
मुंबई। भीमा कोरेगांव के 200 साल पूरे होने के मौके पर जुटे लोगों पर हुई पथराव की घटना ने अब बड़ा रूप ले लिया है. सोमवार 1 जनवरी को भड़की हिंसा बढ़ गई है और इसने अब जातीय संघर्ष का रूप ले लिया है. सोमवार की घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे. एक जनवरी को शुरू हुई हिंसा के बाद आज भी जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इस मामले में सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

पुणे में हुई जातीय हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में भी देखा जा रहा है. मुंबई के अलावा हड़पसर व फुरसुंगी सहित तकरीबन दर्जन भर इलाकों में सरकारी और प्राइवेट बसों पर पथराव किया गया. इस हिंसा में 100 से ज्यादा महाराष्ट्र परिवहन की बसों को नुकसान पहुंचा है. हिंसा की वजह से कुछ देर के लिए औरंगाबाद और अहमदनगर के लिए बस सेवा बंद करनी पड़ी. विरोध प्रदर्शन की वजह से मुंबई के कई हिस्सों में धारा 144 लगा दी गई है. वहीं, मुंबई पुलिस के पीआरओ ने जानकारी दी है कि राज्य में विभिन्न जगहों से 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है. इस बीच भीमराव आंबेडकर के पोते और एक्टिविस्ट प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वाहन किया है. पुलिस के आला अधिकारी विरोध खत्म करने के लिए नेताओं को मनाने में जुटे हुए हैं.

मामला इतना बढ़ गया है कि इस बारे में महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस को भी सामने आना पड़ा है. फडनवीस ने कहा कि, “भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.” तो वहीं शरद पवार ने इस घटना के लिए दक्षिणपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है. पवार का कहना है कि दक्षिणपंथियों द्वारा स्थानीय गांववालों को भड़काया गया, जिसके बाद यह घटना घटी है. हालांकि पक्ष-विपक्ष की राजनीति और सरकार की तमाम दलीलों के बावजूद अम्बेडकरवादी सुनने को तैयार नहीं है.
