भारत की आजादी के बाद हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को देश में दलितों, वंचितों को कितनी आजादी मिली है, इसकी कलई खुल जाती है। 15 अगस्त हो या फिर 26 जनवरी, हर मौके पर दलितों को देश के किसी न किसी हिस्से में झंडा फहराने से रोकने की खबर आ ही जाती है। इस बार मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक दलित सरपंच की पिटाई इसलिए कर दी गई क्योंकि दलित समाज के सरपंच ने ब्राह्मण समाज के सचिव का इंतजार किये बिना झंडा फहरा दिया। मामला छतरपुर जिले के धामची गाँव का है। इस घटना का वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है।
सरपंच हन्नु बसोर का आरोप है कि उसकी पंचायत में सचिव सुनील तिवारी को 15 अगस्त के दिन उसका झंडा फहराना नागवार गुजरा। सरपंच हन्नू बसोर ने आरोप लगाया कि सचिव ने जाति सूचक शब्द कहते हुए, उसे लात मार दी है। जातिवादी गुंडे सचिव पर सरपंच के साथ उनकी पत्नी कट्टू बाई और बहू के साथ भी मारपीट की गई। घटना के बाद दलित सरपंच, उसकी पत्नी और गांव के कुछ लोग ओरछा रोड थाना पहुंचे और मामला दर्ज कराया।
कुछ सवर्ण जातिवादियों की इसी मानसिकता के चलते देश में जातिवाद की खाई आए दिन गहरी होती जा रही है। सवाल है कि आखिर सवर्ण समाज के जातिवादियों को दलितों द्वारा प्रमुख पदों पर पहुंचना इतना क्यों अखर जाता है कि वह इसे बर्दास्त नहीं कर पाते और मारपीट पर उतर आते हैं।
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