दिल्ली मेट्रो में फ्री सफर, क्या हम दूजे ग्रह से आए है

मेट्रो, फ्री में सफर सिर्फ महिलाओं के लिए ऐसा क्यों है मुझे समझ नहीं आया. क्या हम दूसरे ग्रह से आई है. बिल्कुल भी नहीं …. .पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चलने वाली को पुरुषों से बढ़कर क्यों? समानता का अधिकार मांगते मांगते समानता से ऊपर क्यों. मेरी समझ से जैसे IMPOSSIBLE में ‘POSSIBLE’ है कुछ वैसे ही महिलाओं के ‘अधिकसम्मान’ में असम्मान भी है. यह अधिक सम्मान मुझे नहीं ठीक लगा और हमेशा ही वाजिब नहीं लगता . हाँ, जहाँ तक बात है कि वो लोग भी सफर कर पाएंगे जो किराए की वजह से नहीं चढ़ पाती है तो तमाम पुरुष भी है जो रिक्शा चलाते है और ई रिक्शा जैसे सवारी के आ जाने से उनकी कमाई महज 150 से 200 होती है और उसमें भी रिक्शा भाड़े पर ले कर चलाते है. फिर सोचने वाली बात है क्या आर्थिक रूप से कमजोर पुरुष मेट्रो में चढ़ने के ख्वाब नहीं देख सकते? एक दूसरा कारण जो स्त्रियों की असुरक्षा को लेकर है तो सुरक्षा की व्यस्था मजबूत करने में वो राशि व्यर्थ किया जाए जो मैट्रो की फ्री सवारी के लिए की जाएगी . इससे जुड़ी हुई एक और बात है यदि सुरक्षा की दृष्टि से मेट्रो सही है तो हर लड़की या महिला के घर तक तो मैट्रो जाती नहीं तो असुरक्षा मैट्रो के बाद के सफर में ज्यादा है…. महिलाओं के लिए यह एक परेशानी भी हो सकती है जैसे उन जगहों पर जहां पुरुष किसी पारिवारिक काम से जाते थे यह भी हो सकता कि वहां अब पुरुष अपनी परिवार की महिलाओं से ज्यादा काम लें.

सोचने वाली बात यह है कि क्या महिलाओं के पास पहले से ही कम काम है क्या?इसका दूसरा पक्ष भी हो सकता कि पुरुष सिर्फ इस बात से महिलाओं को अपने साथ घूमने फिरने भी निकले की भाड़ा तो सिर्फ पुरुषों/लड़कों के लगेंगे तो भाड़ा में 50% का इजाफा पॉकेट/पर्स को होगा. मुझे लगता है यह स्त्री और पुरुष को बांटने की लकीर है. महिलाओं की हालात में आये परिवर्तन मैट्रो/बस में सफर करने वाले लोगों को यह बार बार याद दिलाता रहेगा वो जो साथ में सफर कर रहे वो एक नहीं. उनका संघर्ष एक नहीं… . यह भाड़े में कटौती विद्यार्थियों के लिए करना चाहिए क्योंकि बहुत कम विद्यार्थी है जिनकी पॉकेट मनी ज्यादा होगी. कम खर्च मिलने वालों की संख्या ज्यादा है जिससे विद्यार्थियों को सफर करने के लिए ज्यादा सोचना पड़ता है. जैसे किसी थिएटर के विद्यार्थी यदि मंडी हाउस जाना है जी टी बी से तो कम से कम 60 से 80 रुपये लगेंगे. इस हिसाब से महीने का कम से कम भाड़ा 1800 से 2400 लगेगा यह राशि ज्यादा नहीं आज के समय में पर उनके लिए जरूर है जिन्हें पॉकेट खर्च 3000 से 4000 मिलते है इसमें इनके खाने पीने का भी है . और विद्यार्थियों को दी गयी सुविधा आने वाले भविष्य में तमाम तरह के अलगाव को कम ही करेंगे क्योंकि शिक्षा ही मानव एक बेहतर इंसान बनाता है ….

गरिमा रानी

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