नई दिल्ली। खबर थोड़ी सी पुरानी है. लेकिन ज्यादा नहीं. इसी साल अप्रैल महीने में देश के बड़े समाचार पत्र हिन्दुस्तान टाईम्स ने एक खबर छापी थी. वंचित तबके के नजरिए से हालांकि यह खबर बहुत बड़ी थी, लेकिन फिर भी इस खबर को महज सिंगल कॉलम में प्रकाशित किया गया. खैर…. बड़े समाचार पत्र में इस खबर का प्रकाशित होना सबसे महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह खबर वंचित तबके के लिए काफी अहम थी.
इस रिपोर्ट में एक शोध का हवाला देते हुए कहा गया है कि एससी-एसटी वर्ग के इंजीनियरिंग के छात्र पढ़ने में ज्यादा तेज हैं, जी हां आपने बिल्कुल सही सुना…कि एससी-एसटी वर्ग के इंजीनियरिंग के छात्र सामान्य वर्ग के छात्रों से ज्यादा तेज हैं. इस बात को दो बार कहने की जरूरत इसलिए महसूस हो रही है, क्योंकि आम तौर पर वंचित तबके के छात्रों के शिक्षा में बेहतर नहीं होने का सवाल उठाया जाता है. बात जब टेक्निकल एजुकेशन की हो तो उन पर उंगुलियां ज्यादा उठती है.
रिपोर्ट में जो लिखा है, वो मैं आपको एक बार पढ़कर सुनाता हूं. – Engineering students from the Scheduled castes and Scheduled tribe learn at faster rate than those from the general category.
जिस शोध का हवाला दिया गया है वह स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन और वर्ल्ड बैंक द्वारा किया गया है. यह शोध देश भर के पहले और तीसरे वर्ष के इंजीनियरिंग के 45,453 इंजीनियरिंग छात्रों पर किया गया है. इस शोध में एक IIT, सात नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सहित AICTE के तहत आने वाले इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूटों को शामिल किया गया है.
यह रिपोर्ट दरअसल भारत के जातिवादी तबके और आरक्षण की बात कह कर हर वक्त देश के वंचित तबके को कोसते रहने वालों के मुंह पर झन्नाटेदार तमाचा है. साथ ही जातिवादी तबके के लिए एक सबक भी है कि देश का वंचित तबका अगर पिछड़ा है तो मौका नहीं मिलने की वजह से, न कि कम प्रतिभावान होने के कारण.
इसे भी पढ़ें-शोधार्थियों व समाज कर्मियों ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ भरी हुंकार.
- दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-dast

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।