नई दिल्ली- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत की हेलीकाप्टर क्रैश में हुई मौत से पूरा देश गम में डूबा हुआ है। बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 14 लोगों को ले जा रहा ये हेलिकॉप्टर खराब मौसम के कारण तमिलनाडु के कुन्नून में नीलगिरी की पहाडि़यों में क्रैश हो गया था।
रहा सुनहरा सफर
बिपिन रावत पिछले 40 सालों से भारतीय सेना की सेवा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई बड़े फैसले लिए जो देश के लिए मील का पत्थर साबित हुए। उनका ये पूरा कार्यकाल गर्व और शौर्य की गाथाओं से भरा हुआ है। पूर्वोत्तर में भारत को उग्रवाद से मुक्ति दिलाने की बात करें या पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की बात करें, बिपिन रावत हर जगह हिट रहे।
विरासत में मिली देश की सेवा
एक हिंदू गढ़वाली राजपूत परिवार में जन्में बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड में हुआ था। उनके परिवार के कई लोग पीढ़ी दर पीढ़ी भारतीय सेना की सेवा में जाते रहे हैं। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर रहे और उन्हें देश का पहला चीफ आफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया था। उनके कार्यकाल के दौरान दो बार भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था।
ऐसे हुई थी बिपिन रावत की शुरुआत
बिपिन रावत ने 16 दिसंबर 1978 को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन को जॉइन किया था। उन्हें हाई हाईट वाले युद्ध का और आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन का बेहद अनुभव था। उन्होंने भारत-चीन युद्ध के दौरान मोर्चा संभाला और नेफा (यानी नार्थ ईस्ट फ्रॉन्टियर एजेंसी) बटालियन की कमान संभाली। साथ ही उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की।
बने सेना प्रमुख….
रावत ने 1 सितंबर 2016 को सेना के उप-प्रमुख का पद ग्रहण किया। इसके बाद 31 दिसंबर 2016 को रावत आर्मी चीफ के पद पर काबिज हुए। उनकी कार्य कुशलता को देखते हुए, उन्हें भारत सरकार ने 1 जनवरी 2020 को तीनों सेना का प्रमुख यानी चीफ डिफेन्स ऑफ़ स्टाफ (सीडीएस) बना दिया।
कई पदकों से नवाजा गया
जनरल रावत फील्ड मार्शल सैम मानेकशा और जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद गोरखा ब्रिगेड के थल सेनाध्यक्ष बनने वाले तीसरे अधिकारी थे। जनरल रावत को सेना में रहते हुए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक से भी नवाजा जा चुका है।
ऐसी रही शिक्षा
देहरादून के कैम्ब्रियन हाल स्कूल और शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई करने वाले बिपिन रावत ने आगे की पढ़ाई के लिए एनडीए खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में एडमिशन लिया। यहां उन्हें ‘स्वार्ड आफ आनर से नवाजा गया। उन्होंने देश और विदेश दोनों जगह कई बिषयों में डिग्रियां हासिल कीं। उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से साल 2011 में सैन्य मीडिया अध्ययन में पीएचडी भी की।

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