
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी द्वारा समाजवादी पार्टी को समर्थन देने से देश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. कई लोग इसे यूपी में बसपा-सपा के साथ आने के तौर पर देख रहे हैं तो वहीं प्रदेश में इसे भाजपा को रोकने की कवायद में दलित-पिछड़ा एकता के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि इस गठबंधन पर न तो अखिलेश यादव खुलकर कुछ कह रहे हैं और न ही मायावती.
दोनों की यही चुप्पी एक तीसरी बात की ओर इशारा कर रही है. असल में उत्तर प्रदेश में बिछी इस सियासी बिसात का एक पहलू गोरखपुर और फुलपूर सीटों पर भाजपा को रोकना है तो वहीं दूसरा पहलू राज्यसभा और विधान परिषद में दोनों दलों का एक दूसरे की जरूरत होना है. आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के कोटे से राज्यसभा की दस सीटें खाली होनी है. इसमें से 8 सीटों पर भाजपा की जबकि एक सीट पर समाजवादी पार्टी की जीत तय है. सारी गोलबंदी बची हुई एक सीट के लिए हो रही है. चर्चा है कि मायावती अपने भाई और बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार के लिए राज्यसभा की यह सीट चाहती हैं.
जहां तक आंकड़ों की बात है तो राज्यहसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 वोट चाहिए. समाजवादी पार्टी के अभी 47 विधायक हैं. और राज्यसभा की एक सीट हासिल करने के बाद समाजवादी पार्टी के पास 10.64 वोट बच जाएंगे. बीएसपी के पास 19 वोट हैं. दोनों को जोड़ लिया जाए तो यह 29 के करीब हो जाता है. ऐसे में एक सीट के लिए बसपा को 8 और वोटों की जरूरत होगी, जिसमें 7 विधायक का समर्थन उसे कांग्रेस से मिल सकता है. जबकि एक अन्य समर्थन के लिए उसे निर्दलीय कोटे के तीन और राष्ट्रीय लोकदल के हिस्से की एक सीट पर निर्भर रहना होगा. संभव है कि मायावती इस सियासी गणित को साध लें और अपने भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजने में सफल हो जाएं. लेकिन अगर यह सच है और गठबंधन की वजह सिर्फ सियासी लाभ है तो यह यूपी के दलित और पिछड़े वर्ग के साथ एक बड़ा धोखा होगा.

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।