Wednesday, February 12, 2025
Homeओपीनियनपंजाब में पहले दलित मुख्यमंत्री के राजनीतिक मायने

पंजाब में पहले दलित मुख्यमंत्री के राजनीतिक मायने

गुरुओं की धरती जहां से संतों ने अनगिनत सामाजिक आंदोलन चलाए, जिसे पांच दरियावों की धरती भी कहा जाता है, जहां दलित मतदाताओं की संख्या पूरे भारत में सबसे ज्यादा है, जहां पर कांशीराम सरीखे दलित नेता ने जन्म लिया, में आज आजादी के 74 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद पहला दलित मुख्यमंत्री नामित किया गया है। पंजाब भारत का एकमात्र प्रदेश है जहां पर दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है इसके बावजूद प्रदेश की कमान आज तक दलितों को नहीं मिली, परंतु आज कांग्रेस आलाकमान ने सभी नामों पर चर्चा करने के बाद 2007 से लगातार दलित विधायक “चरनजीत सिंह चन्नी” को प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित किया है।

हम देखते हैं कि पंजाब सरकार और कांग्रेस पार्टी में पिछले तीन महीनों से भारी कलह चल रही थी, और हाल ही में मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की इच्छा के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, इसके बाद निरन्तर प्रदेश की राजनीति में गहमा गहमी का माहौल बना हुआ था। 18 सितंबर की दोपहर को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी को चकित करते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर कहा कि पिछले कुछ समय से उन्हें पार्टी आलाकमान द्वारा अपमानित किया जा रहा है इसलिए अब उनका इस पद पर बने रहना उनके आत्मसम्मान के खिलाफ है। और उन्होंने खुले तौर पर कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को यदि पार्टी मुख्यमंत्री बनाती है तो वो इसका साफ तौर पर विरोध करेंगे।

19 सितंबर की शाम होते होते पार्टी आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में पहला दलित मुख्यमंत्री बना कर अकाली बसपा गठबंधन, आम आदमी पार्टी और भाजपा की उम्मीदों को झटका दिया है, क्योंकि ये सभी राजनीतिक दल इस बार चुनावों में दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए प्रदेश में दलित नेता को मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर रहे थे।

चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस पार्टी ने दलित मतदाताओं को लुभाने का दांव चला है साथ मे प्रदेश में जातीय समीकरण को सुलझाने की कोशिश की है। काफी लंबे समय से ये मांग चल रही थी कि यदि प्रदेश में मुख्यमंत्री जट्ट सिख समुदाय से हो तो प्रदेश पार्टी के अध्यक्ष दलित समुदाय से होने चाहिए। नवजोत सिंह सिद्धू को जब प्रदेश पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया तब पूरे राजनीतिक और बौद्धिक समुदाय में ये बात सामने आ रही थी कि दोनों पद जट्ट सिख समुदाय के नेताओं को देने से प्रदेश में दलित समुदाय नाराज़ हो सकता है जिसका आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को भारी नुक़सान होने की सम्भावना थी क्यूंकि इससे वो दूसरे दलों की तरफ जा सकता है।

चरनजीत सिंह चन्नी उस समय पर मुख्यमंत्री बनाए गए है जब प्रदेश में अस्थिरता का दौर चल रहा है, जब सरकार को मात्र 6 महीने बचे है इस प्रकार इनकी राह कांटो भारी है, क्यूंकि हम देखते हैं कि कैप्टन सरकार के 18 सूत्रीय कार्यक्रम जिसकी 2017 के चुनावों में पार्टी ने घोषणा की थी में से अभी बहुत से कार्यों पर काम करना बाकी है तो क्या अब नए मुख्यमंत्री कैप्टन सरकार के लंबित पड़े कार्यों को संपन्न करवाएंगे या फिर आगामी 6 महीनों के लिए नई नीति बनाएंगे।

अब प्रश्न ये भी उठता है कि प्रदेश में इस समय हर रोज़ किसी ना किसी विभाग जैसे पंजाब रोडवेज, नर्सिंग स्टाफ, अध्यापकों आदि के कैप्टन आवास के सामने निरन्तर प्रदर्शन चल रहें थे वो अब नवनियुक्त मुख्यमंत्री आवास के सामने स्थानांतरित होएंगे या चरणजीत सिंह चनी कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान खोज पाएंगे। क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह और अन्य मजबूत जट्ट सिख नेता दलित मुख्यमंत्री का नेतृत्व स्वीकार कर पाएंगे? इस बार का संशय भी बना हुआ है।

क्या प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर लड़ा जाएगा? क्या प्रदेश में यदि आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को बहुमत मिलता है तो पूरे कार्यकाल के लिए भी चरणजीत सिंह चनी को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? या फिर ये संकट टालने के लिए और दलित समुदाय को लुभाने के लिए इन्हें बचे हुए 6 महीनों के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया है। ऐसे अनेकों प्रश्न है जिनका जवाब आने वाले वक्त में मिलेगा।
परन्तु अभी कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सभी नामों पर चर्चा करने के बाद दलित मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की है।आशा करते है कि पूरा प्रदेश और पार्टी दलित नेतृत्व को स्वीकार करेगी और चरनजीत सिंह चन्नी पार्टी को इस संकट से बाहर निकाल पाने में सफल होंगे।

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

3 COMMENTS

  1. चरणजीत सिंह चन्नी को और समय दिया जाना चाहिए , इन्हें सिर्फ स्टॉप गैप मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहिए | आगामी चुनाव इनके नेतृत्व में ही लड़ना चाहिए | कुछ नेता अपनी लच्छेदार बातों से कांग्रेस हाईकमान को खुश कर देते हैं , जबकि मुझे लगता है कि चरणजीत सिंह चन्नी जमीन से जुड़े हुए नेता है और पैराशूट से उतरे नेताओं की जगह इन्हें तवज्जो दी जानी चाहिए |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content