केरल में जानलेवा निपाह वायरस ने एक बार फिर वहां लोगों को मौत से दो दो हाथ करने पर मजबूर कर दिया है. इस वायरस को लेकर केरल में पूरा स्वास्थ्य महकमा हाई अलर्ट पर है. हर दिन निपाह वायरस की चपेट में लोगों के आने का सिलसिला जारी है. बुधवार को एक 23 साल के छात्र में निपाह वायरस के लक्षण पाए गए जिसके बाद इसका इलाज किया जा रहा है.
केरल में निपाह वायरस से पीड़ित होने की आशंका में स्वास्थ्य विभाग ने 314 लोगों को अपनी देखरेख में रखा है और उनकी हर स्वास्थ्य गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. बता दें कि बीते साल इसी निपाह वायरस ने केरल में 10 लोगों की जान ले ली थी. राज्य में स्थिति खराब होने से पहले ही केंद्र सरकार ने भी 6 सदस्यों की एक टीम को केरल भेज दिया है जो इस वायरस से फैलने वाली बीमारी पर पैनी नजर बनाए हुए है. केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी लोगों से संयम बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि मामला नियंत्रण में है. सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा की जा रही है.
सबसे पहले इस वायरस का पता साल 1998 में मलेशिया में चला था. उस वक्त इस बीमारी को इंसानों तक पहुंचाने का जरिया सूअर बने थे. हालांकि बाद में इस तर्क को नकार दिया गया था कि इस वायरस को ले जाने वाला कोई माध्यम है. साल 2004 में बांग्लादेश में इस वायरस की फिर पहचान हुई और जो इनसे पीड़ित थे उन्होंने खजूर के पेड़ से निकलने वाले एक तरल (लिक्विड) को चखा था. बाद में पता चला कि इस वायरस को उस पेड़ तक चमगादड़ लेकर आया.जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है. तभी से चमगादड़ को इस वायरस का वाहक माना जाने लगा है.
इस वायरस के प्रकोप से दिमागी बुखार होता है और संक्रमण तेजी से पूरे शरीर में फैलता है. इसका वायरस इतना खतरनाक होता है कि अगर किसी स्वस्थ आदमी के शरीर में चला जाए तो सिर्फ 48 घंटे के भीतर उसे कोमा में पहुंचा सकता है. इसकी चपेट में आने के बाद जो रोगी में सबसे प्रमुख लक्षण दिखता है वो है सांस लेने में दिक्कत के साथ सिर में भयानक दर्द और तेज बुखार. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो इसे नजरंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
निपाह जैसे खतरनाक वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई दवा या टीका आधिकारिक तौर पर नहीं आया है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार साफ सुथरा रहकर और कोई भी खाद्य पदार्थ खाने से पहले उसे अच्छी तरह साफ कर पका के खाने से दिमाग को क्षति पहुंचाने वाले इस वायरस से बचा जा सकता है.
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