महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के प्रगतिशील छात्र संगठनों और स्थानीय न्याय पसंद लोगों ने देश के मौजूदा हालात के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन किया. सभा में विश्वविद्यालय के समस्त सामाजिक न्याय पसंद छात्र-छात्राओं ने एक मंच पर आकर प्रतिरोध दर्ज किया. देश में चौतरफा जारी फांसीवादी हमलों के खिलाफ एकजुटता का इजहार किया. उक्त अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि देश को ऐसे मार्ग पर धकेला जा रहा है जिसमें अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित-महिलाओं के साथ-साथ अन्याय-उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाला हर व्यक्ति असुरक्षित हो गया है. आज देश में एक तरफ दलितों-आदिवासियों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों पर चौतरफा हमले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कॉर्पोरेट घरानों को खनिज संसाधनों को लूटने की खुली छूट दे दी गई है. इन हमलावरों- लूटेरों को सत्ता का प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थन प्राप्त है. और जो भी इस बर्बरता व लूट के खिलाफ आवाज बन रहा है, उन्हें या तो हमेशा के लिए खामोश कर दिया जा रहा है या फिर उन्हें षड्यंत्रपूर्वक जेलों में डाला जा रहा है.
नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पनसरे, एस.एम. कलबुर्गी व गौरी लंकेश जैसे जन पक्षधर लोगों की बर्बर हत्या को भुलाया नहीं जा सकता है. यूपी के सहारनपुर में दलितों पर हमला करने वाले छुट्टा घूम रहे हैं, जबकि दलितों के हक-अधिकार के लिए आवाज बुलंद करने वाले चंद्रशेखर(रावण)को अवैध तरीके से जेल में डाल दिया गया है. पिछले दिनों महाराष्ट्र और झारखंड के कई मानवाधिकार व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाकर उन्हें जेलों में ठूँस दिया गया है. आज से कुछ दिन पूर्व मुंबई, गोवा, रांची, हैदराबाद, दिल्ली और छत्तीसगढ़ में एक ही समय में देश के प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कवि-लेखक-पत्रकार और वकालत के पेशे से जुड़े आधा दर्जन लोगों के घरों पर पुलिस ने छापेमारी की और वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरनोन गोंजाल्वेश को गिरफ्तार कर लिया गया. स्टेन स्वामी, आनंद तेलतुमड़े, अरुण फ़रेरा एवं सुषेण अब्राहम के घर पर छापेमारी की. इन सभी पर भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को भड़काने का झूठा आरोप मढ़ा जा रहा है. जबकि भीमा कोरेगांव में दलितों पर हुए हमले के सूत्रधार व हमलावरों को सत्ता का खुला संरक्षण दे रही है.
वक्ताओं ने कहा कि सत्ता प्रतिरोध की तमाम आवाजों को राष्ट्रद्रोह, माओवादी व् नक्सली करार देकर दबाती रही है. अब ‘अरबन नक्सलाइट’ का आरोप मढ़कर दलित-आदिवासी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों- कवि-लेखकों-पत्रकारों पर दमन-चक्र चलाया जा रहा है.
सत्ता ने लोकतंत्र को कुचलने का खुला अभियान छेड़ रखा है. केंद्र सरकार के साथ-साथ बीजेपी शासित राज्यों की सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए असहमति-आलोचना के तमाम स्वर को हत्या, मोब लींचिंग, गिरफ्तारी आदि के जरिये दबा देने पर अमादा है. लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, यह दमन और भी तेज होता जा रहा है जो समाज और मानवता के लिए अत्यंत ही खतरनाक है. आज भारतीय समाज के पूरे ताने-बाने को नष्ट करने की लगातार कोशिश की जा रही है.
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार जनता से किए वायदों को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है. विदेशों में जमा काले धन को देश में लाने की बात तो दूर, ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी जैसों को भारत से हजारों करोड़ रुपये लेकर फरार करने में सहयोग किया गया. दो करोड़ युवाओं को प्रत्येक वर्ष रोजगार देने के वायदे के उलट मोदी सरकार जीएसटी-नोटबन्दी और छंटनी के नाम पर रोजगार में लगे लोगों को बेरोजगार बना चुकी है. नोटबन्दी के बड़े-बड़े फायदे गिनाए गए थे, किन्तु सारे पुराने नोट रिजर्व बैंक के पास जमा हो गए. डीजल-पेट्रोल और डॉलर की कीमत आज जितनी ऊंचाई पर पहुंच गई है, उतनी पहले कभी नहीं थी. इससे घबराकर सरकार सवाल उठाने वाले लोगों का ही मुंह बंद कर रही है. जनता के बुनियादी सवालों को हल करने में मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और फर्जी मुद्दों को खड़ा करके असल सवालों से जनता का ध्यान भटकाते हुए 2019 में पुनः सत्ता में वापस आना चाहती है. वक्ताओं ने सरकार के इस मनसूबे को नाकाम करने की जरूरत को रेखांकित किया. वक्ताओं ने कहा कि पिछले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ‘साइलेंट मॉड’ में थे, जबकि मोदी सरकार ‘फ्लाइट मॉड’ में चली गई है.
प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए सत्यशोधक महिला प्रबोधिनी, वर्धा की वरिष्ठ समाजकर्मी नूतन मालवीय ने कहा कि आज सत्ता पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है और हर उस इंसान के खिलाफ काम कर रही है, जो सत्ता की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहा है, उसे या तो मार दिया जा रहा है या नजरबंद कर दिया जा रहा है हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जो आपातकाल से कहीं से भी कम नहीं है बल्कि और भी खतरनाक है. प्रतिरोध सभा को रजनीश कुमार अम्बेडकर, साकेत बिहारी, नीरज कुमार, वैभव आदि ने संबोधित किया.
कार्यक्रम में प्रतिरोध गीत का भी गायन किया गया, जिसमें तुषार, ममता, धर्मराज, राकेश विश्वकर्मा, प्रियंका आदि ने अपना योगदान दिया तथा कौशल, पुष्पेन्द्र, तुषार ने प्रतिरोध की कविताओं का पाठ किया. प्रतिरोध सभा का संचालन चन्दन सरोज और समन्वय नरेश गौतम ने किया.
उक्त अवसर पर राजेश सारथी, प्रेरित बाथरी, गुंजन सिंह, डीडी भाष्कर, सुधीर कुमार, अनुराधा सिंह, सोनम बौद्ध, आशु बौद्ध, भूषण सूर्यवंशी, आकाश, रविचंद्र, मनोज गुप्ता सहित दर्जनों छात्र-छात्राएं मौजूद थे.
Read It Also-सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने की कोशिश- रिहाई मंच2018/08/29
- जन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-das

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
