भारतीय जनता पार्टी की देश भर में जमकर फजीहत हो रही है। कोरोना के कोहराम से निपटने की व्यवस्था में पूरी तरह फेल हो चुकी भाजपा पर हर किसी का गुस्सा सामने आ रहा है। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में भी भाजपा को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा है। खासतौर पर धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा को अयोध्या से लेकर मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मथुरा तक में करारी शिकस्त मिली है।
अयोध्या में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। अयोध्या जनपद में कुल जिला पंचायत सदस्य की 40 सीटें हैं, जिसमें से 24 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज करने का दावा किया है। यहां की 12 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है, जबकि भाजपा को महज 6 सीटें मिली है। हालांकि भाजपा दावा कर रही है कि उसके साथ निर्दलीय हैं। ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सपा और भाजपा के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्तमान लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी भाजपा की हालत पतली है। यहां जिला पंचायत की 40 सीटों में से बीजेपी के खाते में महज 8 सीटें आई है। जबकि सपा 14 सीटें जीतने का दावा कर रही है। काशी में बसपा के हिस्से में 5 सीटें आने की बात सामने आई है, जबकि तीन निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली है।
मथुरा में बाजी बसपा के हाथ रही है। यहां की 33 के करीब सीटों में बसपा उम्मीदवारों के 12 सीटों पर जीतने की सूचना है। दूसरे नंबर पर आरएलडी है, जिसके 8 उम्मीदवारों के जीत दर्ज करने की बात सामने आई है, जबकि भाजपा के हिस्से में 9 सीटें आने की खबर है। इन नतीजों को भाजपा के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। और पंचायत चुनाव को कहीं न कहीं सभी पर्टियां अपने शक्ति परीक्षण के तौर पर देख रही थी। और जिस तरह के नतीजे सामने आए हैं, वह निश्चित तौर पर भाजपा के लिए बड़ी चिंता की बात है।
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