नई दिल्ली। संदेहास्पद स्थिति में मरने वाले सीबीआई जज बीएच लोया के मौत की जांच को बंद कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली विभिन्न याचिकाओं को आज (19 अप्रैल, 2018) खारिज कर दिया. अदालत ने बीते शुक्रवार को मामले में फैसला देने के लिए इसे गुरुवार तक सुरक्षित रखा था, जिसपर आज सुनवाई पूरी हो गई.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जो जज मृतक लोया के साथ सफर कर रहे थे, उनके बयान पर शक नहीं किया जा सकता. दरअसल, इन जजों के बयान को दोबारा रिकॉर्ड करने की मांग की गई थी. मामले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की गई. अदालत के मुताबिक, राजनीतिक हित साधने के लिए इस तरह की याचिकाएं दाखिल की गईं.
कोर्ट ने आगे कहा कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और इसमें कोई शक नहीं है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह और प्रशांत भूषण ने लोया के साथ नागपुर में मौजूद जजों की बात पर भरोसा न करने की बात कहकर सीधे न्यायपालिका पर सवाल उठा दिए. इस मामले को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ सुन रहा था.

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