उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर से सटे महाराजगंज में एक दलित महिला ग्राम प्रधान को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडा फहराने से रोक दिया गया. जब महिला ग्राम प्रधान नियम के मुताबिक स्कूल में झंडा फहराने पहुंची तो जातिवादी प्रिंसिपल ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. दलित समाज से ताल्लुक रखने वाली ग्राम प्रधान का आरोप है कि स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि कोई भी दलित आज तक यहां झंडा नहीं फहरा सका है.
महाराजगंज के बृजमनगंज ब्लॉक के महुआरी गांव की आरक्षित सीट से जीत दर्ज कर रीता देवी प्रधान निर्वाचित हुईं. यूपी में नियम है कि गांव का ग्राम प्रधान प्राथमिक विद्यालय में झंडा फहराएगा. इसी नियम के तहत रीता देवी गांव के प्राथमिक विद्यालय महुआरी में देश के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर झंडा फहराने पहुंची थीं. लेकिन उन्हें उनकी जाति की वजह से रोक दिया गया.
रीता देवी के मुताबिक, ” जब वह स्कूल में पहुंची तो सवर्ण जाति से ताल्लुक रखने वाले प्रिंसिपल ने उनको रोक दिया और मेरे हाथ से तिरंगे की डोर लेकर खुद झंडारोहण किया.”
जिस समय यह घटना घटी उन दौरान स्कूल के छात्र और अभिभावक भी मौजूद थे. उन्होंने जब प्रधानाध्यपक के इस रवैये को गलत ठहराते हुए विरोध किया तो प्रधानाध्यापक का कहना था कि विद्यालय में आज तक कोई भी दलित ध्वजारोहण नहीं किया है, इसलिए वह खुद झंडारोहण करेगा. यही नहीं, खबर आ रही है कि दलित महिला प्रधान को विद्यालय परिसर से बाहर जाने के लिए भी बोला गया.
तो वहीं दूसरी ओर इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता में प्रकाशित खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य और भाजपा शासित गुजरात के राजकोट में भी एक दलित सरपंच प्रेमजी जोगल को झंडा नहीं फहराने दिया गया. पाटिदार समाज से ताल्लुक रखने वाली डिप्टी सरपंच के पति ने दलित सरपंच को झंडा फहराने से रोक दिया. राजकोट के गोंडल तालुका के सरपंच प्रेमजी ने पुलिस से इस मामले की शिकायत की है.
सरपंच के मुताबिक- “डिप्टी सरपंच तृषा के पति राजेश सखिया ने मुझे कहा कि मैं तिरंगा नहीं फहरा सकता क्योंकि मैं दलित हूं. उसने कहा कि अगर मैंने झंडा फहराया तो यह अशुद्ध हो जाएगा. राजेश ने समारोह शुरू होने से पहले ही मुझे धमकी देते हुए कहा कि या तो कुर्सी पर ही बैठा रहूं नहीं तो इसे भी खो दूंगा.”
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