नई दिल्ली। लोकसभा में तकरीबन पांच घंटे तक चली लंबी बहस के बाद आखिरकार गुरुवार को ऐतिहासिक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पास हो गया. मोदी सरकार ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017’ नाम से इस विधेयक को लाई है. ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानी तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा. इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पुरुष अगर अपनी बीबी को तीन तलाक देगा, तो वो गैर-कानूनी होगा.
इसके बाद से किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक, वह चाहें मौखिक हो या लिखित हो और या फिर मैसेज के जरिए हो, अवैध होगा. जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है यानी तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय (Cognizable) अपराध होगा. इस बिल के पास होने से मुस्लिम महिलाओं को काफी सहूलियत मिलेगी. यह बिल देश की नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी से जुड़ा हुआ बिल था. करीब चार महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने बहुमत से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही सरकार से मामले में कानून बनाने को कहा था, जिसके बाद आज कानून भी बन गया.
गुरुवार को सबसे पहले केंद्र सरकार ने लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पेश किया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि इस बिल का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. और न ही सरकार शरीयत में दखल देने के लिए तीन तलाक बिल लाई हैं. इसका मकसद सिर्फ तीन तलाक को रोकना है. पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों में भी तीन तलाक पर रोक है.
लोकसभा में बहस के दौरान RJD, BJD और सपा समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया. इन पार्टियों ने बिल में सजा के प्रावधान को गलत बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया. लोकसभा में बिल पर बहस का मुद्दा ही सजा का प्रावधान रहा. इसके बाद विपक्षी दलों की ओर से मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पर पेश किए गए संशोधन प्रस्तावों पर वोटिंग हुई.
हालांकि वोटिंग के दौरान सभी संशोधन प्रस्ताव गिर गए और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस बिल के पास होने की घोषणा कर दी. इस दौरान कांग्रेस ने कहा कि सिर्फ मोदी सरकार ही इस बिल को पास कराने का श्रेय नहीं ले सकती है. कांग्रेस समेत किसी भी विपक्षी दल ने इस बिल का विरोध नहीं किया. कांग्रेस ने बिल को सिर्फ स्थायी समिति के पास भेजने की बात कही थी.
ज्यादा मुसलमानों को जेल में डालने के लिए बनाया जा रहा कानूनः ओवैसी
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर बहस के दौरान AIMIM प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस बिल के जरिए न सिर्फ पर्सनल लॉ में दखल दे रही है, बल्कि ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों को जेल में डालने का सपना देख रही. ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ तीन तलाक ही नहीं, बल्कि सभी तरह के तलाक को खत्म करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि किसी भी मुस्लिम देश में तलाक को लेकर दंड संहिता नहीं है. इसके तहत सजा का प्रावधान नहीं किया जा सकता है. शौहर से बीबी की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए जबरदस्ती नहीं की जा सकती है.
गौरतलब है कि तलाक होने की स्थिति में मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे.
ऐसा है प्रस्तावित बिल
– एक साथ तीन बार तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) कहना गैरकानूनी होगा.
– ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा.
– यह कानून सिर्फ ‘तलाक ए बिद्दत’ यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा.
– तलाक की पीड़िता अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से अपील कर सकेगी.
– पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है. मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे.
– यह प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है.
