लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सालों बाद वह हुआ, जिसकी कल्पना फिलहाल राजनीति के बड़े-बड़े पंडितों ने नहीं की होगी. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में बसपा ने समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है. दोनों जगहों पर बसपा के जोन-कोऑर्डिनेटरों ने प्रेस कांफ्रेंस कर सपा को समर्थन देने की घोषणा की है. गोरखपुर सीट सीएम योगी के सांसद पद से इस्तीफ़ा देने के बाद खाली हुई है तो फूलपुर सीट से यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे.
दोनों धुरविरोधियों के साथ आने से जहां भाजपा सकते में है तो वहीं इन दोनों जगहों के दलित और पिछड़े समाज ने इस गठबंधन का समर्थन किया है. बहुजन समाज पार्टी अपनी रणनीति के तहत उपचुनाव से दूर ही रहती है. गोरखपुर औऱ फूलपुर के उपचुनाव में उसने यही रणनीति अपनाई लेकिन बसपा ने सपा को समर्थन देने का ऐलान कर दोनों चुनावों को रोचक मोड़ दे दिया है.
गोरखपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने उपेन्द्र शुक्ला को टिकट दिया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने सुरहिता करीम चैटर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया है. दूसरी ओर फूलपुर लोकसभा सीट की बात करें तो बीजेपी ने युवा नेता कौशलेंद्र पटेल को टिकट दिया है, जबकि सपा ने नागेन्द्र पटेल व कांग्रेस ने मनीष मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर जेल में बंद माफिया डॉन अतीक अहमद ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है.
दोनों सीटों पर सपा-बसपा के एक साथ आने के बाद यह उपचुनाव बेहद खास हो गया है. यह महज उपचुनाव तक सीमित न होकर 2019 लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि भी तैयार करने में मददगार होगा. जाहिर है कि इन दोनों सीटों पर बसपा प्रमुख मायावती और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सहमति के बाद ही समझौता हो पाया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार इन दोनों सीटों पर बसपा से समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे थे. अखिलेश 2019 चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के पक्षधर हैं.

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