दयानाथ निगम जी के साथ अम्बेडकरी आंदोलन का एक हिस्सा चला गया

2139

पिछले महीने ही हमारी बात हो रही थी। उन्होंने कहा कि माननीय राम स्वरूप वर्मा जी से इनका काफी नाता रहा है। अगस्त महीने में ही वर्मा जी की जयंती और परिनिर्वाण दोनो आता है। मैंने आग्रह किया कि आप एक लेख लिख दीजिये। उन्होंने लिखा, दलित दस्तक में छपा। 01 अगस्त को फोन आया कि लेख पढ़ कर बहुत फोन आ रहा है। मुझे भी पत्रिका भेज दीजिये। मैंने आज ही पत्रिका पोस्ट किया उनको और शाम को सूचना मिली कि दयानाथ निगम जी (संपादक, अम्बेडकर इन इंडिया) नहीं रहे। बड़ा झटका लगा।
31 जनवरी 2020 को दिल्ली में “मूकनायक के 100 साल: अम्बेडकरी पत्रकारिता के 100 साल” कार्यक्रम में हमने दयानाथ निगम जी को “मान्यवर कांशीराम पत्रकारिता सम्मान” से सम्मानित किया था। (नीचे लगी तस्वीर उसी कार्यक्रम की है।)
इतना बुजुर्ग होने के बावजूद वो अक्सर दिल्ली में आयोजित तमाम कार्यक्रमों में मिल जाते थे। “कैसे हैं संपादक जी,” ऐसे ही संबोधित करते। मैं कहता, “आप बड़े हैं, सिर्फ अशोक बोला करिये।” हँस कर कहते अरे आप बड़े संपादक हैं।
हमने आज एक जिंदादिल इंसान, बाबासाहेब का सच्चा सिपाही खो दिया। वो बहुत कम पढ़े थे, लेकिन बाबासाहेब के मिशन को लोगों तक पहुंचाने के लिए पत्रकारिता की राह चुनी। और आखिरी दम तक इस काम को करते रहे।

निगम जी का परिनिर्वाण कोरोना से हुआ बताया जाता है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सिद्धार्थ रामू ने अपने फेसबुक पोस्ट पर इसकी सूचना दी है। डॉ. सिद्धार्थ ने लिखा है-

शांति स्वरूप बौद्ध के बाद एक और महान आंबेडकरवादी सरकारी दुर्व्यवस्था का शिकार हो कोरोना की बलि चढ़ गया।  पूर्व मंडालायुक्त और सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ता हरिशचंद्र जी से यह मर्माहत करने वाली सूचना मिली कि अंबेडकर इन इंडिया के संपादक दयानाथ निगम हमेशा-हमेशा के लिए हम सब को छोड़कर चले गए। वे लखनऊ में रहते रह रहे थे।
यह स्वाभाविक मौत नहीं हुई है। वे उत्तर प्रदेश की बदत्तर स्वास्थ्य व्यवस्था और योगी आदित्यनाथ की सरकार की लापरवाही के शिकार हुए हैं। कल शाम से ही उनकी स्थिति खराब होने लगी थी। परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराने के लिए प्रयास किया, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि पहले कोरोना टेस्ट कराइए, फिर भर्ती लेंगे। पूरी रात परिजन भर्ती के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन किसी अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाए।
लखनऊ में रह रहे पूर्व मंडालायुक्त हरिशचंद्र जी ने एडीएम से भी बात किया, लेकिन फिर भी उन्हें भर्ती के लिए अस्पताल में जगह नहीं मिल पाई। हरिशचंद्र जी के प्रयासों से आज उनका रैपिड़ टेस्ट हुआ, जिसमें कोरोना पाजटिव पाए गए। उसके बाद भी उन्हें किसी अस्पताल में जगह नहीं मिली। रात से ही उनका आक्सीजन लेबल गिरता जा रहा था। आखिरकार कुछ घंटों पहले (4 अगस्त की शाम) असमय वे हम लोगों को छोड़ हमेशा-हमेशा के लिए चले गए।

वे पिछले 20 से अधिक वर्षों से निरंतर अंबेडकर इन इंडिया निकाल रहे थे। दयानाथ निगम जी एक प्रतिबद्ध आंबेडकरवादी मिशनरी थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन दलित-बहुजनों के लिए समर्पित कर दिया था। चुपचाप निरंतर प्रसिद्धि की ख्वाहिश से दूर दयानाथ निगम जी बहुजन नवजागरण के लिए कार्य करते रहे। प्रसिद्ध आंबेडकरवादी शांतिस्वरूप बौद्ध के बाद दयानाथ निगम जी का जाना आंबेडकरवादी आंदोलन और मिशन की अपूरणीय क्षति है।

निगम जी को याद करके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। वे मेरे शिक्षक और गार्जियन दोनों थे। वे उन लोगों में थे, जिन्होंने मुझे असीम प्यार और स्नेह दिया। गाहे-बगाहे सुख-दुख पूछते रहते थे। निगम जी मैं अंतिम समय भी आपके किसी काम नहीं आ सका, इसका दर्द सताता रहेगा। लेकिन जिस व्यवस्था और योगी सरकार की लापरवाही के आप शिकार हुए, उसकी कब्र खोदने में मैं कोेई कसर नहीं छोडूंगा।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.