम सत्ता में आ गये
हमेशा तो नहीं रहोगे
कल कोई और आएगा
फिर वो तोड़ेगा-फोड़ेगा
तुम्हारी बनाई मूर्तियां
या तुम्हारी पसंद की मूर्तियां
इस तरह तो
राष्ट्र का नव निर्माण न हुआ
ये विनाश की शुरूआत है।
माना कि तुम्हारे अंदर
राष्ट्रवादी नाम का कीड़ा
तुम्हें अंदर ही अंदर काट रहा है
लेकिन वो कीड़ा धीरे-धीरे
विषैला होता जा रहा है
वो तुम्हें बहुत बड़ी हानि पहुंचायेगा
और तुम्हें ही नहीं
तुम्हारे चक्कर में
पूरे देश को डसेगा
नफ़रत की राजनीति में पूरा देश जलेगा
तुम तो डूबोगे ही साथ-साथ देश को भी ले डूबोगे…|
मुकेश कुमार ऋषि

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