दलित इंडियन आइडल की सच्चाई पर बवाल क्यों

4703

इंडियन आईडल नाम की सिंगिंग प्रतियोगिता शुरू हो चुकी है. खास बात यह है कि इस शो के प्रोमों के दौरान प्रतियोगियों की पृष्ठभूमि के बारे में बताया जा रहा है. इस शो में दलित समाज के युवा सौरभ वाल्मीकि भी पहुंचे हैं. सौरभ का प्रोमो सुपरहिट है. प्रोमों के बाद यह तय माना जा रहा है कि अपनी शानदार आवाज की बदौलत सौरभ इस गायकी प्रतियोगिता में मजबूत दावेदारी पेश करेंगे. लेकिन प्रोमो रिलिज होने के बाद सौरभ अपने ही शहर वालों के निशाने पर हैं.

दरअसल प्रोमो के दौरान सौरभ ने जातिवाद के दंश का जिक्र किया है. प्रोमो में सौरभ कह रहे हैं… कहते हैं कि म्यूजिक की कोई धर्म और जाति नहीं होती लेकिन म्यूजिक सीखने के लिए मुझे जातिवाद का सामना करना पड़ा…. सौरभ इस प्रोमो में कहते हैं कि हमें मंदिर में नहीं जाने दिया जाता, प्रसाद फेंक कर दिया जाता है. सौरभ का यह भी कहना है कि सार्वजनिक नलों से पानी नहीं पीने दिया जाता.

सौरभ के इसी बयान से उनके शहर लखीमपुर के लोग भड़क गए हैं. शहर में लोग सौरभ के इस बयान की निंदा कर रहे हैं. उनका तर्क है कि सौरभ नेशनल टीवी पर अपने लखीमपुर शहर के बारे में गलत छवि पेश कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि सौरभ जिस तरह की बातें कर रहे हैं उससे समूचे उत्तर प्रदेश और खासकर खीरी जिले को लेकर के मुंबई और दिल्ली में बैठे हुए लोगों का नजरिया बहुत ही बदल जाएगा.

हालांकि अगर आप सौरभ के प्रोमों को ध्यान से देखेंगे तो यह साफ हो जाएगा कि सौरभ जातिवाद और छूआछूत की बात दलित समाज के लिए कह रहे हैं न कि व्यक्तिगत तौर पर अपने लिए…

सौरभ साफ कह रहे हैं कि हमें यानि दलित समाज को मंदिर में नहीं जाने दिया जाता और प्रसाद फेंक कर दिया जाता है, जो कि सच्चाई है. भारत में दलितों को आए दिन जिस कदर जातिवाद का सामना करना पड़ता है वो कोई छुपी बात नहीं है, बल्कि सरकारी आंकड़ों में दर्ज है. दलित समाज के साथ हर 18वें मिनट में अत्याचार होता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले दिनों कानपुर देहात में मंगलपुर कस्बे में पुजारी ने दलित महिलाओं को मंदिर में जाने से रोक दिया था और धमकाने लगा. जब महिलाएं जबरन मंदिर में घुस गई तब पुजारी ने उनके निकलने के बाद पत्नी के साथ मिलकर पूरे मंदिर परिसर को गंगाजल से धुलवाया. इसी तरह पिछले साल अगस्त में आई एक खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के मौदाहा कस्बे के गदाहा गांव में रामायण पाठ के दौरान दलितों को मंदिर परिसर से दूर रहने का नोटिस चिपका दिया गया था. तो वहीं राजस्थान के झुंझुनू जिले में बुहाना तहसील के गांव चुडिना में एक दलित के मंदिर में प्रवेश करने पर पूरे गांव के दलितों की लाठी-डंडों से पिटाई की गई.

ये महज कुछ खबरे हैं जिसे उदाहरण के तौर पर दिया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर कि शूद्र मंदिर परिसर में प्रवेश न करें तमाम लोगों के सामने से जरूर गुजरी होगी.

इसलिए जाति की बात कह कर शहर की इज्जत को खराब करने का लखीमपुर के लोगों का तर्क भी एक तरह का जातिवाद ही है. असल में सौरभ ने समाज की उस कुरीति को कुरेद दिया है, जिसे समाज का उच्च तबका हमेशा से दबा कर रखना चाहता है. स्थानीय लोगों को यही हजम नहीं हो रहा है.

Read it also-FIFA World Cup Final 2018: 20 साल बाद फ्रांस ने किया फुटबाल विश्व कप पर कब्जा

  • दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करें https://yt.orcsnet.com/#dalit-dastak 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.