भोपाल। मंदसौर की रेप वाली दर्दनाक घटना के बाद एनसीआरबी की रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश को कठघरे में खड़ा कर दिया है. इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि शिवराज सिंह की सरकार में बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. नाबालिग के साथ रेप के मामले में एमपी नंबर वन पर है. इसको लेकर शिवराज सरकार की महिला मंत्री ने भी कहा कि यहां बेटियां सुरक्षित नहीं है. प्रदेश में ठोस कानून व्यवस्था की कमी है.
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर मध्य प्रदेश की नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने शाजापुर में मीडिया से चर्चा करते हुए तमाम बातों को कहा जो कि शिवराज सरकार की पोल खोलता है. उन्होंने कहा कि मंदसौर में सात वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना से मैं बहुत व्यथित हूं. ऐसे दरिंदों को सार्वजनिक स्थान पर फांसी की सजा दिए जाने का समर्थन करता हूं. प्रदेश में बेटियों की सुरक्षा को लेकर अपनी सरकार पर हीं सवाल उठाए हैं. बच्चियां कितनी असुरक्षित हैं इस तथ्य को आंकड़े बयां करते हैं. मध्यप्रदेश में पिछले साल रोजाना कम से कम 37 बच्चे भयंकर अपराधों के शिकार बने.
हालांकि बाद में प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए भी उन्होंने कहा दिल्ली में निर्भया कांड के बाद मध्य प्रदेश ने सबसे पहले मासूम बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करते हुए कानून बनाया है.
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश बच्चियों और औरतों से बलात्कार के मामले में देश में पहले नंबर पर है. पिछले साल मध्यप्रदेश में 2,467 बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं दर्ज हुईं, जो की देशभर में बच्चियों के साथ हुई रेप की वारदातों की कुल संख्या का आधा है. इनमें से 90 फीसदी मामलों में परिवार का कोई सदस्य या फिर कोई नजदीकी वारदात का आरोपी था. साल 2016 में नाबालिगों के खिलाफ मध्यप्रदेश में 442 रेप केस दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र में 258 और राजस्थान में 159 रेप केस दर्ज हुए.
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