मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बाद अब गुजरात सरकार ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून लाने जा रही है। बीते 30 मार्च को इस संबंध में गुजरात विधानसभा में बिल रखा गया था, इसमें ‘जबरदस्ती’ या ‘बहला-फुसलाकर’ अन्य धर्म में विवाह की घटनाओं को रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था की जा रही है। इस कानून में ऐसी किसी शादी के लिए दोषी पाए जाने पर अधिकतम 5 साल की कैद का प्रावधान किये जाने की बात हो रही है।
इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर पीड़ित पक्ष नाबालिग है या फिर अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय से आता है तो दोषी व्यक्ति को 7 साल की सजा दी जा सकती है। इस संबंध में गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ‘लव जिहाद’ एवं महिलाओं के अपहरण की घटनाओं को लेकर चिंतित है, इसीलिए इस तरह के उपाय किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत में जितने भी बीजेपी शासित राज्य हैं, वहां पर हिंदुत्ववादी शक्तियों का बोलबाला है। देखने में आया है कि दक्षिणपंथी ताकतें किसी ना किसी तरह लगातार मुस्लिम समुदाय को निशाने पर रखती आई हैं। अब गुजरात द्वारा अपने ‘गुजरात मॉडल’ में लव जिहाद का कानून शामिल करना भारत में लोकतंत्र एवं सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक और खतरनाक कदम होने वाला है। देश के मानवाधिकार संगठन एवं दलित अधिकार कार्यकर्ता एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार के लिए लड़ने वाले संगठन इस बात से विशेष रूप से चिंतित हैं।
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