लखनऊ। यूपी में 2019 के चुनाव से पहले गठबंधन की कवायद में जुटे विपक्षी दलों की ओर से एक बड़ी खबर आई है. खबर है कि उत्तर प्रदेश के महागठबंधन से कांग्रेस बाहर रह सकती है. और लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी 35 और बहुजन समाज पार्टी 40 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं, जबकि तीन सीटें रालोद के खाते में जाने की बात सामने आई है.
कांग्रेस से गठबंधन न होने के बावजूद सपा और बसपा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस समझौते की रूपरेखा के संकेत दे दिए हैं.
दरअसल, कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने की सपा-बसपा के पास जायज वजह भी है. राज्य में कांग्रेस अपना आधार खो चुकी है. फूलपुर और गोरखपुर के लोकसभा उपचुनावों में अकेले लड़कर कांग्रेस के उम्मीदवारों को महज 19,353 और 18,858 वोट ही मिले. सपा और बसपा नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के पास अब न दलित वोट हैं, न पिछड़े और न ही अल्पसंख्यक. कांग्रेस को अधिकतर वोट सवर्णों के मिल रहे हैं जो भाजपा के भी वोट बैंक हैं. यानी कांग्रेस को मिल रहा हर वोट भाजपा के खाते से ही जा रहा है, जो सपा-बसपा गठबंधन के हित में ही है.
यदि कांग्रेस विपक्षी एकता में शामिल हो जाती है तो ये सवर्ण भी भाजपा में चले जाएंगे. इसीलिए सपा-बसपा को लगता है कि कांग्रेस के अलग लड़ने से ही उन्हें ज्यादा फायदा है. तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी को भी इस फार्मूले से ज्यादा दिक्कत नहीं होगी.
दरअसल यूपी में जिस तरह का माहौल बन रहा है और उपचुनावों के जो नतीजे आए हैं, उसके मुताबिक सपा-बसपा के साथ लड़ने से ज्यादा सीटें इस गठबंधन को मिलने की संभावना है. कांग्रेस इसमें किसी तरह का रोड़ा नहीं अटकाना चाहती है. क्योंकि सपा-बसपा जीतनी ज्यादा सीटें जीतेंगी भाजपा उतनी ही कमजोर होगी. तो वहीं यह तय है कि 2019 में सपा-बसपा केंद्र में कांग्रेस के साथ खड़ी रहेगी, जिससे कांग्रेस केंद्र में मजबूत ही होगी. संभव है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती इस फार्मूले का ऐलान जल्द करें.
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